वित्तीय वर्ष 2022-23 समाप्त होने में मात्र 44 दिन बचे हैं, लेकिन राज्य में शराब के खुदरा कारोबार के लिए चयनित प्लेसमेंट एजेंसी तय लक्ष्य के मुताबिक शराब नहीं बेच पायी है. एजेंसी 24 में से 11 जिलों में शराब बचने में तय लक्ष्य से पीछे है. इस वजह से राजस्व का संग्रह भी लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो पाया है. राज्य सरकार ने 31 मार्च तक शराब की बिक्री से 2310 करोड़ का राजस्व हासिल करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक 1607 करोड़ का ही राजस्व मिला है. यानी लक्ष्य को पाने के लिए बाकी बचे 44 दिनों में 703 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त करना होगा.
गौरतलब है कि राज्य में पिछले वर्ष नयी उत्पाद नीति लागू की गयी थी. इसके तहत एक वर्ष के लिए 2500 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया था. नयी नीति के तहत अप्रैल 2022 के बदले मई से शराब की बिक्री शुरू हुई, इस कारण राजस्व का लक्ष्य घटा कर 2500 से 2310 करोड़ कर दिया गया. वर्तमान में राज्य में खुदरा शराब दुकानों के संचालन के लिए भी झारखंड राज्य बिवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड की ओर से प्लेसमेंट एजेंसी को राशि दी जाती है. वर्ष भर में लगभग 150 करोड़ से अधिक खर्च है. इसके अलावा थोक कारोबार करनेवाली दो निजी कंपनियों का भी बकाया है.
राज्य में प्रतिदिन लगभग 15 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री का लक्ष्य तय है, जबकि वर्तमान में रोजाना औसतन 10 से 11 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हो रही है. झारखंड राज्य बिवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड ने शराब के उठाव को लेकर भी पत्र जारी किया था. दुकानाें को निर्धारित कोटा के अनुरूप शराब का उठाव सुनिश्चित करने को कहा गया था.
राज्य में चार प्लेसमेंट एजेंसी को खुदरा शराब बेचने की जिम्मेदारी दी गयी है. शर्त के अनुरूप शराब की बिक्री नहीं होने के कारण इन एजेंसियों पर कार्रवाई भी गयी है. इनका 20 करोड़ से अधिक की बैंक गारंटी जब्त कर ली गयी है. नयी एजेंसी के चयन के लिए प्रक्रिया के लिए टेंडर जारी किया गया था, लेकिन एक भी प्लेसमेंट एजेंसी से टेंडर जमा नहीं किया.