अपनी गिरफ्तारी को रात में ही चुनौती दे डाली थी हेमंत सोरेन ने, जानें उसके बाद क्या हुआ
हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी की रात में ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी. लेकिन उस वक्त इस केस की सुनवाई नहीं हुई.
रांची : पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को झारखंड हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. लंबे समय से जमानत के लिए प्रयासरत रहे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री को जमानत मिल गयी है. जिसके बाद वे गुरुवार शाम 4 बजे जेल के बाहर आ गये. उनके बाहर आने के साथ ही झामुमो नेताओं ने इसे सत्य की जीत बताया है और अदालत के फैसले के प्रति आभार जताया है. ईडी ने उन्हें 8 अगस्त को पहला समन भेजा था. इसके बाद 31 जनवरी को लंबी पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.
हेमंत सोरेन ने दी थी गिरफ्तारी को चुनौती
गिरफ्तार होने के बाद हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी की रात में ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी. लेकिन उस वक्त इस केस की सुनवाई नहीं हुई. बाद में जब इस मामले में सुनवाई हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पहले हाईकोर्ट जाने को कहा. जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रूख किया. जब अदालत के फैसले आने में देर हुई तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का फिर से रूख किया. लेकिन 3 मई हाईकोर्ट ने ईडी कि गिरफ्तारी को वैध ठहराते हुए उनकी याचिका निरस्त कर दी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में 13 मई को इस मामले की सुनवाई की. 17 मई को इस मामले फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को यह कह कर निरस्त कर दिया कि इस मामले का फैसला हाईकोर्ट कर चुका है. लेकिन आपने उस चीज का अपनी याचिका में उल्लेख नहीं किया है.
अंतरिम जमानत के लिए भी दायर की थी याचिका
इस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए कोर्ट ने जमानत दे दी. इसके बाद उन्हीं की तर्ज पर हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने अंतरिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी. जिसकी सुनवाई 21 मई को हुई. जब इस मामले में सुनवाई पूरी नहीं हुई तो 22 मई फिर इस मामले की सुनवाई हुई. जहां ईडी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि हेमंत सोरेन को चुनाव से पहले ही गिरफ्तार किया गया था. हेमंत सोरेन का मामला संज्ञान में आने के बाद विशेष न्यायलय ने इस पर संज्ञान लिया था. जबकि अरविंद केजरीवाल के केस में ऐसी स्थिति नहीं है.
अपने चाचा के श्राद्धकर्म में शामिल होने के लिए आए थे जेल से बाहर
इस बीच हेमंत सोरेन केवल एक दिन के लिए कोर्ट के आदेश से 6 मई को अपने चाचा के श्राद्धकर्म में शामिल होने के लिए जेल से बाहर आए थे. 3 मई को हाईकोर्ट ने उन्हें पुलिस हिरासत में अपने चाचा के श्राद्धकर्म में भाग लेने की इजाजत दी. 28 फरवरी को अदालत ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इससे पहले इस मामले की सुनवाई पीएमएलए कोर्ट में हुई थी. जहां उन्होंने उनकी इस याचिका को खारिज कर दी थी.
हेमंत सोरेन को ईडी ने भेजा था समन
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से पहले ईडी ने पूछताछ के लिए 10 समन भेजा था. लेकिन आठवें समन तक वे ईडी कार्यालय में उपस्थित नहीं हुए. नौवें समन में उन्होंने पूछताछ के लिए जांच एजेंसी को अपने आवास पर बुलाया. पूछताछ पूरी नहीं हुई तो दसवें समन में ईडी ने फिर से पूछताछ के लिए समय मांगा. इसके बाद 31 जनवरी को पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
कब कब भेजा गया समन
पहला समन : 8 अगस्त को भेजा गया, 14 अगस्त को हाजिर होने का था निर्देश
दूसरा समन : 19 अगस्त को भेजा गया , 24 अ गस्त को हाजिर होने का था निर्देश
तीसरा समन : 1 सितंबर को भेजा गया, 9 सितंबर को हाजिर होने का था निर्देश
चौथा समन : 17 सितंबर को भेजा गया, 23 सितंबर को हाजिर होने का था निर्देश
पांचवा समन : 26 सितंबर को भेजा गया, 4 अक्टूबर को हाजिर होने का था निर्देश
छठा समन : 11 दिसंबर को भेजा गया, 12 दिसंबर को हाजिर होने का है निर्देश
सातवां समन : 29 दिसंबर को भेजा गया, पूछताछ के लिए समय और जगह खुद तय करने को कहा
आठवां समन : 13 जनवरी को भेजा गया, 16-20 जनवरी तक बयान दर्ज कराने का समय
पूछताछ : 20 जनवरी को हुई सीएम से पहली बार पूछताछ
नौवां समन : 25 जनवरी को भेजा गया, पूछताछ के लिए 27 से 31 जनवरी का समय
दसवां समन : 27 जनवरी को भेजा गया है, बयान दर्ज कराने के लिए 29-31 जनवरी तक का समय
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