गुमला: ‘एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय’ जनजातीय समुदाय के विद्यार्थियों के लिए केंद्र संपोषित योजना है. इस विद्यालय में पढ़नेवाले हर बच्चे पर सरकार सालाना 1.09 लाख रुपये खर्च करती है. झारखंड में 92 एकलव्य विद्यालय स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से अब तक केवल सात विद्यालयों में ही पढ़ाई हो रही है. इन सात विद्यालयों में कुल 480 छात्रबल स्वीकृत है.
केंद्र सरकार ने वर्ष 2018-19 तक राज्य में 23 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों को स्वीकृति प्रदान की थी. इसमें से सात को क्रियाशील बना दिया गया है. वहीं, 14 मॉडल विद्यालयों का निर्माण पूरा कर लिया गया है, लेकिन इनमें अब तक पढ़ाई शुरू नहीं हुई है. शेष दो अन्य स्वीकृत विद्यालयों का निर्माण पूरा नहीं किया जा सका है.
इधर, वर्ष 2019-20 में भी केंद्र सरकार ने राज्य के 69 प्रखंडों में एक-एक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों को स्वीकृति दी. इनमें से 63 प्रखंडों में अब तक भूमि चयन की ही कार्रवाई पूरी हो सकी है. शेष छह प्रखंडों में भूमि भी उपलब्ध नहीं हो सकी है.
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने कुल आबादी के 50 प्रतिशत या 20,000 जनजातीय आबादी वाले प्रखंडों में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों को स्वीकृत किया है. इन आवासीय विद्यालयों में कक्षा छह से 12 तक के विद्यार्थियों का दाखिला लिया जायेगा.