झारखंड को समृद्ध बनाने के लिए आज भी ‘जय किसान…’ जैसे नारों की जरूरत
देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 में ‘जय जवान...! जय किसान...!’ का नारा दिया था. उनका मानना था कि देश खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर होगा, तो यहां के लोग कोई भी लड़ाई लड़ सकते हैं. भूखे रहकर लड़ाई नहीं हो सकती है. इसी कारण वह चाहते थे कि किसान समृद्ध रहें.
Ranchi News: देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 में ‘जय जवान…! जय किसान…!’ का नारा दिया था. उनका मानना था कि देश खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर होगा, तो यहां के लोग कोई भी लड़ाई लड़ सकते हैं. भूखे रहकर लड़ाई नहीं हो सकती है. इसी कारण वह चाहते थे कि किसान समृद्ध रहें. किसानों को समृद्ध करने के लिए उन्होंने कई योजनाएं चलायीं. इसका असर भी उत्तर भारत के कई राज्यों में दिखा. देश खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हो गया. बिहार से अलग होने के बाद झारखंड भी कृषि के क्षेत्र में बदलाव का प्रयास कर रहा है. स्थिति बदल रही है. लेकिन, आज भी किसानों में समृद्धि नहीं आयी है. सभी इनपुट होने के बावजूद भी आज किसान मौसम के भरोसे रहते हैं. बारिश का इंतजार करते हैं. बारिश नहीं होने की स्थिति में खेती प्रभावित हो जाती है. यही कारण है कि 22 साल झारखंड बने हो गये, लेकिन चार से पांच बार झारखंड के किसान सूखा झेल चुके हैं. इस वर्ष आधा राज्य सूखे के चपेट में है. लाल बहादुर शास्त्री के प्यारे किसान आज भी चाहते हैं कि उनकी खेत में पानी पहुंच जाये. पानी मिल जायेगा, तो खेती हो जायेगी.
सरकार को करनी होगी पानी की व्यवस्था
चान्हो के किसान विकास कुमार कहते हैं कि सरकार पानी की व्यवस्था नहीं करेगी, तो खेती को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है. झारखंड में आज भी सिंचाई की सबसे बड़ी समस्या है. राज्य में अलग-अलग स्थिति के लिए सिंचाई के अलग-अलग व्यवस्था की जरूरत है. अगर ऐसा नहीं होगा, तो यहां के किसानों का पलायन नहीं रुकेगा. इस वर्ष भी चान्हो में 30-30 एकड़ जोतवाले किसानों का पलायन हो गया है. नगड़ी, रांची के किसान विनोद केसरी भी कहते हैं कि किसानों के खेत को पानी चाहिए. अगर सरकार सिंचाई नदी और नालों से नहीं कर सकती है, तो बोरिंग की सुविधा देनी चाहिए. चार-पांच किसानों को मिलाकर बोरिंग की सुविधा देगी, तो पानी मिलने लगेगा. किसानों को इसके अतिरिक्त और कोई इनपुट की जरूरत नहीं है.
इस वर्ष भी कई योजनाओं पर अब तक काम शुरू नहीं
कृषि विभाग में इस वर्ष भी आधे से अधिक स्कीम का राज्यादेश नहीं निकल पाया है. इस कारण किसानों को समय पर लाभ नहीं मिल पा रहा है. तालाब निर्माण, मुख्यमंत्री कृषि उपकरण वितरण योजना के साथ-साथ कई अन्य स्कीम है, जिसका लाभ समय पर नहीं मिल पाता है. कृषि विभाग किसानों के लिए तीन दर्जन से अधिक स्कीम का संचालन करती है. इसमें कई स्कीम केंद्र सरकार के साथ मिल कर चलायी जाती है. केंद्र सरकार से समय पर अनुदान नहीं मिलने के कारण भी कई स्कीम समय पर शुरू नहीं हो पाती है. यहां उद्यान विकास की काफी संभावना है. इसमें उल्लेखनीय काम नहीं हो पाया है.
वैज्ञानिक बनाइये, विज्ञान पढ़िये, बिना पानी कुछ नहीं
भारतीय किसान सभा के केडी सिंह कहते हैं कि झारखंड के किसानों को खेत में पानी चाहिए. यहां वैज्ञानिक बनाने और विज्ञान पढ़ाने से कुछ नहीं होनेवाला है. पानी मिलेगा, तो किसान जिंदा रहेंगे. किसान का जय तभी होगा, जब उनके खेत के अनुरूप पानी पहुंचाने की व्यवस्था होगी. पलामू आज भी सूखे में है. वहां मंडल डैम से पानी मिल सकता है. लेकिन, यह राजनीति में फंसा है.