रांची : राज्य सरकार ने पिछले खरीफ मौसम में समय पर बारिश नहीं होने से 158 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया है. इससे प्रभावित किसान परिवारों को राज्य सरकार 3500-3500 रुपये देगी. झारखंड सरकार केंद्र से भी सहयोग का आग्रह करेगी. राज्य में लगातार दूसरे साल खरीफ के मौसम में सूखा पड़ गया है. ये बातें कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबु बक्कर सिद्दीख ने कहीं.
सचिव श्री सिद्दीख मंगलवार को सूचना भवन में प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे. मौके पर पशुपालन निदेशक आदित्य रंजन, निबंधक सहकारिता सूरज कुमार, निदेशक कृषि संजय कुमार सिन्हा, निदेशक भूमि संरक्षण अजय कुमार सिंह और निदेशक मत्स्य एचएन द्विवेदी भी मौजूद थे.
सचिव ने विभाग की चार साल की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि झारखंड पूरे देश में पहला ऐसा प्रदेश है, जिसने बीज वितरण में ब्लॉक चेन प्रणाली लागू की है. सुखाड़ के बाद भी इस वर्ष 1.30 लाख क्विंटल बीज इसी तकनीक से बांटा गया. 4.62 लाख स्टैंडर्ड खाताधारी किसानों का 1858.3 करोड़ रुपये ऋण माफ किया गया. दूध का संग्रहण 1.5 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़कर 2.5 लाख लीटर हो गया है. मेघा से जुड़े किसानों को तीन रुपये प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. इससे करीब 38 हजार किसान लाभ ले रहे हैं. यहां 2.95 लाख टन मछली का उत्पादन हुआ है.
Also Read: झारखंड में सूखे से 15 लाख से अधिक किसान प्रभावित, 17 जिलों के 158 प्रखंड हैं सूखाग्रस्त, ये है पूरी लिस्ट
सचिव ने बताया कि सीएम सुखाड़ राहत योजना में अब तक 45.45 लाख से ज्यादा आवेदन मिले हैं. इसमें अब तक 13.94 लाख से ज्यादा सत्यापित लाभुकों को 478 करोड़ बांटे गये हैं. मुख्यमंत्री पशुधन योजना में 10 लाख से ज्यादा लाभुकों को अनुदान दिया गया. 5454 तालाब के जीर्णोंद्धार और 8081 परकोलेशन टैंक के साथ 3513 डीप बोरिंग की गयी है.
सचिव ने कहा कि बाजार समिति संचालन के लिए विभाग को नियमावली बनकर मिल गयी है. इस पर प्रारंभिक तौर पर विचार किया गया है. जल्द ही इसे लागू कराया जायेगा. पिछले चार साल में सरकार ने 130 कृषि अधिकारी नियुक्त किये हैं. 300 से अधिक प्रखंड कृषि पदाधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गयी है.