Jharkhand Election 2024: BJP का JMM पर पलटवार, अपनी निश्चित हार को देखकर बौखला गयी है झामुमो

पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि अपनी निश्चित हार को देखकर झामुमो बौखला गयी है. आज वह चुनाव आयोग की कार्रवाई पर प्रश्न चिह्न उठा रही है

By Nitish kumar | October 21, 2024 10:05 AM

Jharkhand Election 2024, रांची: प्रदेश भाजपा ने झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य की प्रेसवार्ता पर पलटवार किया है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि अपनी निश्चित हार को देखकर झामुमो बौखला गयी है. आज वह चुनाव आयोग की कार्रवाई पर प्रश्न चिह्न उठा रही है और मतगणना के दिन अपनी हार का कारण इवीएम मशीनों को बतायेगी. उन्होंने कहा कि सरकार के पांच वर्षों के कुशासन का अंत होने वाला है और झामुमो को यह बात अच्छे से पता है. इसलिए अभी से हार के बहाने खोज रही है. कहा कि जब इन्होंने 2019 में झारखंड का चुनाव जीता और जब उपचुनाव जीता, तब चुनाव आयोग ठीक था, लेकिन अब हार को देखकर यह आपा खो बैठे हैं. श्री शाहदेव ने कहा कि महागठबंधन लूट और झूठ की नीति सिद्धांत के आधार पर बना है. इसीलिए अभी तक इनके महागठबंधन की सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया. अब तो राजद ने इनको औकात दिखाना शुरू कर दिया है. कहा कि इन्होंने पांच वर्षों तक शासन किया, परंतु कोई कॉमन मिनिमम प्रोग्राम नहीं बना पाये.

राहुल का संविधान सम्मान समारोह राजनीतिक एजेंडा

प्रदेश भाजपा ने राहुल गांधी के संविधान सम्मान समारोह को राजनीतिक एजेंडा करार दिया है. कहा कि राहुल गांधी को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि क्या कांग्रेस, झामुमो और राजद वास्तव में संविधान बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं या फिर राजनीतिक परिवारों की विरासत को बचाने के प्रयास कर रहे हैं. प्रवक्ता अजय साह ने कहा कि कांग्रेस का खुद का इतिहास संविधान को कमजोर करने वाला रहा है. राहुल गांधी ने कहा कि उनकी लड़ाई मनुस्मृति के खिलाफ है, तो क्या कांग्रेस अब भारत में शरिया कानून लाना चाहती है?

श्री शाहदेव ने कहा कि राहुल गांधी को इस सम्मेलन में भाग लेने से पहले 42वें संविधान संशोधन का गहन अध्ययन करना चाहिए. यह संशोधन भारतीय संविधान पर कांग्रेस द्वारा किया गया सबसे बड़ा और विवादास्पद हमला था, जिसे संवैधानिक विशेषज्ञ मिनी संविधान की संज्ञा देते हैं. 42वां संविधान संशोधन, जिसे इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल के दौरान 1976 में लागू किया था, भारतीय संविधान के मूल ढांचे पर कड़ा प्रहार था. इस संशोधन के तहत न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सीमित किया गया और केंद्र सरकार की शक्तियों को बढ़ाया गया.

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