झारखंड के चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के बाद वनरक्षी भी आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, जानें क्या है वजह
झारखंड के वनरक्षी वनक्षेत्र सेवा संवर्ग नियमावली का विरोध कर रहे हैं. दरअसल पहले वनपाल के पद पर शत प्रतिशत सीट प्रोन्नति से भरा जाता था.
रांची : झारखंड के चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी और समाहरणालय में काम करने वाले कर्मियों के बाद अब वनरक्षी भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं. इस दौरान वे विभागीय कामकाज करने के बजाय जिला मुख्यालय और वन प्रमंडल कार्यालय के सामने धरना पर बैठेंगे. दरअसल वे राज्य अवर वन संघ के बैनर तले वनक्षेत्र सेवा संवर्ग नियमावली का विरोध कर रहे हैं. सभी वनकर्मी नियुक्ति नियमावली सेवा शर्त को यथावत रखने की मांग कर रहे हैं.
वनरक्षियों की क्या है मांग
झारखंड के वनरक्षी वनक्षेत्र सेवा संवर्ग नियमावली का विरोध कर रहे हैं. दरअसल पहले वनपाल के पद पर शत प्रतिशत सीट प्रोन्नति से भरे जाते थे. लेकिन, नियमावली में संशोधन की वजह से 50 फीसदी सीटें सीधी नियुक्ति से भरी जाएंगी. इसका राज्य में कार्यरत वनरक्षी विरोध कर रहे हैं. इसे लेकर वे राज्य वन सेवा संघ के माध्यम से कई बार पत्रचार करके सेवा शर्त नियामावली को यथावत रखने की मांग की, जिसका सरकार पर कोई असर नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने विवश होकर ये कदम उठाया
झारखंड के वनरक्षी बोले- अवसर छीनने का काम कर रही सरकार
उनका कहना है कि झारखंड के वनरक्षी अल्प वेतन, भत्ते और बिना किसी विशेष सुविधा के जंगल और वन प्राणियों की सुरक्षा में दिन रात दुर्गम स्थल पर रहते हैं. लेकिन सरकार उन्हें सुविधा देने की बजाय उनका अवसर छीनने का काम कर रही है. भविष्य अंधकार में होता देखकर सभी ने सर्वसम्मति से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है. सरायकेला संघ के मंत्री शुभम पंडा ने कहा कि जिले में कार्यरत 45 वनरक्षी शुक्रवार 16 अगस्त से हड़ताल पर जाएंगे.
हड़ताल पर क्यों गये झारखंड के वनरक्षी
वनकर्मी नियुक्ति नियमावली सेवा शर्त में बदलाव के विरोध में वनरक्षियों ने हड़ताल शुरू की है.
वनरक्षियों की क्या हैं मांगें
सभी वनकर्मी नियुक्ति नियमावली सेवा शर्त को यथावत रखने की मांग कर रहे हैं. वनपाल के पद पर शत प्रतिशत सीट प्रोन्नति से भरे जाते थे. लेकिन, नियमावली में संशोधन की वजह से 50 फीसदी सीटें सीधी नियुक्ति से भरी जाएंगी. इसका राज्य में कार्यरत वनरक्षी विरोध कर रहे हैं.
क्या हैं वनरक्षियों के आरोप
झारखंड के वनरक्षी अल्प वेतन, भत्ते और बिना किसी विशेष सुविधा के जंगल और वन प्राणियों की सुरक्षा में दिन रात दुर्गम स्थल पर रहते हैं. लेकिन सरकार उन्हें सुविधा देने की बजाय उनका अवसर छीनने का काम कर रही है.