झारखंड की राजनीति के युवा चेहरे

Jharkhand Assembly Election 2024: झारखंड बनने के बाद वर्ष 2005 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए. कई युवा चेहरे विधानसभा पहुंचे. इसके बाद से लगातार युवा नेतृत्व को धार मिली.

By Abhishek Roy | October 20, 2024 8:42 AM


Jharkhand Election 2024|रांची, अभिषेक रॉय : वर्ष 2000 में झारखंड अलग राज्य बना. राज्य बनने के बाद राजनीति में युवाओं की सक्रियता भी बढ़ी. राज्य गठन के बाद पहली बार बनी सरकार में सबसे युवा चेहरा सुदेश कुमार महतो (25 वर्ष) का था, जो मंत्री बने. बाद में उन्हें राज्य के गृह मंत्री के साथ उप मुख्यमंत्री का दायित्व भी मिला.

झारखंड बनने के बाद जब पहली बार वर्ष 2005 में विधानसभा का चुनाव हुआ, तो कई युवा चेहरे विधानसभा में पहुंचे. इसके बाद से लगातार युवा नेतृत्व को धार मिली. न सिर्फ युवा नेतृत्व को अवसर मिला, बल्कि आज की तिथि में उस दौर में राजनीति शुरू करने वाले मुकाम पर भी हैं. आंकड़ों के मुताबिक राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राजनीति में युवा नेतृत्व का ही एक चेहरा हैं. 30 वर्ष से कम उम्र में राजनीति में कदम रखा है. 2009 के विधानसभा चुनाव में पहली बार दुमका से सफलता मिली, उस समय हेमंत सोरेन 34 वर्ष के थे. उन्हें उप मुख्यमंत्री का प्रभार दिया गया था.

कई युवा नेतृत्वकर्ता को करना पड़ा इंतजार

युवा चेहरा में एक नाम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक दल के नेता अमर कुमार बाउरी का भी है. अमर बाउरी ने 26 वर्ष की उम्र में पहली बार चंदनकियारी से चुनाव लड़ा. हालांकि इसमें सफलता नहीं मिली. दो चुनाव में असफल होने के बाद तीसरे चुनाव 2014 में उन्हें जीत मिली. इरफान अंसारी ने 30 वर्ष की उम्र में 2005 के चुनाव में राजनीति में कदम रखा. वह भी पहली बार में जीत नहीं पाये थे. इन्हें 2019 में जामताड़ा सीट से जीत मिली और मंत्री बनने का मौका मिला. इसी तरह 2014 में 25 साल की उम्र में डालटनगंज से आलोक कुमार चौरसिया जीते. 2016 में पांकी से पिता विदेश सिंह के निधन के बाद बिट्टू सिंह भी कम उम्र में विधायक बने थे.

2005 में सबसे अधिक युवा पहुंचे विधानसभा

झारखंड गठन के बाद पहला विधानसभा चुनाव वर्ष 2005 में हुआ. इस चुनाव में सर्वाधिक युवा चेहरों ने विधानसभा में अपनी दस्तक दी. सुदेश कुमार महतो 30 वर्ष की उम्र में लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. इस विधानसभा चुनाव में 30 वर्ष आयु वर्ग के कई चेहरे चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे.

इसमें भवनाथपुर से भानु प्रताप शाही भी युवा चेहरा थे. लगभग 27 वर्ष की उम्र में वह पहली बार विधायक बने. बाद में मंत्री भी बने. इस तरह सुनील सोरेन 27 वर्ष की उम्र में जामा के विधायक बने. बिनोद कुमार सिंह 28 वर्ष की उम्र में बगोदर से चुनाव जीत कर पहली बार विधानसभा में पहुंचे थे.

