Jharkhand Elections Result: नयी सरकार से जनता को बहुत उम्मीदें, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
Jharkhand Elections Result : प्रभात खबर को राज्य के अलग-अलग क्षेत्र के चार विशेषज्ञों ने पांच-पांच प्राथमिकताएं बतायी हैं, जिन पर सरकार को विशेष काम करना चाहिए. विशेषज्ञों ने बताया है कि सरकार जल, जंगल और जमीनवाली है. सरकार को प्रशासनिक, सामाजिक, जनजातीय और आर्थिक क्षेत्र में विशेष काम करने की जरूरत है. पढ़ें विशेषज्ञों की राय.
Jharkhand Elections Result : राज्य में 56 विधायकों के समर्थन के साथ प्रचंड बहुमत से इंडिया गठबंधन की सरकार बन रही है. मुख्यमंत्री पद पर एक बार फिर हेमंत सोरेन होंगे. इंडिया गठबंधन ने चुनाव से पूर्व जनता से कुछ वायदे किये थे. सरकार से जनता को भी बहुत उम्मीदें है. जनता चाहती है कि सरकार उनकी उम्मीदों पर भी खरा उतरे. जिस उम्मीद के साथ सत्ता सौंपी है, वह पूरी हो. इसके लिए प्रभात खबर ने चार एक्सपर्ट्स से बात की. पढ़ें उनकी राय
जनजातीय हितों से जुड़े कार्य सरकार जारी रखे : प्रकाश राव
हमारे पहले एक्सपर्ट प्रकाश राव जो कि जनजातिय शोध संस्थान के पूर्व निदेशक हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में नयी सरकार है. नयी सरकार से उम्मीदें भी है. यह सरकार पिछली बार भी सत्ता में थी. पिछली सरकार ने जनजातीय या आदिवासियों के हितों में जो काम किया, उसका असर चुनाव परिणाम में दिखा. जनजातियों को आर्थिक के साथ-साथ सामाजिक रूप से भी मजबूत बनाने की जरूरत है. उनकी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करना, बड़ा होने का सपना दिखाना और उसे पूरा करना भी सरकार का काम है. हेमंत सोरेन के नेतृत्ववाली पिछली सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है. आगे इन पांच मुद्दों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
जनजातीय के लिए हो रोजगार का सृजन
राज्य में बड़ी संख्या में सरकारी और गैर सरकारी पद रिक्त हैं. इसमें जनजातीय भागीदारी भी है. रोजगार के सृजन से गैर जनजातीय के साथ-साथ जनजातीय आबादी को भी फायदा होगा. जनजातीय को रोजगार की सबसे अधिक जरूरत है. इससे उनका पलायन रुकेगा. गांव में समृद्धि आयेगी. इसके लिए सरकार को जल्द वैसे पदों को चिह्नित करना चाहिए,
जो खाली हैं. कई बैकलॉग पद भी होंगे, जहां जनजातीय बहाल नहीं हो पाये होंगे, वैसे पदों को भी चिह्नित करने की जरूरत है.
जल्द निकालें स्थानीयता का हल
राज्य को एक स्थानीय नीति की जरूरत है. इसका हल जरूर निकलना चाहिए. 1932 का खतियान लागू करने की कोशिश करें. इसका लाभ पुराने लोगों को मिलेगा. झारखंड के पुराने निवासी जनजातीय ही हैं. इससे राज्य का सामाजिक ताना-बाना सुधर सकता है. अभी जो बदलाव हो रहे हैं, उसे रोका जा सकता है. इससे जनजातीय समाज की सामाजिक भागीदारी भी बढ़ सकती है.
पेसा कानून को सशक्त बनायें
राज्य को पेसा कानून की जरूरत है. यह आदिवासी समाज के हितों की रक्षा करता है. नीचे स्तर पर आदिवासी समाज का सत्ता हस्तांतरण होता है. इससे स्थानीय लोगों को लाभ होगा. उनको अपने अनुसार काम करने का मौका मिलेगा. ऊपर से थोपे हुए काम करने के लिए बाध्य नहीं होंगे. वर्षों से यह मामला पेंडिंग है. राज्य गठन के 24 साल हो चुके हैं. इस पर पहले ही निर्णय हो जाना चाहिए था.
