खरीफ के मौसम में 2022-23 में राज्य के 31,852 किसानों ने राज्य सरकार को 17.59 लाख क्विंटल धान बेचा है. सरकार की ओर से सभी किसानों को पहले किस्त की राशि का भुगतान कर दिया गया है. लेकिन, नौ माह बीत जाने के बाद भी लगभग 15 हजार किसानों को दूसरी किस्त व बोनस का भुगतान नहीं हो पाया है. सरकार की ओर से धान क्रय के एवज में लगभग 256 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. अब भी सरकार के पास किसानों का 50 करोड़ से अधिक रुपये बकाया हैं.
राज्य सरकार की ओर से 15 दिसंबर 2022 से धान क्रय की शुरुआत की गयी थी. इसके तहत धान क्रय के समय ही किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की 50 प्रतिशत राशि भुगतान का प्रावधान किया गया था.
वहीं, तीन माह में न्यूनतम समर्थन मूल्य की 50 प्रतिशत राशि के साथ बोनस (10 रुपये प्रति क्विंटल की दर) का भुगतान करना था. हालांकि, अब भी 15 हजार किसानों को राशि का भुगतान नहीं किया जा सका है. सरकार की ओर से डिसेंट्रलाइज्ड प्रोक्यूरमेंट स्कीम (डीसीपी) लागू करने की वजह से राशि भुगतान में विलंब हो रहा है. पहले नॉन डीसीपी मोड में होता है. डीसीपी व्यवस्था लागू होने के बाद राज्य सरकार खुद मिल से चावल लेकर इसे पीडीसी को देगी. इसके बाद केंद्र से इस राशि की डिमांड करेगी.
किसानों के बकाया भुगतान को लेकर खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने विभाग के वरीय अधिकारियों के साथ बैठक की थी. इसमें अधिकारियों ने बताया था कि जेएसएफसी के पास राशि नहीं होने से बकाया भुगतान में विलंब हो रहा है. जब तक धान मिलों में नहीं जाता है,
जेएसएफसी को सीएमआर प्राप्त नहीं हो जाता है, तब तक दूसरी किस्त का भुगतान संभव नहीं है. इस पर बाजार समिति के गोदाम को किराया पर लेकर अधिप्राप्ति केंद्रों से धान का उठाव कर किसानों के भुगतान में तेजी लाने का निर्णय लिया गया था. राइस मिलर स्तर पर दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्त कर मिल से धान उपलब्ध कराते हुए चावल की प्राप्ति में भी तेजी लाने को कहा गया था. इसके बावजूद भुगतान की प्रक्रिया में तेजी नहीं दिख रही है.
पिछले दो वर्षों से सरकार की ओर से धान क्रय की शुरुआत 15 दिसंबर से होती है. पिछले वर्ष सुखाड़ की वजह से धान क्रय का लक्ष्य 80 लाख क्विंटल से घटा कर 36.30 लाख क्विंटल किया गया था. फिर भी सरकार लक्ष्य का लगभग 50 प्रतिशत ही धान किसानों से खरीद पायी थी. साहिबगंज व दुमका के एक भी किसान ने धान नहीं बेचा था.