jharkhand economy : राज्य में बैंक खस्ताहाल, घटेगी कर्ज देने की क्षमता
झारखंड में पिछले तीन माह में बैंकों का प्रदर्शन कई मायने में औसत से नीचे चला
झारखंड में पिछले तीन माह में बैंकों का प्रदर्शन कई मायने में औसत से नीचे चला गया है. इस अवधि में ही बैंकों का सीडी रेशियो (नकद-जमा अनुपात) में भारी गिरावट हुई है. एक साथ नये राज्य के रूप में अस्तित्व में आये छत्तीसगढ़ की तुलना में झारखंड का प्रदर्शन बेहद खराब है. यही हाल रहा, तो झारखंड में बैंक कर्ज देने की स्थिति में नहीं रह जायेंगे.
राज्य में बैंकों की इस तिमाही तक के प्रदर्शन की समीक्षा करने के लिए आयोजित एसएलबीसी (स्टेट लेबल बैंकर्स कमेटी) की 73वीं बैठक बुधवार को होनी है. इसके पहले ‘प्रभात खबर’ को चौंकाने वाले आंकड़े हासिल हुए हैं. बैंकों की जमा वृद्धि (डिपोजिट ग्रोथ) और ऋण वृद्धि (क्रेडिट ग्रोथ) एडवांस में एक ही झटके में करीब 3000 करोड़ रुपये की कमी आयी है.
जानकार बता रहे हैं कि दो बड़े बैंकों के मर्जर के बाद कुछ एकाउंट को लेकर यह संकट पैदा हुआ है. संभावना है कि बुधवार काे होनेवाली बैठक में कृषि व संबंद्ध क्षेत्रों के साथ-साथ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमइ) सेक्टर में बैंकों को अपनी भूमिका बढ़ाने का निर्देश मिल सकता है.
बेपटरी होती जा रही अर्थव्यवस्था :
बैंकों का सीडी अनुपात घटने का मतलब आर्थिक स्थिति बेपटरी हो जाना है. हाल के दिनों में राज्य में बड़े निवेश के साथ-साथ छोटे स्तर पर निवेश को सरकार की ओर से बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में राज्य के ऋण जमा अनुपात का घटना कई मायने में चिंता का कारण है. सीडी रेशियो का घटना उद्योगों के ग्रोथ के लिए भी अच्छे संकेत नहीं है. बैंकों को सबसे ज्यादा समस्या जमीन संबंधित मामलों को लेकर हो रही है.
छत्तीसगढ़ से पिछड़ते जा रहे हम :
एक जैसे भौगोलिक और सामाजिक बनावट वाले राज्य छत्तीसगढ़ से हम लगातार पिछड़ते जा रहे हैं. मौजूदा दौर में उदार और सफल नीतियों को लागू कर पड़ोसी राज्य ने कोरोना काल में भी अपना ऋण-जमा अनुपात 63 प्रतिशत तक बरकरार रखा है. इसका मतलब कि वहां के लोगों को झारखंड की तुलना में आसानी से कर्ज व सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है.
सीडी रेशियो यानि ऋण-जमा अनुपात के हिसाब से बैंकों को उस राज्य से प्राप्त होनेवाले निवेश के अनुपात में ऋण का प्रवाह कुल जमा से ज्यादा रखकर विकास में संतुलन कायम रखना है. भारतीय रिर्जव बैंक के निर्देशों के हिसाब से बैंकों को इस अनुपात को 60 प्रतिशत तक हर हाल में बरकरार रखना है.
posted by : sameer oraon