संस्थाओं को सशक्त करें
झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है. यहां के आदिवासियों के सामाजिक और आर्थिक ताना-बाना की रक्षा के लिए कई संस्थाएं बनी हुई है. इसको सशक्त करने की जरूरत है. जनजातीय शोध संस्थान जैसी संस्था आज पंगु हो गयी है. इसको मजबूत किया जाना चाहिए. पूरी संस्था प्रभार में चल रही है. इसको मजबूत नहीं करेंगे, तो जनजातीय के विकास के लिए बौद्धिक ज्ञान नहीं मिल पायेगा. एससी-एसटी थाने बनाये गये हैं. एसटी थाने में टाइम पास करने के लिए अधिकारियों की पोस्टिंग की जाती है.
लोकल सेल्फ गवर्नमेंट की मजबूती जरूरी : हरिश्वर दयाल
हमारे दूसरे एक्सपर्ट हरिश्वर दयाल जो कि अर्थशास्त्री है उन्होंने बताया कि राज्य में विकास की गति तेज करने के लिए लोकल सेल्फ गवर्नमेंट को मजबूत करने की जरूरत है. इससे सरकारी योजनाओं की पहुंच ज्यादा से ज्यादा लोगों तक हो सकेगी. नगर निकायों व पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाना होगा. इससे एक तरफ राज्य सरकार पर पड़नेवाला भार कम होगा, तो दूसरी तरफ वास्तविक लाभुकों तक योजनाओं का लाभ पहुंचेगा.
आधारभूत संरचना बेहतर हो
समग्र विकास के लिए राज्य की आधारभूत संरचनाओं को मजबूत करते हुए निवेशकों को आकर्षित करने की आवश्यकता है. बढ़िया आधारभूत संरचना होने पर ही निवेशक राज्य में निवेश करने पर रुचि लेंगे. राज्य में निवेश बढ़ेगा, तो जीडीपी में भी वृद्धि होगी. रोजगार की संख्या में इजाफा होगा. स्थानीय लोगों को रोजगार सुलभ होगा.
शिक्षा में काम करने की आवश्यकता
शिक्षा विशेष तौर पर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में काम करने की जरूरत है. शिक्षा की गुणवत्ता में काफी सुधार की जरूरत है.
इस पर मेहनत कर झारखंड को एजुकेशनल हब के रूप में विकसित किया जा सकता है. वर्तमान में झारखंड के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए बाहर जाना पड़ता है. शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होने से न केवल राज्य के विद्यार्थियों का पलायन रुकेगा. बल्कि, पड़ोसी राज्यों के बच्चे भी झारखंड आयेंगे.
स्वास्थ्य सुविधाओं के भी विस्तार और गुणवत्ता में सुधार करें
यही बात स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी लागू होती है. झारखंड के साथ पड़ोसी राज्यों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं की खासी कमी है. राज्य के पास मेडिकल फैसिलिटी का विस्तार करते हुए गुणवत्ता में सुधार करने की पूरी क्षमता है. बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का निर्माण करने से राज्य के लोगों को इससे फायदा तो पहुंचेगा ही, साथ में पड़ोसी राज्यों से भी लोग यहां आयेंगे. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता में सुधार का असर राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. इससे सरकारी कोष में वृद्धि के साथ लोगों के लिए रोजगार के नये द्वार खुलेंगे.
लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत करें
विकसित राज्य बनाने के लिए वहां रहनेवाले लोगों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होना जरूरी है. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को स्वावलंबी बनाना होगा. खास तौर पर महिलाओं को. ग्रामीणों के लिए आमदनी के नये रास्ते खोलने होंगे. पलायन रोकना होगा. इन सबके लिए राज्य सरकार को लोगों के इंपावरमेंट व लाइवलीहुड प्रमोशन पर काम करना होगा. इसके लिए गैर सरकारी संस्थाओं की भी सहायता ली जा सकती है.
