रांची : झारखंड के कई जिलों में धान की फसल खलिहान में पहुंच चुकी है. किसान जल्द से जल्द अपनी फसल बेचना चाहते हैं, लेकिन सरकार ने 102.50 रुपये प्रति क्विंटल बचाने के लिए धान की खरीद पर रोक लगा दी है. खाद्य आपूर्ति मंत्री का कहना है कि गीला धान खरीदने से खजाने को नुकसान होगा. यह सरकारी खजाने के साथ बेईमानी करने जैसा होगा.
खाद्य आपूर्ति मंत्री ने धान की खरीद प्रक्रिया रोकने के निर्देश जारी कर दिये हैं. मंत्री ने कहा है कि अगले 15 दिन तक धान की अधिप्राप्ति रोक दी जाये. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मंत्री श्री उरांव ने कहा कि अभी तक बिहार में धान की बिक्री शुरू नहीं हुई है. बिहार-झारखंड में धान की कटनी देर से शुरू होती है. उन्होंने कहा कि पंजाब की बात और है.
श्री उरांव ने कहा कि पंजाब में एक महीने पहले ही धान की कटाई शुरू हो जाती है. इसलिए वहां की बात और है. श्री उरांव ने कहा कि वह किसान के बेटे हैं. उन्हें पता है कि धान कब कटता है और कब सूखता है. मंत्री ने कहा कि अभी गांवों में धनकटनी शुरू हुई है. 15 दिन लगेंगे उसे सूखने में. श्री उरांव ने कहा कि धान अभी पूरी तरह से गीला है.
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खाद्य आपूत्ति मंत्री ने कहा कि इस वक्त यदि धान की खरीद की जाती है, तो सूखने के बाद यह 5 किलो कम हो जायेगा. ज्ञात हो कि किसानों से सरकार 2050 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदेगी, तो मंत्री के हिसाब से सरकार को सिर्फ 1947.50 रुपये का ही धान मिलेगा. यानी उसे प्रति क्विंटल 102.5 रुपये का नुकसान होगा.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि झारखंड सरकार के खाद्य व आपूर्ति विभाग ने वर्ष 2020-21 के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,868 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. साथ ही 183 रुपये के बोनस की भी घोषणा की गयी है. कुल मिलाकर किसानों को एक क्विंटल धान के बदले 2050 रुपये मिलेंगे.
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Posted By : Mithilesh Jha