झारखंड की फर्जी शेल कंपनियों पर नकेल कसने की तैयारी, खान विभाग 142 की करेगा जांच, JSMDC ने मांगी ये जानकारी
खान विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, दरअसल जिला प्रशासन के स्तर पर ही खेल शुरू हो जाता है. कारखानों को कोयला उपलब्ध कराने के नाम पर कई शेल कंपनियां खोल दी गयी हैं.
झारखंड में कुल 142 कंपनियों को कोल लिंकेज मिला है. इनमें कई कंपनियां फर्जी तरीके से चल रही है. यानी शेल कंपनी है. कई कंपनियां अस्तित्वविहीन हैं. जिनका कोई कारखाना नहीं है, पर वह कोयला उठा रही है. अब ऐसी कंपनियों पर नकेल कसने की तैयारी की जा रही है. खान विभाग की अनुषंगी इकाई झारखंड खनिज विकास निगम लिमिटेड (जेएसएमडीसी) ने ऐसी कंपनियों की सूची जारी कर आम लोगों से इन कंपनियों के संबंध में जानकारी मांगी है.
लोगों से कहा गया है कि वे बतायें कि क्या इन कंपनियों का कारखाना है, क्या ये कारखाना के लिए ही कोयला ले रहे हैं या अन्य काम के लिए. खान विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, दरअसल जिला प्रशासन के स्तर पर ही खेल शुरू हो जाता है. कारखानों को कोयला उपलब्ध कराने के नाम पर कई शेल कंपनियां खोल दी गयी हैं. जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं है.
ऐसी कई कंपनियां हाल के दिनों में पकड़ में भी आयी है. अब सख्ती से इन कंपनियों की जांच करायी जा रही है. जेएसएमडीसी द्वारा जिला प्रशासन को भी सूची भेजी गयी है और कंपनियों के बाबत जानकारी मांगी गयी है.
क्या होता है कोल लिंकेज :
कोयला नीति 2007 के तहत वैसे एमएसएमइ उद्योग जिन्हें अपना कारखाना चलाने के लिए कोयले की जरूरत होती है, उन्हें कोयला उपलब्ध कराने के लिए कोल लिंकेज का प्रावधान किया गया है. उन्हें खपत के मुताबिक कोयला उपलब्ध कराया जाता है.
हालांकि, इसके लिए जिला प्रशासन से लेकर खान विभाग तक की अनुमति लेनी पड़ती है. जिन्हें कोल लिंकेज मिल जाता है वे बाजार मूल्य से भी कम लागत दर पर कोयला लेते हैं . इन्हें राज्य में स्थित कोल कंपनियां सीसीएल, बीसीसीएल और इसीएल की खदानों से कोयला मिलता है. हाल के दिनों में अवैध कोयले की ढुलाई की काफी शिकायतें मिली है. इडी की जांच में भी ये बातें सामने आयी हैं कई शेल कंपनियां केवल कोयला ढुलाई के लिए ही खोली गयी है. दरअसल ये कोयला फिर बाजार में बेच देते हैं.
इसकी जांच अब करायी जा रही है. एमएसएमइ इकाइयों को कोल लिंकेज लेने के लिए संबंधित जिला के डीसी के यहां आवेदन देना पड़ता है. इसके बाद डीसी की अध्यक्षता में बनी कमेटी इसकी जांच करती है कि संबंधित कंपनी का कारखाना है कि नहीं और उन्हें कितने कोयले की जरूरत है. जिला प्रशासन एमएसएमइ की अनुशंसा कर खान विभाग को भेजता है. खान विभाग में खान निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी होती है.
जिला प्रशासन की अनुशंसा पर यह कमेटी कोल लिंकेज की अनुमति देती है, जिसे जेएसएमडीसी के पास भेज दिया जाता है. जेएसएमडीसी इसकी अधिसूचना जारी करता है. इसके बाद संबंधित कोल कंपनियां सूची में दर्ज कंपनियों को कोयला देती है. कंपनी सही है या गलत इसकी जांच की पूरी जवाबदेही जिला प्रशासन की कमेटी को ही होती है. यह प्रक्रिया नयी कंपनियों के लिए अपनायी जाती है. पर पुरानी कंपनियों की केवल अनुशंसा जिला प्रशासन प्रत्येक वर्ष भेजता है और जेएसएमडीसी अधिसूचना जारी करता है.