Jharkhand Election Result 2024: हेमंत ने ऐसे जीता झारखंड का रण, लोकनीति-सीएसडीएस ने करीब से जानी जमीनी हकीकत

प्रभात खबर के अनुरोध पर भारत की मशहूर शोध संस्था सीएसडीएस (सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज, दिल्ली) ने झारखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम के विभिन्न पहलुओं का गहन विश्लेषण किया है कि विपक्ष के जोरदार प्रचार अभियान के बावजूद चुनाव में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन की प्रचंड जीत कैसे हुई. इस गठबंधन के दोबारा सत्ता में आने की क्या वजह रही. आज पढ़िए ऐसे ही अन्य मुद्दों पर आधारित विश्लेषण शृंखला की पहली कड़ी.

By Kunal Kishore | November 26, 2024 9:20 AM

Jharkhand Election Result 2024 : लोकनीति-सीएसडीएस के फाउंडर संजय कुमार, एनआइटीटीइ एजुकेशन ट्रस्ट के निदेशक-अकादमिक संदीप शास्त्री और स्टडीज इन इंडियन पॉलिटिक्स के चीफ एडिटर सुहास पलसीकर ने झारखंड में इंडिया गठबंधन की जीत के कारणों को जानने का प्रयास किया है.

क्षेत्रीय दल रहे बीजेपी को रोकने में कामयाब, ये दो रहे मुख्य कारण

फिर एक बार एक क्षेत्रीय पार्टी भाजपा के रास्ते की बाधा बनी. हालांकि चुनावी नतीजा तो विजयी और पराजित प्रत्याशियों के ब्योरे में मिलेगा, लेकिन झारखंड ने जो व्यापक तस्वीर पेश की, उसके दो प्रधान तत्व हैं. एक है राज्य स्तरीय शक्तियों का पूरी क्षमता और दृढ़ता से अखिल भारतीय अतिक्रमण का मुकाबला करना और उसे रोकना. और दूसरा है आदिवासी अस्मिता पर केंद्रित क्षेत्रीय पहचान और सांस्कृतिक पहचान पर आधारित अखिल भारतीय आक्रामक अभियान के, जिसका लक्ष्य आदिवासियों को अपनी ओर आकर्षित करना था, बीच कड़ा मुकाबला. झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले गठबंधन की प्रभावी जीत रणनीतिक स्तर पर प्रभावी गठबंधन प्रबंधन और अभियान की जीत है, झामुमो नीत सरकार अपने प्रशासनिक ट्रैक रिकॉर्ड और आदिवासी हितों को सुरक्षित रखने की अपनी छवि की रक्षा कर रही थी. दूसरी ओर, भाजपा नीत गठबंधन ने एक व्यापक विमर्श पेश करने की कोशिश की, जो समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करती थी. इसके अलावा उसने सत्तारूढ़ सरकार की काहिली और भारी भ्रष्टाचार पर तीखा हमला बोला. भाजपा के विमर्श में हिंदूत्व को जगाने की आक्रामक रणनीति भी थी.

झामुमो ने आदिवासी इलाकों में किया स्वीप तो गैर आदिवासी इलाकों में बीजेपी रही मजबूत

झामुमो गठबंधन न सिर्फ अपना आदिवासी वोट बैंक बचाने में सफल रहा, बल्कि कांग्रेस के साथ मिलकर उसने गैर आदिवासी इलाकों में भी पैठ बढ़ायी. भाजपा ने गैर-आदिवासी इलाकों में तो अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन आदिवासी इलाकों में उसकी मजबूत पकड़ नहीं बन पायी. विजयी गठबंधन में झामुमो निश्चित तौर पर नेतृत्वकारी भूमिका में रहा और उसकी जीत का आंकड़ा 80 फीसदी रहा. गठबंधन में कांग्रेस की भूमिका जूनियर पार्टनर की रही और उसकी जीत का आंकड़ा 50 फीसदी से थोड़ा ही अधिक रहा.

सभी समाजों ने किया इंडिया गठबंधन का समर्थन, एनडीए बीजेपी पर रहा निर्भर

लोकनीति-सीएसडीएस का सर्वे उन तत्वों को चिह्नित करता है, जिसने इंडिया गठबंधन की जीत में भूमिका निभायी है. इंडिया गठबंधन में जहां तमाम पार्टियों के बीच बेहतर तालमेल था और जिसे राज्य के सभी क्षेत्रों से समर्थन मिला, वहीं एनडीए गठबंधन ज्यादातर भाजपा पर निर्भर था. इंडिया गठबंधन के साथियों के बीच सीटों का बेहतर वितरण हुआ, जबकि एनडीए में हर 10 सीटों में से सात पर भाजपा लड़ रही थी. इंडिया गठबंधन में सभी साथियों के साझा संदेश का उनको लाभ मिला. वोटरों के सभी आयु वर्गों के बीच इसे समर्थन मिला. ग्रामीण इलाकों में इंडिया गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया. गरीब, मध्य वर्ग और कम पढ़े-लिखे वोटरों का समर्थन इसके साथ था. अनुसूचित जातियों-जनजातियों, मुस्लिमों तथा यादवों का इसे समर्थन मिला. इसके सामाजिक गठजोड़ का पता इसमें शामिल झामुमो, कांग्रेस, राजद तथा कम्युनिस्ट पार्टियों को देखकर चलता है.