मंईयां योजना से सशक्त होंगी राज्य की महिलाएं : बलराम
हमारे तीसरे एक्सपर्ट बलराम हैं जो कि सुप्रिम कोर्ट के पूर्व खाद्य सुरक्षा सलाहकार रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव में जाने से पहले पार्टियां कई तरह के वादे करती हैं. चुनावी घोषणा पत्र में इसको शामिल किया जाता है. घोषणा पत्र में की गयी बातें ही अगर पूरी हो जायें, तो जनआकांक्षाएं पूरी हो जायेगी, क्योंकि जनता इसी को देखकर मतदान करती है. लोग चाहते हैं कि सरकार ने जो वादा किया है, उसे पूरा किया जाना चाहिए. सामाजिक क्षेत्र में सरकार को ऐसा काम करना चाहिए, जिससे व्यवस्था में बदलाव होता दिखे. सरकार को इसके लिए प्राथमिकता तय करनी चाहिए.
मंईयां योजना का वादा पूरा करें
हेमंत सरकार ने चुनाव में मंईयां योजना की राशि 2500 रुपये करने का वादा किया है. इसको पूरा किया जाना चाहिए. झारखंड के लोगों को अभी कैश की जरूरत है. इसमें बिचौलिये नहीं हैं. नकद राशि लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त कर रही है. यह राज्य में पहली बार शुरू किया गया है. चुनाव से ठीक पहले शुरू की गयी इस योजना को मजबूती से चलाया जाना चाहिए.
पोषण और खाद्य सुरक्षा पर ध्यान दें
राज्य में कुपोषण सबसे बड़ी समस्या है. इसको दूर करने के लिए प्रयास होना चाहिए. कई लोगों को आज भी राशन नहीं मिल पाया है. ऐसे लोगों को खाद्य सुरक्षा देने की जरूरत है. सरकार के पास पोषण और खाद्य सुरक्षा की योजना है, लेकिन इसका उचित संचालन नहीं हो रहा है. राशन में मिलनेवाले अनाज की गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण है. इसका ख्याल रखा जाना चाहिए. आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को जो पोषण मिल रहा है, उसकी गुणवत्ता का ख्याल रखना चाहिए.
जलसंकट बड़ी समस्या, इस पर ध्यान देने की जरूरत
जलसंकट राज्य की बड़ी समस्या है. लोगों को पीने का शुद्ध पेयजल नहीं मिल पाता है. खेती के लिए पानी की कमी है. यह राज्य की सबसे बड़ी समस्या है. इसको दूर किया जाना चाहिए. इसको लेकर राज्य गठन के 24 साल बाद भी कोई विशेष प्रयास नहीं दिखता है. सिंचाई और पीने की पानी की समस्या दूर हो जायेगी, झारखंड की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में भी बदलाव दिखेगा. इसके साथ ही राज्य में बड़ी मात्रा में जमीन खराब हो रही है. उसकी गुणवत्ता बनाये रखने का विशेष प्रयास करना चाहिए. यह खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण के लिए भी जरूरी है.
भूमि बचाने का प्रयास करें
सरकार को उपलब्ध भूमि बचाने का प्रयास करना चाहिए. कॉरपोरेट को दी जानेवाली भूमि का सही उपयोग नहीं हो रहा है. कंपनियां जमीन ले रही है, लेकिन इसका उपयोग नहीं कर रही है. यहां की जंगल और जमीन पर भी कब्जा हो रहा है. इससे निबटने के लिए कड़ाई से काम होना चाहिए. यह सामाजिक व्यवस्था को बिगाड़ता है.
शिक्षा को प्राथमिकता प्रदान करे सरकार
राज्य में शैक्षणिक स्थिति आज भी बहुत अच्छी नहीं है. यहां के लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है. इस कारण पलायन एक बड़ी समस्या है. स्थानीय स्तर पर रोजगार देने के लिए यहां के युवाओं को तकनीकी शिक्षा से जोड़ना होगा. यहां रोजगार का साधन सृजित करना होगा. झारखंड के लिए पलायन आज भी सबसे बड़ी समस्या है. दूसरे राज्यों में जाने पर यहां के युवाओं का शोषण होता है. उनका भविष्य यहां गढ़ने का प्रयास होना चाहिए.
