झारखंड उत्पाद विधेयक 2022: सरकार ने राज्यपाल की आपत्ति को किया खारिज, विभाग ने दिया ये जवाब

झारखंड राज्य बिवरेज कॉरपोरेशन लि के माध्यम से शराब की खुदरा बिक्री हो रही है. इसके लिए उत्पाद विभाग ने नीति निर्धारित कर नयी व्यवस्था के तहत शराब का व्यापार शुरू किया है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 16, 2022 9:23 AM

झारखंड सरकार ने झारखंड उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2022 पर राज्यपाल रमेश बैस की आपत्तियों को खारिज कर दिया है. पूर्व में विधानसभा के पटल पर रखे गये विधेयक को बिना किसी संशोधन के सदन में पेश किया जायेगा. राज्यपाल की आपत्तियों पर उत्पाद विभाग द्वारा दिये गये जवाब पर संतुष्ट होते हुए बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस पर सहमति दी गयी. विधानसभा के अगले सत्र में विधेयक फिर से पारित कराने के लिए पटल पर रखा जायेगा.

मई 2022 से झारखंड राज्य बिवरेज कॉरपोरेशन लि के माध्यम से शराब की खुदरा बिक्री हो रही है. इसके लिए उत्पाद विभाग ने नीति निर्धारित कर नयी व्यवस्था के तहत शराब का व्यापार शुरू किया है. नयी नीति के अनुरूप कानून में बदलाव के लिए विधानसभा ने झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 पारित की. इसे राज्यपाल को भेजा गया था. इस विधेयक पर राज्यपाल ने आठ बिंदुओं पर आपत्ति जताते हुए इसे सरकार को लौटा दिया था. सरकार का मानना है कि विधेयक पर की गयी आपत्तियों के अनुरूप किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं है.

आठ बिंदुओं पर राज्यपाल ने जतायी थी आपत्ति

आपत्ति : उड़नदस्ता के गठन का प्रावधान किया गया है. जबकि, पूर्व से ही उत्पाद विभाग को उड़नदस्ता, टास्क फोर्स, मोबाइल फोर्स गठित करने की शक्ति निहित है. ऐसे में नयी धारा जोड़ने का औचित्य नहीं है.

जवाब : संशोधन से जांच के लिए उत्पाद विभाग के अतिरिक्त अन्य विभागों के कर्मियों या विशेषज्ञ एजेंसियों के कर्मियों को भी उड़नदस्ता में शामिल किया जा सकेगा. तकनीकी दृष्टि से भी उत्पाद के अलावा अन्य विभागों या विशेषज्ञों को उड़नदस्ता में शामिल करना जरूरी है.

आपत्ति : विधेयक में निगम द्वारा अधिकृत एजेंसी व कर्मचारियों को असंवैधानिक कृत्यों का उत्तरदायी माना गया है. अनियमितता होने पर बिक्री स्थल का संचालन करनेवाली एजेंसी के कर्मियों को जवाबदेह माना जायेगा, जबकि पूरी जवाबदेही संबंधित एजेंसी की होनी चाहिए. यह व्यवस्था निगम के पदाधिकारियों और एजेंसियों के उच्च पदाधिकारियों को संरक्षण देने के प्रयास की तरह देखा जा सकता है.

जवाब : संशोधन से किसी भी असंवैधानिक कृत्य करनेवाले किसी भी व्यक्ति या लोक सेवक पर सक्षम स्तर की स्वीकृति लेकर आरोप गठित कर अभियोजन चलाया जा सकता है. जेएसबीसीएल द्वारा नियुक्त कर्मी या वहां पदस्थापित लोक सेवक भी आपराधिक कृत्य काे संरक्षण देते हुए पाये जाते हैं, तो उन पर कार्रवाई की जा सकती है

आपत्ति : नये प्रावधान में सजा के साथ मुआवजा भुगतान की भी बात है. मुआवजा का भुगतान सजा से अलग व्यवस्था है. ऐसे में सजा एवं मुआवजा के निर्धारण के लिए अलग-अलग धाराओं में प्रावधान किया जाये.

