दो दर्जन से अधिक सीटों पर कोलकर्मी निभाते है निर्णायक भूमिका, जानें क्या हैं उनके मुद्दे
Jharkhand Election 2024 : विधानसभा चुनाव में कोलकर्मी अहम भूमिका निभाते हैं. कई तो ऐसी सीटें हैं जहां पर कोलकर्मी हार और जीत का अंतर तय करते हैं.
Jharkhand Election 2024 : झारखंड के करीब 14 जिलों में कोयला खनन का काम होता है. यहां कोयला खनन के लिए जमीन कोल बियरिंग एक्ट के तहत अधिग्रहित की गयी है. भारत सरकार ने इसका अधिग्रहण किया है. इस कारण राज्य सरकार को कोई काम कराने के लिए कंपनी से अनुमति लेनी होती है. यह प्रक्रिया काफी लंबी है. इस कारण कंपनी के कोल बियरिंग एक्ट में रहनेवाले लोगों को सरकारी स्कीम का लाभ नहीं मिल पाता है. आवास, सड़क, नाली, बिजली और पानी के लिए लोग परेशान रहते हैं. इसके बाद भी विधानसभा की करीब दो दर्जन सीटों पर कोयलाकर्मी असरदार हैं. वह निर्णायक स्थिति में रहते हैं.
कोयला कर्मियों से जुड़े रहे हैं कई प्रत्याशी
चुनावी मैदान में कई ऐसे प्रत्याशी भी हैं, जो सीधे कोयलाकर्मियों से जुड़े रहे हैं और उनके लिए संघर्ष करते रहे हैं. आज भी उनके हक और हुकूक की बात अलग-अलग फोरम पर करते हैं. बेरमो से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अनूप सिंह इंटक के अध्यक्ष हैं. सारठ के विधायक भी कोयला यूनियन से जुड़े रहे हैं. निरसा के वर्तमान प्रत्याशी अरूप चटर्जी कोल इंडिया में कई फोरम पर कर्मियों की आवाज उठाते रहे हैं. झारिया की भाजपा प्रत्याशी भी यूनियन से जुड़ी हुई हैं. बाघमारा के कांग्रेस प्रत्याशी जलेश्वर महतो तथा बड़कागांव से भाजपा प्रत्याशी रोशन चौधरी भी यूनियन से जुड़े हुए हैं.
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कोल इंडिया की तीन कंपनियां करती हैं खनन
झारखंड में कोल इंडिया की तीन कंपनियां कोयला खनन का काम करती हैं. एक कंपनी सलाहकार की भूमिका में है. इसके अतिरिक्त कई निजी कंपनियां भी खनन का काम कर रही हैं. इसमें एनटीपीसी, वेस्ट बंगाल पॉवर कॉरपोरेशन, पंजाब इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड भी खनन करती है. यहां काम करने वाले कर्मी मतदान में हिस्सा भी लेते हैं. चुनावी पर्व का हिस्सा भी बनते हैं. सभी कंपनी मिलाकर करीब 75 हजार नियमित कर्मी हैं. परिवार को जोड़ा जाये, तो करीब चार लाख से अधिक कर्मी सीधे मतदान में हिस्सा लेंगे. इसके अतिरिक्त कई पूर्व कर्मी भी कोयला इलाके में रहते हैं. सीएमपीडीआइ के कर्मी मुख्य रूप से रांची में ही रहते हैं. इस कारण रांची और कांके विधानसभा की सीट पर इनका असर रहता है. बीसीसीएल का पूरा इलाका ही कोयलाकर्मियों वाला है. कोयलांचल की सभी सीटों पर कोयलाकर्मियों पर असर रहता है.
इन जगहों पर कोयलाकर्मियों का प्रभाव
बाघमारा, धनबाद, झरिया, सिंदरी, निरसा, टुंडी, बेरमो, गोमिया, गिरिडीह, मांडू, रामगढ़, बड़कागांव, सिमरिया, लातेहार, कांके, चंदनकियारी, महगामा, बोरियो, सारठ, रांची, पाकुड़.
किस कंपनी में कितने कर्मी
कंपनी | कर्मी |
सीसीएल | 33924 |
बीसीसीएल | 33391 |
इसीएल | 48077 |
सीएमपीडीआइ | 2755 |
क्या कहते हैं कोयला कर्मी ?
जेबीसीसीआइ सदस्य लखन लाल महतो कोल बियरिंग एरिया में कोई भी काम कराने के लिए जन प्रतिनिधियों को कंपनी से अनुमति लेनी पड़ती है. यह प्रक्रिया आसान नहीं है. इस कारण जन प्रतिनिधि चाहकर भी काम नहीं करा पाते हैं. अगर काम कराते हैं, तो भी वह निजी प्रयास से हो पाता है. यह काम छोटे-छोटे हैं. लेकिन, बड़ी स्कीम का लाभ विधायक निधि से नहीं हो पाता है.
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