पंचायती राज व्यवस्था के तहत राज्य वित्त आयोग की अनुशंसाओं को पूरा नहीं करनेवाले राज्यों को वित्तीय वर्ष 2024-26 का अनुदान नहीं मिलेगा. केंद्र सरकार ने इससे संबंधित सूचना झारखंड सहित देश के सभी राज्यों को भेज दी है. केंद्र सरकार के इस फैसले से झारखंड को 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में मिल रहे अनुदान के बंद होने का खतरा पैदा हो गया है.
झारखंड में पिछले पांच साल से राज्य वित्त आयोग पूरी तरह निष्क्रिय है. आयोग में अध्यक्ष व कर्मचारी नहीं हैं और कार्यालय में ताला बंद है. 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में अगले दो वित्तीय वर्षों के दौरान राज्य की पंचायती राज संस्थाओं को अनुदान के रूप में 2736 करोड़ रुपये मिलने हैं
पंचायती राज मंत्रालय की संयुक्त सचिव ममता वर्मा ने 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में अनुदान जारी रखने के लिए निर्धारित शर्तों को मार्च 2024 तक पूरा करने का निर्देश राज्यों को दिया है. संयुक्त सचिव द्वारा भेजे गये पत्र में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय ने अनुदान देने के लिए 14 जुलाई 2021 और दो जून 2022 को एक ऑपरेशनल गाइडलाइन जारी की थी.
इसके तहत सभी ग्रामीण स्थानीय निकायों के पास पिछले साल का अंतरिम लेखा (प्रोविजनल अकाउंट) और इससे पिछले साल का ऑडिटेड अकाउंट (अंकेक्षित लेखा) होना चाहिए. साथ ही यह आमलोगों को लिए ऑनलाइन उपलब्ध होना चाहिए. इसके अलावा वित्त आयोग की अनुशंसाओं के आलोक में की गयी कार्रवाई (एटीआर) होनी चाहिए.
इस एटीआर को विधानसभा में पेश होना आवश्यक है. अगर किसी राज्य ने इन शर्तों को पूरा नहीं किया हो, तो वह मार्च 2024 तक इसे पूरा कर लें और एटीआर को विधानसभा में पेश कर लें. ऐसा नहीं होने की स्थिति में संबंधित राज्यों के ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को 2024-25 में वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में अनुदान नहीं मिलेगा.
झारखंड में राज्य वित्त आयोग का गठन तो हुआ है, लेकिन फिलहाल यह निष्क्रिय है. आयोग ने अपने प्रारंभिक दौर में पंचायती राज व्यवस्था की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने की अनुशंसा की थीं. हालांकि, इन अनुशंसाओं के आलोक में किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गयी है. राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 में त्रिस्तरीय पंचायत समितियों को टाइड फंड के रूप में 1641.60 करोड़ और अनटाइड फंड के रूप में 1094.40 करोड़ मिलने हैं.
झारखंड पंचायत राज अधिनियम-2001 की धारा-114 में निहित प्रावधानों के आलोक में यहां वर्ष 2004 में राज्य वित्त आयोग का गठन हुआ. सेवानिवृत आइएएस अधिकारी शिव बसंत इसके पहले अध्यक्ष बनाये गये. वर्ष 2018 तक इसमें अध्यक्ष की नियुक्ति होती रही. इसके बाद से यह पद लंबे समय तक खाली रहा. वर्ष 2022 में नितिन मदन कुलकर्णी को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया. हालांकि, राज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद वह उनके प्रधान सचिव के पद पर बने रहे. इस तरह वर्ष 2018 के बाद से वित्त आयोग के अध्यक्ष का पद खाली पड़ा हुआ है.
राज्य वित्त आयोग का मुख्य काम पंचायतों और नगर पालिकाओं की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करना है. केंद्र सरकार वित्त आयोग की अनुशंसाओं के आलोक में राज्य वित्त आयोग के पैसा आवंटित करती है. राज्य सरकार भी अपने खजाने से राज्य वित्त आयोग के पैसा देती है. राज्य वित्त आयोग, पंचायती राज संस्थाओं को नगर पालिकाओं के पैसा आवंटित करता है. राज्य सरकार द्वारा फीस, टोल आदि के रूप में वसूली गयी राशि को पंचायती राज संस्थाओं और नगर पालिकाओं के बीच वितरित करता है. साथ ही केंद्र और राज्य के बीच मध्यस्थ की भूमिका अदा करता है.