रांची, अनुज सिन्हा/गीतेश्वर प्रसाद सिंह : झारखंड के वित्तमंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा है कि सन 2029-30 तक 10 लाख करोड़ का जीडीपी तैयार करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार राज्य के विकास पर पर्याप्त पैसा खर्च कर रही है. आने वाले समय में इस पर और अधिक व्यय करेंगे.
डॉ रामेश्वर उरांव सोमवार (11 मार्च) को प्रभात खबर के रांची स्थित डिजिटल ऑफिस में नये स्टूडियो का उद्घाटन करने के बाद उक्त बातें कहीं. उन्होंने कहा कि अभी झारखंड का जीडीपी चार लाख करोड़ का है. विशेषज्ञों की राय लेने के बाद पता चला कि अपेक्षित लक्ष्य के लिए 14 फीसदी की दर से इसे बढ़ाना होगा. हम उस पर काम कर रहे हैं.
क्या होगी स्ट्रेटजी
वित्त मंत्री श्री उरांव ने कहा कि पहले हम रेवेन्यू बढ़ाएंगे. ऐसा हुआ तभी खर्च बढ़ा पाएंगे. हम कमर्शियल टैक्स, जीएसटी, फॉरेस्ट रॉयल्टी, कोयले से रायल्टी पर ध्यान दे रहे हैं. हमारे पास काफी स्कोप है, आगे बढ़ने का.
उन्होंने कहा कि हमारे पास जितनी माइंस है, उससे कम ओडिशा में है, मगर उनका रेवेन्यू काफी अधिक है. जितनी गाड़ियां हमारे पास हैं, उतनी ही राजस्थान में हैं. बावजूद इसके, हमारा रेवेन्यू कम है. हमारी इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी बिहार से काफी कम है. मगर हमने इसमें भी आमदनी बढ़ाई है.
अपनों से न लड़ने का फैसला किया
वित्त मंत्री ने कहा कि हमने वैट के जमाने में टैक्स वसूली शुरू की, तो लोग कोर्ट चले गए. फिर हमने तय किया कि हम अपने लोगों से कोर्ट की लड़ाई नहीं लड़ेंगे और वन टाइम सेटलमेंट की तरफ बढ़ गए. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 1000 करोड़ बकाया में से 500 करोड़ रुपए आ गए हैं.
कोरोना काल में टैक्स का बोझ बढ़ा
कोरोना काल में गाड़ियां बैठ गईं और टैक्स का बोझ बढ़ता गया. हमने यहां भी वन टाइम सेटलमेंट में जाने का विचार किया. डेढ़ लाख रुपए तक के टेंपो के टैक्स 25 हजार तक आ गए.
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निवेश को लेकर
राज्य में इंडस्ट्रियल पॉलिसी बनी हुई है. हम कंपनियों को मोटिवेट कर रहे हैं कि वे यहां निवेश करें. इससे रोजगार बढ़ेगा. निवेश के साथ उत्पादन बढ़ेगा. रोजगार इससे सीधा जुड़ा हुआ है. विकास कार्यों और माइनिंग के क्षेत्र में काफी रोजगार बढ़ेगा.
झारखंड में क्षेत्रीय विषमता को लेकर
पलामू, संताल परगना जैसे क्षेत्रों में सड़कें और बिल्डिंग का काम करेंगे. जो भी इलाके पिछड़े हैं, वहां अधिक काम होगा. पलामू, गिरिडीह और सरायकेला में हम लगातार काम कर रहे हैं. विकास को संतुलित करेंगे.
आंदोलनकारियों को हरसंभव मदद देंगे
सरकार की सोच आंदोलनकारियों के पक्ष में रही है. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत जी की सोच स्पष्ट रही है कि आंदोलनकारियों को चिह्नित किया जाए. इसमें पहला काम पेंशन देना तय हुआ था. इस सरकार ने तय किया कि राशि और बढ़ा दी जाए. उनके आश्रितों को नौकरी देने की योजना है. हालांकि, इस मामले में विकास काफी धीमा है.
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सीएम चंपाई सोरेन खुद आंदोलनकारी रहे हैं. इसलिए आंदोलनकारियों को अलग दर्जा देने का काम चल रहा है. ओल्ड एज में उनकी देखभाल, पेंशन देने की व्यवस्था, अबुआ आवास के तहत लाभ मिले, यह सुनिश्चित करेंगे. हमने देखा कि एवाईपीएचएच के राशन कार्ड की एक सीमा है, इसलिए सर्वजन राशन कार्ड की तरफ गए. इससे लोगों को रोटी और कपड़े का अधिकार मिल जाएगा.