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झारखंड सरकार निर्यात नीति और फार्मा पॉलिसी कर सकती है लागू, इन बिंदुओं पर तैयार हो रहा प्रस्ताव

झारखंड सरकार इस साल के अंत तक निर्यात नीति और फार्मा पॉलिसी लागू कर सकती है. तो वहीं फूड व टेक्सटाइल पॉलिसी को पुन: अवधि विस्तार देने को लेकर मंथन हो रहा है. सूत्रों की मानें, तो नवंबर माह में होनेवाली बैठक में निर्यात नीति का प्रस्ताव भी आ सकता है.

रांची: झारखंड सरकार इस वर्ष के अंत तक निर्यात नीति और फार्मा पॉलिसी को लागू कर सकती है. इससे संबंधित प्रस्ताव को अंतिम रूप देने की तैयारी जारी है. वहीं फूड व टेक्सटाइल पॉलिसी को पुन: अवधि विस्तार देने को लेकर मंथन हो रहा है. सूत्रों की मानें, तो नवंबर माह में होनेवाली बैठक में निर्यात नीति का प्रस्ताव भी आ सकता है. आनेवाले दिनों में फल, फूल और सब्जी के निर्यात को भी बढ़ावा दिया जायेगा, इसकी भी उद्योग विभाग तैयारी कर रहा है.

निर्यात करनेवाले उद्योग को मिलेगा आवश्यक सेवा का दर्जा :

बताया गया कि नयी निर्यात नीति में प्रावधान किया जा रहा है कि झारखंड में कोई उद्योग यदि निर्यात करता है, तो उसे राज्य सरकार आवश्यक सेवा घोषित करेगी. इस नीति को झारखंड इंडस्ट्रियल एक्सपोर्ट पॉलिसी नाम दिया गया है. निर्यात नीति में सरकार ने प्रावधान किया है कि निर्यात करनेवाले उद्योगों को ऋण राशि में पांच प्रतिशत सूद की दर से पांच वर्ष तक छूट दी जायेगी.

इसमें 50 लाख रुपये प्रति यूनिट तक सब्सिडी देने का प्रावधान होगा. एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट को इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी से शत-प्रतिशत छूट दी जायेगी. भूमि आवंटन में भी प्राथमिकता मिलेगी. वहीं उत्पाद को पोर्ट तक जाने के लिए ट्रांसपोर्ट सब्सिडी दी जायेगी.

विदेश में लगनेवाले ट्रेड फेयर व प्रचार में मिलेगी मदद :

नयी नीति के प्रस्ताव के अनुसार, लघु व मध्यम श्रेणी के उद्योगों को, जो निर्यात भी करना चाहते हैं, उन्हें राज्य सरकार मदद देगी. इसमें विदेशों में आयोजित ट्रेड फेयर, प्रदर्शनी, मार्केट सर्वे रिपोर्ट और विदेशी मीडिया में प्रचार-प्रसार के लिए सहायता की जायेगी. राज्य सरकार एमएसएमइ को भी अंतरराष्ट्रीय ट्रेड फेयर, बायर-सेलर मीट और नये मार्केट की खोज में भी सहायता करेगी.

फूल व सब्जी के निर्यात पर भी होगा जोर :

प्रस्ताव के अनुसार, रांची एयरपोर्ट में एयर कार्गों कांप्लेक्स के माध्यम से फूल, फल व सब्जी के निर्यात में सहयोग किया जायेगा. वजह है कि झारखंड में सब्जी का उत्पादन अधिक होता है. हाल के दिनों में खूंटी जैसे इलाके में फूलों की खेती को भी बढ़ावा मिला है. निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बोर्ड का गठन होगा. निर्यातकों के उत्पाद विश्वस्तरीय हों, इसके लिए सरकार कई फैसिलिटेशन सेंटर भी बनायेगी. जिसमें डेवलपमेंट ऑफ टेस्टिंग एंड रिसर्च लैब खोले जायेंगे, जहां उत्पादों की जांच करायी जा सकेगी. वहीं निर्यातकों को एक्सपोर्टर कार्ड दिया जायेगा.

झारखंड से 2201.55 मिलियन यूएस डालर का निर्यात :

झारखंड देश में सबसे अधिक रेशम का उत्पादन करता है, जिसका देश के कुल उत्पादन में 76.4% हिस्सा है. झारखंड से निर्यात किये गये वस्तुओं का आकलन करें, तो 2020-21 में राज्य से कुल निर्यात 1622.31 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा. राज्य से निर्यात 2021-22 में 2201.55 मिलियन अमेरिकी डॉलर था. राज्य से निर्यात होनेवाले प्रमुख वस्तुओं में लोहा, इस्पात, ऑटो पार्ट्स, लोहा और इस्पात के उत्पाद हैं.

वित्तीय वर्ष 2021- 22 में झारखंड से लौह और इस्पात का कुल निर्यात 1.367 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो कुल निर्यात का 62.1% रहा. लाह का उत्पादन करने वाले कुल पांच राज्यों में से 53% उत्पादन झारखंड करता है. झारखंड से निर्यात का 32% दक्षिण एशियाई देश जैसे बांग्लादेश और नेपाल को जाता है. राज्य का 25% निर्यात दक्षिण पूर्व एशियाई बाजारों में जाता है. इसमें वियतनाम सबसे ऊपर है. निर्यात का 13% इटली जैसे यूरोपीय देशों और 11% चीन जैसे पूर्वी एशियाई बाजार में किया जाता है.

फार्मा नीति पर भी हो रहा है कार्य

राज्य सरकार देश भर से निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नयी फार्मा नीति के ड्राफ्ट पर भी काम कर रही है. सूत्रों ने बताया कि नीति में चिकित्सा उपकरण निर्माताओं के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रावधान और फार्मा पार्क में भूखंड आवंटन के प्रावधानों को शामिल किया गया है. वहीं राज्य में दवा एवं चिकित्सा उपकरणों के निर्माण से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए निवेशकों को आधी दर पर जमीन देने पर विचार हो रहा है.

इसके अलावा कैपिटल इन्वेस्टमेंट में सब्सिडी से लेकर कई प्रकार की अन्य रियायतें दी जायेंगी. स्टांप ड्यूटी तथा निबंधन में सौ प्रतिशत तक की छूट मिलेगी. प्रस्ताव के अनुसार, सरकार राज्य को फार्मास्यूटिकल हब के रूप में विकसित करना चाहती है.

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