जवाब : मुआवजा का प्रावधान मदिरा के अपमिश्रण के लिए दंड से संबंधित धारा में ही वर्णित है. इसके अतिरिक्त अन्य किसी भी धारा में मुआवजा का प्रावधान नहीं है. इस वजह से इसे रखा जाना उचित प्रतीत होता है.

आपत्ति : विधेयक में निगम द्वारा अधिकृत एजेंसी व कर्मचारियों को असंवैधानिक कृत्यों का उत्तरदायी माना गया है. ऐसे में मूल अनुज्ञप्तिधारी निगम की जवाबदेही कम होती है.

जवाब : संशोधन से किसी भी असंवैधानिक कृत्य करनेवाले किसी भी व्यक्ति या लोक सेवक पर सक्षम स्तर की स्वीकृति लेकर आरोप गठित कर अभियोजन चलाया जा सकता है.

आपत्ति :20 लीटर तक शराब के संग्रहण करने की स्थिति में स्वयं के बंध-पत्र पर आरोपित को अधिकारी के विवेक के अनुसार मुक्त किया जा सकता है, जबकि इस प्रावधान से यह अर्थ निकल सकता है कि 20 लीटर तक शराब कोई भी व्यक्ति अपने पास संग्रहित कर सकता है, जो उचित प्रतीत नहीं होता है.

जवाब : अवैध तरीके से निर्मित या संग्रहित शराब के संग्रहण पर किसी प्रकार की छूट नहीं है. उत्पाद विभाग द्वारा अनुज्ञप्ति प्रदत्त किसी भी खुदरा उत्पाद दुकान से ड्यूटी पेड वैध मदिरा का क्रय व निजी उपभोग के लिए 20 लीटर तक संचयन किया जा सकेगा. पूर्व से भी लगभग 18.16 लीटर विदेशी शराब के संग्रहण करने की अनुमति से संबंधित प्रावधान है.

जवाब : अवैध तरीके से निर्मित या संग्रहित शराब के संग्रहण पर किसी प्रकार की छूट नहीं है. उत्पाद विभाग द्वारा अनुज्ञप्ति प्रदत्त किसी भी खुदरा उत्पाद दुकान से ड्यूटी पेड वैध मदिरा का क्रय व निजी उपभोग के लिए 20 लीटर तक संचयन किया जा सकेगा. पूर्व से भी लगभग 18.16 लीटर विदेशी शराब के संग्रहण करने की अनुमति से संबंधित प्रावधान है.

आपत्ति : सामान्यतः उत्पाद नीति एवं अधिनियम के प्रावधानों के संबंध में राजस्व पर्षद के स्तर से समीक्षा की जाती है, क्योंकि राजस्व पर्षद को उत्पाद अधिनियम के अंतर्गत कतिपय शक्तियां मिली हुई हैं. संशोधन विधेयक के मामलों में राजस्व पर्षद का कोई परामर्श लिया गया, ऐसा प्रतीत नहीं होता है.

जवाब : संशोधन विधेयक में मुख्यत: अनियमितताओं से संबंधित धाराओं को और प्रभावशाली बनाने का प्रयास किया गया है. अधिनियम की धाराओं में संशोधन या नयी धाराओं को जोड़ना राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है. प्रस्तावित संशोधन विधेयक पर विभागीय मंत्री व मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद व सदन की सहमति प्रक्रिया के तहत प्राप्त की गयी है.

आपत्ति : राज्य में नयी उत्पाद नीति लागू किये जाने के संबंध में विभाग द्वारा उत्पाद राजस्व में वृद्धि के दावे किये गये थे, लेकिन प्रथम छह माह में उत्पाद राजस्व में निरंतर कमी देखी जा रही है. उत्पाद अधिनियम में विभागीय तथा निगम के पदाधिकारियों की सीधी जवाबदेही कम होने से अनुपालन और कमजोर होगा तथा अवैधानिक कार्यों को बढ़ावा मिलने के साथ राजस्व में भी और कमी संभावित है.

जवाब : विभाग एवं निगम द्वारा मामले में लगातार समीक्षा की जा रही है.

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