एडवाइजरी काउंसिल बना कर सलाह ले सरकार : डॉ एके सिंह
हमारे चौथे एकस्पर्ट राज्य के पूर्व मुख्य सचिव डॉ एके सिंह हैं जिन्होंने कहा कि झारखंड की सत्ता पर फिर से आ रही हेमंत सरकार के कुशल संचालन के लिए सबसे पहले एडवाइजरी काउंसिल का गठन हो. देश के बड़े और जानकार अर्थशास्त्री से लेकर प्रशासनिक कार्यों के ज्ञाताओं को अवैतनिक इस काउंसिल में रख कर सरकार के बेहतर संचालन का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है.
प्रशासनिक सुदृढ़ीकरण
प्रशासनिक सुदृढ़ीकरण पर बल दिया जाये. मंत्री से लेकर सचिव और बीडीओ-सीओ तक का समयबद्ध कार्य संबंधी लक्ष्य तय हो. लक्ष्य एक माह, दो माह, छह माह और साल भर का हो. बेहतर करनेवाले पुरस्कृत तथा गलत करनेवाले दंडित हों. यह तय हो कि शिक्षक पढ़ायें, डॉक्टर इलाज करें और कर्मचारी-अधिकारी अपना काम करें. जो भी जहां हैं, वह अपना काम ईमानदारी से करे, तो सब कुछ स्वत: ठीक हो जायेगा. उतरदायित्व का निर्वहन करायें. सत्ता का विकेंद्रीकरण हो. नीचे पंचायत तक के तंत्र मजबूत हों, ताकि ग्रामीणों की समस्याओं का हल गांव में ही हो. उन्हें सचिवालय व जिला न आना पड़े.
आर्थिक विकास व वित्तीय प्रबंधन
चुनाव के पूर्व जनता से किये गये वादे को पूरा करने के लिए आर्थिक विकास जरूरी है. इसके लिए कुशल वित्तीय प्रबंधन व आर्थिक विकास जरूरी है. सरकारी पैसे का सदुपयोग हो. सड़क, पुल, डैम जो भी बने, गुणवत्तापूर्ण हो. कोयला व अन्य खनिज का अवैध ट्रांसपोर्टेशन रोक कर बड़ा राजस्व बचाया जा सकता है. राजस्व उगाही को बढ़ाना होगा. इस पर सतत निगरानी कर आर्थिक स्रोत बढ़ाने होंगे. केंद्र सरकार के पास से बकाया लाने का सकारात्मक प्रयास जरूरी है.
मानव संसाधन की कमी
डॉ सिंह ने कहा कि सचिवालय से लेकर प्रखंड व अंचल कार्यालय में कर्मियों की भारी कमी है. देखना होगा कि कहां बीडीओ-सीओ, हल्का कर्मचारी, अमीन नहीं हैं. जहां कर्मियों की कमी है, वहां नियुक्ति हो. इससे रोजगार बढ़ेगा. युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के ये महत्वपूर्ण रास्ते हैं. जो पद अब प्रासंगिक नहीं है, उसे समाप्त किया जाये. पुलिस महकमे में भी रिक्तियां हैं. सारे सृजित पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाये. जेपीएससी, एसएससी में नियमित अध्यक्ष हों.
शिक्षा-चिकित्सा की बेहतर व्यवस्था
उन्होंने कहा कि देखना होगा कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में कितनी रिक्तियां हैं. स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में खाली पदों को तत्काल भरना होगा. मेडिकल कॉलेजों के रिक्त पदों को भी भरना होगा. विश्वविद्यालयों में भी रिक्तियां भर कर उसका बेहतर संचालन हो. बड़े पदों जैसे वीसी, रजिस्ट्रार के पद भी एक-दो माह में भरे जायें. शिक्षा की पूरी व्यवस्था में सुधार हो.
भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे आधारभूत संरचना बने
डॉ सिंह ने कहा कि सर्वोच्च प्राथमिकता भ्रष्टाचार निवारण हो. ऐसी व्यवस्था हो कि भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म न हो, तो भी बहुत कम हो जाये. योजनाएं गुणवत्तापूर्ण हो. सड़क, पुल, डैम सब कुछ बेहतर गुणवत्तावाले हो. पैसे का सदुपयोग हो. पुलिस को भी जवाबदेह बनाना होगा. आधारभूत संरचना के विकास में आवश्यकता आधारित योजनाएं लेनी होगी. सिंचाई योजनाएं, पेयजल योजनाओं, सड़क, पुल, पेयजल आपूर्ति पर फोकस हो.
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