झारखंड में बिजली संकट के कारण 18 हजार उद्योग घाटे में, जानें किस प्रमंडल की क्या है स्थिति

बिजली कटौती से व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. इन उद्योगों में जेनरेटर का इस्तेमाल बढ़ने से उत्पादन लागत दो से तीन गुना बढ़ गयी है. लोग झारखंड के बजाय दूसरे राज्यों से उत्पाद खरीद रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | November 28, 2022 6:21 AM

झारखंड में पिछले दो माह से जारी बिजली कटौती से छोटे-बड़े उद्योग अब संकट में हैं. रांची, जमशेदपुर, धनबाद और बोकारो जैसे औद्योगिक शहरों में भी रोजाना चार से छह घंटे बिजली की कटौती हो रही है. झारखंड के वितरण निगम के इलाकों में रोजाना करीब 1300 मेगावाट की डिमांड दर्ज हो रही है, जबकि इसमें 500 मेगावाट की खरीद नहीं हो पा रही है. नतीजतन, राज्य के 18 हजार से अधिक लघु व कुटीर उद्योग, जो पूरी तरह बिजली पर ही आश्रित हैं, वह संकट में हैं.

बिजली कटौती से इनके व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. इन उद्योगों में जेनरेटर का इस्तेमाल बढ़ने से उत्पादन लागत दो से तीन गुना बढ़ गयी है. लोग झारखंड के बजाय दूसरे राज्यों से उत्पाद खरीद रहे हैं. सिर्फ रांची में ही कोकर, नामकुम, तुपुदाना, नगड़ी, ओरमांझी सहित अन्य जगहों के 2,000 से अधिक छोटे-बड़े उद्योगों में काम जारी रखना अब मुश्किल हो रहा है.

इससे इनमें काम करनेवाले लगभग 60 हजार कामगारों के समक्ष रोजी रोजगार का संकट पैदा हो जायेगा. रांची के छोटे-बड़े उद्योगों का मासिक टर्न ओवर लगभग 1000 करोड़ रुपये है, बिजली संकट से इन उद्योगों को इस समय हर माह 150 से 160 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है

उद्योगों को पावर कट से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. प्लास्टिक उद्योग से जुड़े उद्योगपति बताते हैं कि एक बार मशीन बंद होने पर दूसरी बार मशीन को चालू करने में लगभग एक घंटे का समय लग जाता है. मशीन चालू रहने के दौरान बिजली कटती है, तो उसमें फंसा लगभग 90 प्रतिशत माल खराब हो जाता है. नगड़ी के एक उद्यमी ने कहा कि हर माह जहां औसतन 4़ 5 लाख रुपये बिजली बिल आता था, अब पांच लाख रुपये से अधिक के डीजल की खपत हो रही है.

पूरा बिजली नहीं मिलने पर फिक्स चार्ज में घंटे के हिसाब से छूट भी नहीं दी जा रही है. पूरा 100 प्रतिशत चार्ज किया जा रहा है. कोकर इंडस्ट्रियल एरिया के एक उद्यमी ने कहा कि जिस भी कंपनी से हमें ऑर्डर मिला है, समय पर माल नहीं दिया, तो आने वाले समय में हमें ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है. उत्पादन लागत बढ़ने के बाद भी समय पर माल देना मजबूरी है.

सभी प्रमंडल में हो रही बिजली कटौती

बड़े उद्योगों की डीजल पर निर्भरता बढ़ी, लागत दो से तीन गुना तक बढ़ने से बाजार में मांग घटी

जिन औद्योगिक इकाइयों में औसतन साढ़े चार लाख का बिजली बिल आता था, वहां अभी पांच लाख से ज्यादा के डीजल की हो रही है खपत

रांची के छोटे-बड़े उद्योगों का मासिक टर्न ओवर लगभग 1000 करोड़, बिजली संकट से इस समय हर माह 150 से 160 करोड़ का हो रहा घाटा

सभी प्रमंडल में हो रही बिजली कटौती

उत्तरी छोटानागपुर : यहां की स्थिति सबसे बुरी है. यहां बड़ा इलाका डीवीसी के कमांड एरिया में पड़ता है. घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली देने की जिम्मेदारी झारखंड बिजली बोर्ड की है. यहां भी 200 करोड़ बकाया रहने के चलते बिजली कटौती जारी है.

