लगातार सूखे की मार झेल रहे हैं झारखंड के किसान, सरकार ने केंद्र के पास नहीं किया राहत के लिए आवेदन

इस वर्ष राज्य सरकार ने सूखा प्रभावित किसानों को सहयोग करने के लिए फसल राहत योजना का लाभ देने का निर्णय लिया है. इसके लिए 14 लाख से अधिक किसानों ने आवेदन किया है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 27, 2023 5:23 AM

मनोज सिंह, रांची :

झारखंड के किसान पिछले दो साल से लगातार सूखा की मार झेल रहे हैं. 2023 भी झारखंड के किसानों के लिए अच्छा नहीं रहा. झारखंड की मुख्य फसल खरीफ में किसान धोखा खा गये. धान झारखंड की मुख्य फसल है. इस वर्ष भी समय पर बारिश नहीं होने से धान की उपज बहुत ही कम हुई है. इस वर्ष (2023) के खरीफ सीजन में भी करीब 201 प्रखंडों में सामान्य से कम बारिश हुई. कृषि विभाग इन प्रखंडों की जमीनी हकीकत भी पता करायी. लेकिन, राहत के लिए केंद्र सरकार से आग्रह नहीं किया गया. राज्य सरकार को अक्तूबर तक केंद्र के पास सूखा राहत के लिए आवेदन करना था, लेकिन नहीं किया.

इस वर्ष राज्य सरकार ने सूखा प्रभावित किसानों को सहयोग करने के लिए फसल राहत योजना का लाभ देने का निर्णय लिया है. इसके लिए 14 लाख से अधिक किसानों ने आवेदन किया है. इसके तहत किसानों को 30 से 50 फीसदी नुकसान होने पर तीन हजार रुपये प्रति एकड़ दिया जाता है. वहीं, 50 फीसदी से अधिक नुकसान होने पर चार हजार रुपये प्रति एकड़ देने का प्रावधान किया गया है.

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कई योजनाओं में मिली गड़बड़ी की शिकायत

राज्य सरकार को कृषि विभाग की कई योजनाओं में गड़बड़ी की भी शिकायत मिली. इसकी विभाग ने जांच भी करायी. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रीजर्वेशन यूनिट आदि स्कीम में गड़बड़ी की शिकायत मिली. इसकी विभागीय जांच भी करायी गयी है. विभाग के कृषि फॉर्म को किसान पाठशाला के रूप में शुरू करने के लिए कई एजेंसियों के साथ एमओयू हुआ.

बाजार शुल्क लेने का निर्णय लिया सरकार ने

सरकार ने झारखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2023 भी पारित किया है. यह विधेयक राज्य सरकार फरवरी में ही सदन से पारित करा लिया है. इसका गजट भी प्रकाशित हो चुका है, लेकिन अब तक इसकी नियमावली नहीं बनी है. इससे व्यापारियों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. इसमें बाजार समितियों को मजबूत करने के लिए कृषि शुल्क लेने की बात की जा रही है.

उद्यान में हुए कार्यों की करायी गयी जांच, बदले निदेशक

कृषि विभाग ने उद्यान निदेशालय और राष्ट्रीय उद्यान मिशन में हुए कार्यों की वित्त विभाग से विशेष ऑडिट करायी. इसमें कई गड़बड़ियां भी पायी गयी. वित्त विभाग ने कर्मियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की भी की गयी. कृषि विभाग में पदस्थापित निदेशक निशा उरांव का तबादला पंचायती राज विभाग में कर दिया गया. उनके स्थान पर चंदन कुमार को निदेशक को बनाया गया. चंदन कुमार को रामगढ़ का डीसी बनाया गया, तथा संजय सिन्हा को निदेशक बना दिया गया. वहीं, उद्यान निदेशक का पद नेसार अहमद के बाद सूरज कुमार को दिया गया. मुकेश कुमार सिन्हा को राष्ट्रीय उद्यान मिशन निदेशक बनाया गया.

किसानों को मिला पुराना बकाया पैसा

फसल क्षति का बकाया किसानों को मिला. कृषि मंत्री बादल के प्रयास से फसल राहत बीमा के तहत मिलनेवाली राहत की राशि किसान के खाते में गयी. बीमा राशि और क्लेम को लेकर विवाद के कारण किसानों को वर्षों से पैसा नहीं मिला था. इस मद में किसानों के खाते में करोड़ रुपये दिये गये. राज्य गठन के बाद पहली बार अधिकारियों को बड़ी संख्या में एसीपी और एमएसीपी का लाभ दिया गया. इसके तहत किसानों को वित्तीय लाभ दिया गया है.

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