रांची : मनी लाउंड्रिंग मामले में छह मई को इडी की छापेमारी के बाद देर रात ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल और सहायक जहांगीर को गिरफ्तार कर लिया गया. इस मामले में ईडी की टीम ने दूसरे दिन सात मई को भी ठेकेदार और इंजीनियरों के रांची स्थित छह ठिकानों पर छापा मारा. ईडी ने संजीव लाल और जहांगीर आलम को सोमवार देर रात (रात 2:00 बजे) गिरफ्तार किया. दोनों को मंगलवार को पीएमएलए कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें कोर्ट ने छह दिनों की रिमांड पर ईडी को दे दिया. पेशी के बाद दोनों को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज दिया गया.
ईडी ने सोमवार को संजीव लाल, जहांगीर आलम व अन्य लोगों के ठिकानों से 35.23 करोड़ रुपये नगद बरामद किये थे. ईडी ने कोर्ट में सौंपे रिमांड पिटीशन में कहा है कि ग्रामीण विकास विभाग की विकास योजनाओं में 15% की दर से कमीशन की वसूली होती है. संजीव लाल टेंडर मैनेज कर कमीशन की रकम वसूलता है. वसूली के लिए बने सिस्टम में इंजीनियर और ठेकेदार शामिल हैं. कमीशन की रकम जहांगीर आलम के पास रखी जाती है और यह राशि बड़े अफसरों और राजनीतिज्ञों तक जाती है.
संजीव लाल ने जहांगीर के नाम पर गाड़ी भी खरीदी है. इससे जहांगीर और संजीव के बीच गहरे संबंध होने की पुष्टि होती है. बीरेंद्र राम ने भी गिरफ्तारी के बाद दिये गये बयान में कमीशनखोरी की हिस्सेदारी में बड़े अफसरों और राजनीतिज्ञों का नाम लिया था. मामले की जांच के दौरान इडी को जानकारी मिली कि जहांगीर के घर से जब्त 32.20 करोड़ रुपये का बड़ा हिस्सा ठेकेदार राजीव सिंह के जरिये वसूला गया था. बाद में बाद में इसे जहांगीर के घर पर लाकर रखा गया था.
ईडी ने कोर्ट में दाखिल रिमांड पिटीशन में यह भी कहा है कि बीरेंद्र राम के मामले में दायर इसीआइआर में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज की गयी प्राथमिकी को भी शामिल किया गया है. बीरेंद्र राम ने अपनी गिरफ्तारी के बाद दिये गये बयान में विभाग में जारी कमीशनखोरी और उसके बंटवारे की प्रक्रिया का उल्लेख किया था. उसने अपने बयान में सितंबर 2022 में संजीव लाल को करोड़ों रुपये दिये जाने की बात स्वीकार की थी. बीरेंद्र राम से मिली जानकारी के आधार पर ईडी ने आगे की जांच की. इसमें पाया गया कि टेंडर सहित अन्य काम से जुड़ी कमीशन की राशि इंजीनियरों के माध्यम से वसूल कर संजीव लाल तक पहुंचायी जाती थी.
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इसके बाद संजीव के निर्देश पर इसे जहांगीर के पास रखा जाता था. छह मई को हुई छापेमारी के दौरान जहांगीर के घर से 32.20 करोड़ रुपये मिले है. संजीव लाल के पार्टनर मु्न्ना सिंह के ठिकाने से 2.93 करोड़ रुपये मिले. संजीव लाल के पास से भी 10.50 लाख रुपये मिले. छापेमारी के दौरान संजीव लाल के पास दो गाड़ियां पायी गयी. इन गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन जहांगीर के नाम पर कराया गया है. जहांगीर ने अपने बयान में यह स्वीकार किया है कि इसमें से एक गाड़ी का भुगतान संजीव लाल ने किया है. इससे इन दोनों के बीच गहरा संबंध होने का प्रमाण मिलता है.
जांच में जानकारी मिली है कि ग्रामीण विकास विभाग में जारी कमीशनखोरी और उसके बंटवारे की प्रक्रिया में विभाग के ऊपर से लेकर नीचे तक के लोग शामिल है. कमीशन की रकम जमा करने के बाद निर्धारित प्रक्रिया के तहत उसका बंटवारा किया जाता था. इसमें विभाग के बड़े अफसरों और राजनीतिज्ञों को हिस्सा मिलता था. यह भी जानकारी मिली है कि विभाग में कमीशनखोरी से हुई काली कमाई को लाउंड्रिंग के सहारे मुख्य आर्थिक धारा में शामिल किया गया है. कमीशन के रूप में मिली राशि से संपत्ति भी खरीदी गयी है.
रिमांड पिटीशन में बीरेंद्र राम प्रकरण का उल्लेख करते हुए यह कहा गया है कि बीरेंद्र राम, गेंदा राम, राजकुमारी और आलोक रंजन के खिलाफ पहले चरण में आरोप पत्र दायर किया जा चुका है. इसके बाद सीए मुकेश मित्तल, तारा चंद, नीरज मित्तल, राम प्रकाश भाटिया, हरीश यादव और ह्रदयानंद तिवारी के खिलाफ भी आरोप पत्र दायर किया गया है.
संजीव लाल होंगे सस्पेंड
ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल सस्पेंड होंगे. उनके न्यायिक हिरासत में चले जाने की सूचना के बाद सरकार के स्तर पर उन्हें निलंबित करने की संचिका बढ़ा दी गयी है. मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की सहमति के बाद उन्हें निलंबित कर दिया जायेगा. चूंकि वह झाप्रसे के अधिकारी हैं, ऐसे में कार्मिक विभाग द्वारा उन्हें निलंबित करने का आदेश जारी किया जायेगा. सोमवार को संजीव लाल के आवास पर इडी ने छापामारी की थी. छापामारी में नगद भी बरामद किया गया था. इसके बाद इडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.
रिमांड पिटीशन में क्या है
ग्रामीण विकास की योजनाओंं में 15 प्रतिशत की दर से कमीशन की वसूली होती है
संजीव लाल ने जहांगीर आलम के नाम से गाड़ी खरीदी, दोनों के बीच गहरे संबंध के कई प्रमाण
बीरेंद्र राम ने 2022 के सितंबर में संजीव लाल को करोड़ों रुपये देने की बात स्वीकार की
कमीशनखोरी से हुई काली कमाई को लाउंड्रिंग के सहारे मुख्य आर्थिक धारा में किया गया शामिल
जहांगीर के यहां से मिले 32.20 करोड़ रुपये में से 10 करोड़ रुपये की वसूली राजीव ने की थी