Jharkhand Election 2024: बोले चंपाई सोरेन, आदिवासी विरोधी सरकार की विदाई की उलटी गिनती जारी- बस, दो हफ्ते और…

Jharkhand Election 2024: झारखंड के पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट किया है. अपने पोस्ट में चंपाई सोरेन ने लिखा है कि आखिर क्यों हेमंत सोरेन के प्रस्तावक और अमर शहीद सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू बीजेपी में शामिल हो गये.

By Pritish Sahay | November 7, 2024 5:10 PM

Jharkhand Election 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव में में महज अब एक हफ्ता बचा है. इस बीच दल बदल भी जारी है. हाल में ही हेमंत सोरेन के प्रस्तावक और अमर शहीद सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू बीजेपी में शामिल हो गये. जेएमएम के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं है. इधर झारखंड के पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने भी इस मामले को लेकर जेएमएम पर हमला किया है. पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि संथाल हूल के अमर शहीद सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू भी आखिरकार भाजपा में शामिल हो गए हैं. क्या आप जानना चाहते हैं कि आदिवासी समाज से जुड़े मुद्दों को उठाने वाले इस युवक ने यह फैसला क्यों किया है.

अपने पोस्ट में चंपाई सोरेन ने लिखा है कि इसे समझने के लिए संथाल परगना की वीर भूमि भोगनाडीह की परिस्थिति को समझना होगा. उन्होंने लिखा कि वहां जाते समय रास्ते में तथा वीरों के उस पवित्र गांव में भी सड़क किनारे कई नए पक्के मकान मिलेंगे, जिस पर एक राजनीतिक दल के झंडे दिखेंगे. इनमें से अधिकतर मकान बांग्लादेशी घुसपैठियों के हैं और उन पर लगे झंडे बताते हैं कि उन्हें आदिवासियों की जमीन लूटने, बहु-बेटियों की अस्मत से खिलवाड़ करने और आदिवासी समाज के ताने-बाने को बिगाड़ने की हिम्मत कहां से मिलती है. यह झंडा बाकी लोगों को ‘एक दल विशेष के इन दामादों’ से नहीं उलझने की चेतावनी देता है.

जिस माटी, बेटी एवं रोटी के लिए हमारे पूर्वजों ने अंग्रेजों को झुका दिया था. आज उसी संथाल परगना की माटी पर इन घुसपैठियों का कब्जा है. पाकुड़, साहिबगंज एवं अन्य स्थानों पर आदिवासी समाज अल्पसंख्यक बन चुका है. जिकरहट्टी, मालपहाड़िया, तलवाडांगा, किताझोर समेत दर्जनों ऐसे गांव हैं, जहां अब आदिवासी ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलते. उनके घर, उनकी जमीन तथा उनके खेतों पर घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया है.

सच को नकार रही है आदिवासी विरोधी सरकार- चंपाई सोरेन

चंपाई सोरेन ने अपने पोस्ट में लिखा है कि आदिवासियों की हितैषी होने का दंभ भरने वाली यह सरकार हाई कोर्ट में झूठा एफिडेविट फाइल कर सच को नकार रही है. जब हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित करने का आदेश दिया तो ये लोग उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए. इसी से पता चलता है कि इनकी प्राथमिकता आदिवासियों को नहीं, बल्कि घुसपैठियों को बचाना है. कई तरह की आपराधिक गतिविधियों में लिप्त इन घुसपैठियों ने संथाल परगना को देश का क्राइम कैपिटल बना दिया है. जामताड़ा और साहिबगंज में देश भर की पुलिस नशे के सौदागरों, साइबर अपराधियों, सोने के तस्करों आदि की तलाश में आये दिन छापेमारी करती रहती है.

मंडल मुर्मू को मिल रही हैं धमकियां

चंपाई सोरेन ने लिखा है कि इनके दुस्साहस को आदिवासी समाज की बेटी रुबिका पहाड़िया की हत्या से समझिए, जिसके 50-60 टुकड़े कर दिए गए थे. अंकिता को जिंदा जलाने की घटना याद है ना आपको? वोटबैंक के लालच में ऐसे मामलों पर आंखें मूंदने और वीर सिदो-कान्हू के वंशज रामेश्वर मुर्मू की हत्या के मामले में परिवार को न्याय दिलवाने में विफल रहने वाले, कम से कम आदिवासियों के हितैषी तो नहीं हो सकते. भाजपा में शामिल होने के बाद मंडल मुर्मू को धमकियां दी जा रही हैं. उनके खिलाफ पोस्टर लगाए जाने की सूचना मिली है. इन सब के पीछे वही लोग हैं जिन्हें लगता है कि वे आदिवासियों को हर मुद्दे पर बेवकूफ बना सकते हैं, डरा-धमका कर चुप करवा सकते हैं. उन लोगों का असली डर यह है कि कहीं हम लोग उनके चेहरे से आदिवासियत का नकाब ना उतार फेंके. कहीं दुनिया को उनकी सच्चाई ना पता चल जाये.

कांग्रेस को चंपाई ने बताया आदिवासी विरोधी

झारखंड आंदोलन के समय दर्जनों बार गोली चलवा कर, आंदोलन को कुचलने का दुस्साहस करने वाली कांग्रेस तो हमेशा से आदिवासी और झारखंड विरोधी थी. उन्होंने ही 1961 में जनगणना से आदिवासी धर्म कोड हटाया था. फिर उनके सहयोगियों से क्या उम्मीद कर सकते हैं? जिन लोगों ने हमारे द्वारा फाइनल किए गए पेसा कानून को रोका, प्राथमिक विद्यालयों में जनजातीय भाषाओं में पढ़ाई के हमारे प्रयासों पर कुंडली मार कर बैठ गए और युवाओं को सड़कों पर आने को मजबूर किया, उनका हिसाब राज्य की जनता करेगी.

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