मतदाताओं ने पहले से मन बना लिया था किसे करना है वोट

लोकनीति-सीएसडीएस का सर्वे राज्य के वोटरों के बीच के तीव्र ध्रुवीकरण का पता देता है. हेमंत सोरेन सरकार के कामकाज से पूरी तरह संतुष्ट दो तिहाई मतदाताओं ने सत्तारूढ़ गठबंधन के पक्ष में वोट दिया. दूसरी तरफ सत्तारूढ़ गठबंधन के कामकाज से असंतुष्ट दो तिहाई लोगों ने एनडीए गठबंधन के पक्ष में वोट दिया. इससे साफ है कि संतुष्टि से ज्यादा मतदाताओं द्वारा पहले से एक गठबंधन के पक्ष में वोट देने के फैसले से यह परिणाम आया. हालांकि सोरेन सरकार की तुलना में मोदी सरकार के प्रति कुल संतुष्टि ज्यादा थी, लेकिन झामुमो के प्रति मतदाताओं के समर्थन ने वोटिंग पैटर्न को प्रभावित किया.

जमीनी स्तर पर मतदाता सरकार के विकास कार्य से नहीं थे संतुष्ट

आंकड़े बताते हैं कि राज्य के मतदाता जमीनी स्तर पर सरकार के विकास कार्यक्रमों से बहुत संतुष्ट नहीं थे. वे यह मान रहे थे कि पिछले पांच वर्षों में उद्योगों के स्तर पर स्थिति खराब हुई है और भ्रष्टाचार बढ़ा है. जबकि सांप्रदायिक हिंसा और नक्सलवाद के मोर्चे पर हालत में सुधार आया है. पर जिन लोगों ने बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई और विकास के अभाव की चर्चा की, उन्होंने इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों को वोट दिया.

महिलाओं ने बड़ी संख्या में किया इंडिया गठबंधन को वोट

दूसरी बात यह कि महिला मतदाताओं ने इंडिया गठबंधन को तरजीह दी. जिस एक और तत्व ने इंडिया गठबंधन के पक्ष में भूमिका निभायी, वह दरअसल मतदाताओं की यह सोच थी कि इस चुनाव में झारखंड राज्य का मुद्दा सबसे बड़ा है. एनडीए गठबंधन के समर्थन में आये राष्ट्रीय नेताओं का भी चुनावी नतीजे पर असर पड़ा.

एनडीए गठबंधन पूरी तरह पीएम मोदी पर निर्भर, लेकिन जनता को सीएम के तौर पर हेमंत पसंद

एनडीए गठबंधन को वोट देने वालों में से ज्यादातर ने नरेंद्र मोदी की भूमिका को रेखांकित किया. ऐसे ही, इंडिया गठबंधन को वोट देने वालों ने राहुल गांधी के असर को स्वीकारा. सर्वे में शामिल लोगों में से एक तिहाई हेमंत सोरेन को फिर से मुख्यमंत्री देखना चाहते थे. इस तरह भाजपा जहां नरेंद्र मोदी के करिश्मे पर पूरी तरह निर्भर था, वहीं इंडिया गठबंधन में प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर के कई नेताओं ने अपने प्रत्याशियों के पक्ष में वोट मांगे. इस तरह इंडिया गठबंधन की जीत आदिवासी इलाकों में झामुमो के और गैर आदिवासी इलाकों में उसकी सहयोगी पार्टियों के असर के कारण संभव हुई. जनसांख्यिकी के विभिन्न पैमाने पर इंडिया गठबंधन का समर्थन एनडीए से अधिक दिखा.

नहीं चला बंग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा, मतदाताओं ने स्थानीय मुद्दों को दी तरजीह

बेशक सत्तारूढ़ गठबंधन के दौर में भ्रष्टाचार की बात उभर कर सामने आयी, लेकिन दूसरे वोटिंग पैटर्न के हावी होने के कारण इंडिया गठबंधन सत्ता में दोबारा वापस आया. भाजपा ने समान नागरिक संहिता और बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दों पर मतदाताओं को ध्रुवीकृत करने की कोशिश की, लेकिन राज्य के मतदाताओं पर स्थानीय मुद्दों का असर ज्यादा था, जो कि सरना पहचान पर मतदाताओं की प्रतिक्रियाओं से पता चलता है. संताल समुदाय को छोड़कर भाजपा राज्य के और किसी आदिवासी समुदाय को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पायी. दीर्घावधि में भाजपा के सामने इस राज्य के आदिवासियों को अपने पक्ष में एकजुट करने की चुनौती रहेगी. इसे साधने के अलावा राज्य में हिंदुत्व के मुद्दे को धार दे पाने में उसकी सफलता से ही झारखंड में भविष्य का राजनीतिक मुकाबला तय होगा.

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