दक्षिणी छोटानागपुर : प्रमंडल में राजधानी रांची से गुमला, लोहरदगा, कामडारा तक का इलाका है. सबसे अच्छी स्थिति रांची की है. यहां 18 से 22 घंटे तक बिजली मिल रही है. पर बाहरी इलाकों में सटे जिलों में 15 घंटे ही बिजली मिल रही है.

संताल परगना : यहां के छह जिलों में 250 मेगावाट से अधिक बिजली चाहिए. पर एक सप्ताह से रोजाना औसतन 100 मेगावाट से कुछ अधिक की ही आपूर्ति हुई है. पीक आवर में देवघर, पाकुड़, गोड्डा, साहिबगंज में 14-15 घंटे ही बिजली मिल पाती है.

कोल्हान प्रमंडल : यहां सरायकेला-खरसावां जिले में 12 से 16 घंटे बिजली मिलती है. आदित्यपुर औद्योगिक एरिया राज्य के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है. 1000 से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. बिजली की मार से इन्हें करोड़ों का नुकसान हो रहा है.

डिमांड : 1800 मेगावाट

आपूर्ति : 1004 मेगावाट

कमी : 796 मेगावाट

लगातार उधारी बढ़ने से राज्य में बिजली संकट

रांची. राज्य के आधे से अधिक हिस्सों को पीक आवर में 12 घंटे भी बिजली नहीं मिल रही है. रांची व जमशेदपुर जैसे बड़े इलाकों में किसी तरह 18 से 20 घंटे बिजली दी जा रही है. ग्रामीण और सुदूरवर्ती इलाकों की स्थिति तो और भी खराब है. राज्य सरकार की बिजली कंपनियों पर उधारी के चलते अतिरिक्त बिजली की खरीदारी बंद कर दी गयी है. लंबे समय के लिए आधुनिक पावर से 180 मेगावाट की खरीद पर पूरी तरह से रोक है.

क्रेडिट सुविधा रहने पर पूर्व में जेबीवीएनएल देश भर की विभिन्न पावर कंपनियों से इंडियन एनर्जी एक्सचेंज के माध्यम से प्रतिदिन तय 12 रुपये प्रति यूनिट की दर से करीब पांच से आठ करोड़ रुपये की अतिरिक्त बिजली खरीद कर उपभोक्ताओं को देता था. लेकिन, उधारी बढ़ते जाने के चलते इस खरीद पर केंद्र सरकार ने नये नियमों के तहत रोक लगा दी है.

ओरमांझी की एक यूनिट में एक सप्ताह में कटी बिजली

तिथि इतने घंटे कटी ट्रिपिंग

25 नवंबर 05.00 घंटे आठ बार

24 नवंबर 09.00 घंटे सात बार

23 नवंबर 3.40 घंटे चार बार

22 नवंबर 4.30 घंटे आठ बार

21 नवंबर 4.45 घंटे छह बार

19 नवंबर 5.45 घंटे पांच बार

18 नवंबर 5.05 घंटे नौ बार

क्या कहते हैं उद्योगपति

यही हाल रहा, तो उद्योग पलायन के लिए मजबूर होंगे. जेबीवीएनएल के एमडी से कई बार मिलने का समय मांगा गया, पर कोई जवाब नहीं दिया गया. इससे पता चलता है कि यहां के उच्चाधिकारियों को उद्योगों की परेशानी से कोई मतलब नहीं है.

– अंजय पचेरीवाला, अध्यक्ष, जेसिया

बिजली विभाग की नाकामी उद्योगों के विकास में बाधा बन रही है. इससे राज्य के राजस्व को भी नुकसान हो रहा है. वर्तमान स्थिति को देखते हुए बिजली वितरण की जिम्मेवारी निजी हाथों में देना जरूरी हो गया है.

– दीपक मारू, पूर्व सचिव, जेसिया

बिजली की स्थिति गंभीर बन गयी है. जब तक उद्योगों को 24 घंटे बिजली नहीं मिलेगी, उद्योगों का विकास संभव नहीं है. इससे नुकसान यह है कि यहां पर नये उद्योग आने की जगह यहां के पुराने उद्योग भी बंद करके बाहर जाने को मजबूर होंगे.

– किशोर मंत्री, अध्यक्ष, झारखंड चेंबर

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