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वन निवासियों को भूमि पट्टा देने के मामले में झारखंड कई राज्यों से पीछे, 17 वर्षों में केवल इतने को ही मिला

झारखंड में 60030 लोगों के बीच 84328 एकड़ का वन भूमि पट्टा वितरित किया गया है. वहीं कम्युनिटी की बात करें तो राज्य में 2013 सामुदायिक वन पट्टा दिये गये हैं. इनके बीच एक लाख 33 हजार 150 एकड़ का सामुदायिक वन पट्टा दिया गया है

सुनील चौधरी, रांची :

अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के तहत वनों में रहनेवाले लोगों को उसी क्षेत्र में वन भूमि का पट्टा दिया जाना है. झारखंड के 30 प्रतिशत क्षेत्र वन भूमि है. इसके बावजूद वन भूमि पट्टा देने में यह राज्य देश के सभी वन राज्यों में नौवें स्थान पर है. पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ सबसे आगे है. यहां तक कि आंध्र प्रदेश,ओड़िशा, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, तेलंगना जैसे राज्य झारखंड से काफी आगे हैं. झारखंड से पीछे केवल असम है. झारखंड में पिछले 17 वर्षों में 60030 को ही वन भूमि पट्टा बांटा गया है. जबकि छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में 457145 लोगों को वन भूमि का पट्टा बांटा गया है. ओड़िशा में 456923, मध्यप्रदेश में 266609, आंध्र प्रदेश में 223028,महाराष्ट्र में 197524, त्रिपुरा में 127931, तेलंगना में 97434 व गुजरात में 91686 लोगों को वन भूमि पट्टा दिया जा चुका है.

झारखंड में व्यक्तिगत लोगों को 84328 एकड़ में वन भूमि का पट्टा मिला :

झारखंड में 60030 लोगों के बीच 84328 एकड़ का वन भूमि पट्टा वितरित किया गया है. वहीं कम्युनिटी की बात करें तो राज्य में 2013 सामुदायिक वन पट्टा दिये गये हैं. इनके बीच एक लाख 33 हजार 150 एकड़ का सामुदायिक वन पट्टा दिया गया है. झारखंड में अब तक 98308 लोगों ने ही वनाधिकार के तहत पट्टा के लिए आवेदन दिया है. जिसमें 30906 आवेदन तकनीकी वजहों से रद्द कर दिये गये हैं. वहीं 8383 आवेदन ग्राम सभा, एसडीओ अथवा डीसी के स्तर पर लंबित है. जबकि सामुदायिक वन पट्टा के लिए 2965 आवेदन आये हैं. जिसमें 2013 को ही मिला है. शेष आवेदन लंबित है.

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दिसंबर तक खोज कर देना है आवेदन :

झारखंड सरकार ने वनाधिकार कानून के तहत दिसंबर तक वन क्षेत्र में रहनेवाले लोगों को खोज कर पट्टा देने का अभियान शुरू किया है. जिसे अबुआ बीर दिशोम अभियान 2023 का नाम दिया गया है. मुख्यमंत्री ने छह नवंबर को इस अभियान की शुरुआत की है. अभियान के लिए हर स्तर पर कमेटी बनायी गयी है. सभी उपायुक्तों को कहा गया है कि इसकी क्लोज मॉनिटरिंग की जायेगी. तेजी से इस दिशा में काम करें. 16 नवंबर से राज्य सरकार आपकी सरकार आपके द्वार अभियान भी शुरू करने जा रही है. इस अभियान में भी वनाधिकार पट्टा का आवेदन लेने और प्रक्रिया पूरी करते हुए पट्टा वितरित करने का निर्देश दिया गया है.

सेटेलाइट मैप का सहारा भी लिया जायेगा

बताया गया कि पट्टा देने में सेटेलाइट मैप का भी सहारा लिया जायेगा. जिसमें 2005 के पूर्व से रहने वाले लोगों को ही पट्टा दिया जायेगा. वन भूमि में खेती करनेवाले या रहने वाले लोगों को आवश्यकता अनुरूप पट्टा दिया जायेगा. वर्ष 2005 के पूर्व की स्थिति जानने के लिए झारखंड स्पेश एप्लीकेशन सेंटर की मदद से मैप मंगा कर जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि उक्त भूमि पर कोई खेती कर रहा था या नहीं. इसमें स्पष्ट कर दिया गया है कि 2005 के बाद के बसावटों को इस अधिनियम के तहत पट्टा नहीं दिया जायेगा.

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