2005 के विधानसभा चुनाव में भानु प्रताप शाही, विनोद सिंह, सुनील सोरेन पहली बार चुनावी राजनीति में भाग्य आजमा रहे थे और सफलता मिली. सुनील सोरेन दुमका के सांसद भी रहे. वर्तमान में भानु प्रताप शाही भवनाथपुर के विधायक और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं. वहीं, विनोद सिंह बगोदर से विधायक हैं. 2005 में सिसई से समीर उरांव (28 वर्ष) और ईचागढ़ से सुधीर महतो (30 वर्ष) ने विधानसभा चुनाव जीतकर राजनीतिक सफर शुरू किया था.

2014 में राजनीति में आये आलोक कुमार चौरसिया और संजीव सिंह

युवा नेतृत्व पर लोगों का भरोसा बढ़ा. इसलिए जिन युवाओं ने राजनीति में कदम रखा, उनपर जनता का भरोसा भी रहा. इसलिए वह दोबारा चुनकर आये. वर्ष 2014 में जो नये युवा चेहरा थे, उनमें दो नाम थे. डालटनगंज से आलोक कुमार चौरसिया (25 वर्ष) और झरिया से संजीव सिंह (28 वर्ष) विधायक बने. 2014 के विधानसभा में आलोक कुमार चौरसिया ने विधायक कृष्णा नंद त्रिपाठी को और संजीव सिंह ने विधायक कुंती देवी को बड़े अंतर से हराया था.

युवाओं ने 2009 के चुनाव में बदली राज्य की राजनीति की सूरत

विधानसभा चुनाव 2009 में कई युवा प्रत्याशी एक बार फिर राजनीति में सक्रिय हुए. पूर्व से बनी बनायी सत्ता का चेहरा बदला, जिसके उत्तराधिकारी 30 वर्ष से कम आयु वर्ग के नेता बने. अमित कुमार यादव 27 वर्ष की आयु में बरकट्टा से जीत हासिल की. वहीं, सिमरिया विधानसभा में जय प्रकाश सिंह भोगता (29 वर्ष) ने उपेंद्र नाथ दास को, गीता कोड़ा (26 वर्ष) ने मधु कोड़ा की जगह ली. इसके अलावा मनिका विधानसभा में हरिकृष्ण सिंह (30 वर्ष) ने विधायक रामचंद्र सिंह को मात दी थी.

2019 में चार युवा महिलाएं बनीं विधायक

वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में राजनीति का समीकरण तो बदला ही. साथ ही युवा नेतृत्वकर्ता की उम्र सीमा का दायरा भी बढ़ा. 2019 से पहले जहां 30 वर्ष या इससे कम उम्र के युवाओं को राजनीति में प्रवेश मिलता रहा. इस बार उम्र का दायरा 35 हुआ और युवा प्रत्याशी के अनुभव को देखकर जनता ने अपना जनादेश दिया. इससे महिला नेतृत्व को नयी ताकत मिली. 2019 के चुनाव में राज्य की 81 विधानसभा में से चार पर महिला युवा विधायक चुनकर आयीं.

झारखंड की राजनीति के युवा चेहरे 3

इस सूची में अंबा प्रसाद (31 वर्ष), ममता देवी (34 वर्ष), पूर्णिमा नीरज सिंह (34 वर्ष) और शिल्पी नेहा तिर्की (29 वर्ष) शामिल हैं. शिल्पी को 2022 के मांडर विधानसभा उप चुनाव में जीत मिली थी, तब उनकी उम्र 29 साल थी. वह 2019 के विधानसभा में सबसे कम उम्र की महिला विधायक हैं. इसके अलावा 2019 के चुनाव में 35 वर्ष तक के आयुवर्ग के विधायकों में बरकट्टा से अमित कुमार यादव (35 वर्ष) ने पूर्व विधायक जानकी प्रसाद यादव की जगह ली. वहीं, गोड्डा में अमित कुमार मंडल (34 वर्ष), लिट्टीपाड़ा में दिनेश विलियम मरांडी (34 वर्ष) और तमाड़ में विकास कुमार मुंडा (35 वर्ष) पहली बार विधायक चुने गये.

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