मनोज सिंह, रांची :
झारखंड में पहली बार गिर गाय का फॉर्म विकसित किया जा रहा है. गव्य विकास विभाग इसको धुर्वा स्थित निदेशालय के फॉर्म में विकसित करेगा. इसके लिए 20 गिर गाय मंगायी जा रही है. गव्य विकास विभाग ने नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के सहयोग से इसकी खरीदारी की है. इसके साथ ही डेयरी फॉर्म के लिए पांच गंगातीरी और पांच साहिवाल गाय भी मंगायी जा रही है. फॉर्म में एक सप्ताह के अंदर गायें आ जायेंगी. दिसंबर माह के तीसरे सप्ताह में इसका उदघाटन हो सकता है. राज्य में पशुओं की नस्ल सुधार के लिए इसे लाया जा रहा है. झारखंड में अभी गिर गाय का एक भी विशेष फॉर्म नहीं है.
भारत की मूल नस्ल की गाय है गिर
गिर गाय भारत की मूल नस्ल की गाय है. यह भारत के पश्चिमी भाग में स्थित गिर वन्यजीव अभयारण्य में पायी जाती है. यह विशेष प्रकार की गाय दक्षिण एशिया के साथ-साथ भारत, पाकिस्तान और नेपाल में पायी जाती है. गिर गाय को गुजरात के लोग संस्कृति और धर्म से गहराई से जुड़ा हुआ महत्वपूर्ण प्राणी मानते हैं.
Also Read: झारखंड में सरकारी योजनाओं के नाम पर दलाल कर रहे हैं ठगी, कल्याण विभाग ने आगाह किया
काफी दुधारू होती है गंगातीरी नस्ल की गाय
गंगातीरी नस्ल की गाय ज्यादातर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर, गाजीपुर, वाराणसी और बलिया समेत बिहार के कुछ जिलों में पायी जाती है. इस नस्ल की गायें काफी दुधारू होती हैं. उत्तर प्रदेश के बलिया और गाजीपुर तथा बिहार के रोहतास और शाहबाद जिले इसके उद्गम स्थल हैं. ज्यादातर वाराणसी में पायी जाने वाली गंगातीरी गायों से प्रतिदिन आठ से 16 लीटर दूध प्राप्त हो सकता है. इस नस्ल की गायों की संख्या काफी कम है. गंगातीरी नस्ल की गायें सफेद या भूरे रंग की होती हैं.
एक उन्नत नस्ल की गायों का फॉर्म विकसित किया जा रहा है. इसका फायदा किसानों के साथ-साथ आम लोगों को भी होगा. कोशिश होगी कि गव्य और पशुपालन विभाग नस्लों का प्रचार-प्रसार करे. यह अपने तरह का पहला फॉर्म होगा.
आदित्य रंजन, निदेशक, पशुपालन.