23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड सरकार ने टेंडर की शर्तों में नहीं किया बदलाव, नयी उत्पाद नीति पर राजस्व पर्षद के साथ मतभेद जारी

झारखंड सरकार ने सुझाव के अनुरूप उत्पाद शुल्क नहीं लगाया, साथ ही साथ टेंडर की शर्तों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है. जिसके बाद राजस्व विभाग के साथ मतभेद है

Jharkhand Excise Policy रांची: सरकार ने राजस्व पर्षद के सुझाव के अनुरूप उत्पाद शुल्क लगाने और टेंडर की शर्तों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है. इससे पहले सरकार ने महाधिवक्ता से उत्पाद नीति की समीक्षा करायी. समीक्षा के बाद महाधिवक्ता ने नयी उत्पाद नीति को सही करार दिया.

इसके बाद सरकार ने दूसरी बार सहमति के लिए राजस्व पर्षद को फाइल भेजी. बावजूद राजस्व पर्षद ने दूसरी बार भी इसमें आपत्ति दर्ज करायी. शराब बनानेवाली कंपनियों पर उत्पाद शुल्क नहीं लगाने के राज्य सरकार के फैसले से होनेवाले नुकसान का उल्लेख किया. साथ ही झारखंड की शराब बनाने वाली कंपनी को अवैध रूप से बिहार में शराब बेचे जाने की घटना को उदाहरण के तौर पर पेश किया.

नयी उत्पाद नीति में सिर्फ खुदरा दुकानों पर ही उत्पाद शुल्क का प्रावधान :

राज्य सरकार की प्रस्तावित नयी उत्पाद नीति में सिर्फ खुदरा दुकानों पर ही उत्पाद शुल्क लगाने का प्रावधान है. राजस्व पर्षद ने इस पर असहमति जताते हुए पहले की तरह शराब बनानेवाली कंपनियों पर 15 प्रतिशत और खुदरा बिक्री पर 85 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाने की व्यवस्था को जारी रखने की अनुशंसा की थी.

हालांकि राज्य सरकार ने राजस्व पर्षद के सुझाव के अनुरूप इसमें बदलाव नहीं किया. राजस्व पर्षद ने दूसरी बार भी शराब बनाने वाली कंपनियों पर उत्पाद शुल्क नहीं लगाने के सरकार के फैसले पर असहमति जतायी है. शराब बनाने वाली कंपनियों पर उत्पाद शुल्क नहीं लगाने की स्थिति में शराब के उत्पादन पर नियंत्रण बनाये रखना अत्याधिक मुश्किल होगा.

इस मामले में राजस्व पर्षद ने बोकारो की शराब कंपनी को बतौर उदाहरण पेश किया है. इस मुद्दे पर पर्षद ने सरकार को भेजी गयी अपनी रिपोर्ट में यह कहा है कि झारखंड से शराब बनाने वाली कंपनियों द्वारा बिहार में शराब बेचे जाने की सूचनाएं लगातार मिलती हैं.

उत्पाद विभाग द्वारा ऐसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है. बोकारो की एक शराब बनाने वाली कंपनी को इसी मामले में सरकार द्वारा सील भी किया गया है. कंपनी से संबंधित लोगों को बिहार सरकार द्वारा गिरफ्तार भी किया जा चुका है. उत्पाद आयुक्त द्वारा भी इस कंपनी के खिलाफ पहले कार्रवाई की जा चुकी है. इन परिस्थितियों के मद्देनजर राजस्व पर्षद ने दूसरी बार भी शराब बनाने वाली कंपनियों पर उत्पाद शुल्क लगाने की अनुशंसा की है.

थोक व्यापारियों के चयन के लिए निर्धारित शर्तों पर दूसरी बार भी आपत्ति जतायी :

राजस्व पर्षद ने प्रस्तावित नयी उत्पाद नीति में थोक व्यापारियों के चयन के लिए निर्धारित शर्तों पर दूसरी बार भी आपत्ति की है. सरकार ने टेंडर की शर्तों में भी राजस्व पर्षद के सुझाव के अनुरूप बदलाव नहीं करने का फैसला किया. पर्षद ने मामले की दूसरी बार समीक्षा के बाद यह कहा है कि सरकार द्वारा निर्धारित शर्त केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के नियमों के प्रतिकूल है.

टेंडर की शर्तों से कानूनी विवाद की शुरुआत होगी और सरकार को थोक विक्रेताओं से ली गयी जमानती राशि में से करीब 40 करोड़ रुपये लौटाना होगा. राजस्व पर्षद ने यह भी कहा कि राज्य में फिलहाल 25 थोक विक्रेता कार्यरत हैं. प्रस्तावित नीति में थोक विक्रेताओं की संख्या पांच तक ही सीमित कर दी गयी है.

हालांकि राज्य में कार्यरत सभी थोक विक्रेताओं को पांच साल के लिए लाइसेंस दिया गया और उसी अनुरूप फीस भी ली गयी है. नयी उत्पाद नीति लागू होने पर जिन 20 थोक विक्रेताओं का लाइसेंस रद्द किया जायेगा, वे अदालत की शरण में जा सकते हैं.

Posted By: Sameer Oraon

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें