15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Jharkhand Election 2024: झारखंड के हर मुख्यमंत्री चख चुके हैं हार का स्वाद, क्या इस बार बदलेगा इतिहास ?

Jharkhand Election 2024 : झारखंड के हर मुख्यमंत्री को कभी न कभी हार का सामना करना पड़ा है. साल 2019 में रघुवर दास मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव हार गये. अब यह देखना दिलचस्प है कि इस बार इतिहास बदलेगा या नहीं.

Jharkhand Election 2024, रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव की मतगणना 23 नवंबर को होनी है. पहला चरण 13 नवंबर को संपन्न हुआ. वहीं, दूसरे चरण की वोटिंग 20 नवंबर को हुआ. हालांकि, इस बार के चुनावी माहौल में यह अनुमान कोई नहीं लगा सकता कि इस बार किसकी सरकार बनेगी. परिणाम चाहे जो रहे लेकिन राज्य के 24 साल के इतिहास में हर मुख्यमंत्री को चुनावी मैदान में हार का सामना करना पड़ा है. चाहे वो शिबू सोरेन हो या फिर रघुवर दास. विधानसभा चुनाव में हर मुख्यमंत्री को हार का सामना करना पड़ा है. अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार यह इतिहास फिर दोहरायेगा या टूट जाएगा.

अब तक 7 नेता बन चुके हैं मुख्यमंत्री

झारखंड के 24 साल के इतिहास में अब तक 7 नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ चुके हैं. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन सीएम रघुवर दास मुख्यमंत्री रहते जमशेदपुर पूर्वी में बीजेपी के ही बागी साथी सरयू राय से 15 हजार से अधिक वोटों से चुनाव हार गये. यही कहानी साल 2014 में भी रही. उस समय चार मुख्यमंत्रियों को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. खरसावां से दशरथ गागराई ने अर्जुन मुंडा को 11 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 2014 के विधानसभा चुनाव में दो सीट बरहेट और दुमका से चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन दुमका में उन्हें लुईस मरांडी के हाथों का हार का सामना करना पड़ा. जबकि बरहेट में हेमंत सोरेन ने बीजेपी के हेमलाल मुर्मू को 24 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया.

Also Read: झामुमो ने बाबूलाल मरांडी पर लगाए आचार संहिता उल्लंघन के आरोप, चुनाव आयोग को भेजे PHOTOS

बाबूलाल मरांडी को करना पड़ा था हार का सामना

साल 2014 के विधानसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी को भी भाकपा माले के राजकुमार यादव ने 10 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया. यही, हाल मधु कोड़ा का भी रहा. उन्हें झामुमो के निरेल पुर्ती ने 11 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया. इसके अलावा साल 2009 के उप-चुनाव में शिबू सोरेन को राजा पीटर ने 8 हजार से अधिक वोटों से हराकर राजनीति में अपना दमखम दिखाया. उपचुनाव में हारने की वजह से उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा था.

क्या हुआ था साल 2009 में

मधु कोड़ा ने 18 सितंबर 2006 को मुख्यमंंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन साल 2008 में उनकी सरकार गिर गयी. शिबू सोरेन उस वक्त दुमका से सांसद थे. सरकार गिरने के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया और सरकार बनायी. 6 माह के अंदर में उन्हें किसी भी सीट से चुनाव जीतना था. उसी वक्त तमाड़ विधानसभा से तत्कालीन विधायक रमेश सिंह मुंडा की आकस्मिक मौत हो गयी. जिसके बाद साल 2009 में वहां उप-चुनाव की घोषणा हुई तो शिबू सोरेन ने अपना नामांकन दाखिल कर लिया. उस वक्त राजा पीटर भी झारखंड पार्टी के टिकट से मैदान में उतर गये और उन्हें 9 हजार से अधिक मतों से हरा दिया. इसके बाद 18 जनवरी 2009 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया और सरकार गिर गयी. इसके बाद राज्य में कुछ दिनों के लिए राष्ट्रपति शासन लग गया.

Also Read: Jharkhand Chunav: 5 टेंपो में बैठकर 5 बूथ घूम चुके 100 मतदाता, नहीं कर पाए वोट

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें