रांची: झारखंड में हो रही बिजली कटौती का नकारात्मक असर दिखने लगा है. उद्यमियों का कहना है कि अब झारखंड में नये प्लांट लगाना या प्लांट का विस्तार करना संभव नहीं है. किसी भी उद्योग के लिए बिजली बहुत जरूरी है. जब बिजली ही समय पर न मिले, तो आखिर उद्योग को कैसे चलायेंगे? जेनरेटर के भरोसे आखिर कितने साल तक उद्योग चलायेंगे?
लगभग 40 साल से बीआइटी मेसरा के निकट रक्षा उपकरणों का निर्माण करनेवाली कंपनी एलकास्ट के मालिक एसके अग्रवाल ने कहा कि कभी सोचा नहीं था कि यह दिन देखना पड़ेगा. मजबूरन प्लांट का विस्तार करने के लिए यूपी का रुख करना पड़ रहा है. इसके लिए यूपी में बात चल रही है. झारखंड में बार-बार बिजली कटौती से रक्षा उपकरण की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है.
रक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता महत्वपूर्ण है. प्लांट में मशीन कंप्यूटराइज है. डिफेंस सेक्टर को आगे बढ़ाने के लिए काम चल रहा है. यहां से एक्सपोर्ट भी हो रहा है. यहां पर प्लांट का विस्तार करने पर लगभग 20 करोड़ रुपये का निवेश होता और लगभग 100 लोगों को रोजगार मिल सकता था. लेकिन, मेरे पास कोई विकल्प नहीं है.
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खूंटी में 1999 से तजना रीवर इंडस्ट्रीज लाह का काम करती है. लाह से सीडलैक और अन्य उत्पाद बनाये जाते हैं. इंडस्ट्रीज के मालिक अरुण शर्मा ने कहा कि एक बार बिजली कटने और तुरंत पावर सप्लाई नहीं मिलने पर एक पूरा बैच खराब हो जाता है. इसमें लगभग 800 किलो सामान बर्बाद होता है. नुकसान की बात करें, तो हर बार पावर कट से लगभग दो से 2़ 5 लाख रुपये का नुकसान हो जाता है. वर्तमान स्थिति में यहां पर प्लांट का विस्तार करना संभव नहीं रहा. अब दूसरी जगह जाने पर विचार कर रहे हैं.