Loading election data...

कर्ज में डूबा जेबीवीएनएल, 8 हजार करोड़ से ज्यादा की है देनदारी, झारखंड सरकार से मांगा सब्सिडी

जेबीवीएनएल ने ऊर्जा विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि उपभोक्ताओं को वित्तीय वर्ष 2020-21 में 1600 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गयी थी. इसमें किसानों की सब्सिडी भी शामिल है. इसके एवज में राज्य सरकार द्वारा पिछले वर्ष एक हजार करोड़ रुपये दिये गये हैं. वहीं, वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2200 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जायेगी. पिछले वर्ष और इस वर्ष का सब्सिडी का मिलाकर 2800 करोड़ रुपये होता है. सरकार से इस राशि की मांग की गयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 9, 2021 9:04 AM
an image

Loan In Jbvnl Jharkhand रांची : झारखंड बिजली वितरण निगम (जेबीवीएनएल) पर 8299.81 करोड़ की देनदारी हो गयी है. ये देनदारी डीवीसी, एनटीपीसी, टीवीएनएल समेत अन्य कंपनियों से बिजली खरीदे जाने के मद में है. अब जेबीवीएनएल ने सरकार से उपभोक्ताओं के मद में दी जानेवाली सब्सिडी की राशि के एवज में 2800 करोड़ रुपये की मांग की है.

जेबीवीएनएल ने ऊर्जा विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि उपभोक्ताओं को वित्तीय वर्ष 2020-21 में 1600 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गयी थी. इसमें किसानों की सब्सिडी भी शामिल है. इसके एवज में राज्य सरकार द्वारा पिछले वर्ष एक हजार करोड़ रुपये दिये गये हैं. वहीं, वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2200 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जायेगी. पिछले वर्ष और इस वर्ष का सब्सिडी का मिलाकर 2800 करोड़ रुपये होता है. सरकार से इस राशि की मांग की गयी है.

सब्सिडी मिलने से कम होगा बकाये का भार :

निगम द्वारा कहा गया है कि यदि सरकार 2800 करोड़ रुपये की सब्सिडी का भुगतान कर देती है, तो इससे कुछ हद तक बकाया का भार कम हो सकेगा. फिर निगम अपने स्रोत से भी बकाये का भुगतान करने के प्रयास में है. निगम ने सरकार से इस मसले पर गंभीरतापूर्वक विचार कर सब्सिडी के भुगतान का आग्रह किया है.

बिजली कंपनियां बिजली काटने की देती रहती हैं चेतावनी :

जेबीवीएनएल ने कहा है कि उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति करने के लिए विभिन्न बिजली कंपनियों से बिजली खरीदनी पड़ती है और इनका बकाया बढ़ता जा रहा है. इस कारण आये दिन कभी डीवीसी, तो कभी एनटीपीसी बिजली काटने की चेतावनी देती रहती है. कई बार डीवीसी द्वारा बिजली कटौती भी की गयी है. ऐसे में उपभोक्ताओं के समक्ष संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.

Posted By : Sameer Oraon

Exit mobile version