झारखंड गठन के 22 वर्ष बाद भी लोगों की प्यास बुझाने में पूरी तरह से सफलता नहीं मिल पायी है. अब भी राज्य की 75 प्रतिशत आबादी पानी के लिए चापाकल, कुआं, नदी-नालों व अन्य प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर है. राज्य सरकार 61.21 लाख घरों में से 15.02 लाख घरों तक पाइपलाइन से पानी पहुंचा पायी है. यह कुल घरों का लगभग 25 प्रतिशत है. झारखंड में प्राकृतिक रूप से पेयजल की उपलब्धता सतही स्रोत के रूप में ज्यादा नहीं है.
राज्य में मात्र छह से सात नदियों में ही 12 माह पानी उपलब्ध रहता है. शेष नदियां बरसाती हैं. भूगर्भीय संरचना पथरीला होने के कारण इसमें पानी की उपलब्धता मैदानी क्षेत्रों के मुकाबले काफी कम होती है. ऐसे में राज्य में उपलब्ध संसाधनों से कुल 61.21 लाख घरों तक नल से जल पहुंचाने का काम चुनौतीपूर्ण है.
जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जारी जल जीवन मिशन (हर घर जल) के अनुसार वर्ष 2024 तक राज्य के सभी घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना है. राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में 22 लाख घरों तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. लेकिन सात माह बीतने के बाद 3.37 लाख घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंच पाया है. इधर स्वच्छ भारत अभियान के तहत पिछले वर्ष कुल 265 गांवों को ओडीएफ प्लस घोषित किया गया है. इसमें वन स्टार में 56 गांव, थ्री स्टार में 68 गांव व फाइव स्टार में 141 गांव शामिल हैं. वहीं राज्य में 1089 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया गया है.
राज्य सरकार चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में जल जीवन मिशन के तहत 113 बहु ग्रामीण जलापूर्ति व 38,000 लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजना शुरू करेगी. इसको लेकर बजट में तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया है. वर्तमान में 12,169 जलापूर्ति योजनाओं पर काम चल रहा है. इसके अलावा राज्य में आवश्यकता अनुसार सार्वजनिक स्थलों पर 100 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया जायेगा. प्रत्येक प्रखंड में एक बालिका विद्यालय या उच्च विद्यालय में सेनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगायी जायेगी.
राज्य में कई जगहों पर भूगर्भीय जल में फ्लोराइड, आर्सेनिक व आयरन की मात्रा निर्धारित मापदंड से अधिक पाया गया है. इन जगहों पर विभाग की ओर से वैकल्पिक माध्यम से शुद्ध पेयजल पहुंचाने का कार्य किया गया है. वहीं जल जांच को लेकर सभी जिलों में जल जांच प्रयोगशाला स्थापित किया गया है. इसमें से राज्य स्तरीय जल जांच प्रयोगशाला रांची, जिला स्तरीय जल जांच प्रयोगशाला पलामू, हजारीबाग, जमशेदपुर, दुमका एवं साहिबगंज को एनएबीएल से संबद्धता मिल चुकी है.
शेष जल जांच को एनएबीएल से संबद्धता दिलाने को लेकर सरकार की ओर से पत्र भेजा गया है. राज्य के लोगों को शुद्ध पेयजल मिले, इसको लेकर सरकार की ओर से कदम उठाये गये हैं. जल सहिया की मदद से जलस्रोतों की जांच करायी जाती है. इसको लेकर जल सहिया को फील्ड टेस्टिंग किट उपलब्ध कराया गया है. एक लाख से अधिक जल नमूनों की जांच की गयी है. इधर निजी व्यक्ति भी 600 रुपये का शुल्क देकर अपने घर के पानी की शुद्धता की जांच करा सकते हैं.
जिला घर पहुंचा
पाकुड़ 2,26,021 13,786
पलामू 3,63,453 53,118
गोड्डा 3,01,613 47,845
चतरा 2,13,827 34,095
जामताड़ा 1,47,578 25,444
सरायकेला 1,83,264 33,112
लातेहार 1,75,663 33,011
साहिबगंज 2,80,487 53,518
हजारीबाग 3,34,950 65,779
खूंटी 1,18,881 24,745
गढ़वा 2,98,535 54,260
देवघर 2,87,849 65,682
प सिंहभूम 3,22,220 73,663
गुमला 2,00,142 46,958
गिरिडीह 4,74,426 1,17,030
दुमका 2,93,300 78,159
पूर्वी सिंहभूम 3,52,075 95,293
कोडरमा 1,45,246 43,144
लोहरदगा 88,963 27,387
धनबाद 2,78,718 90,423
रांची 4,46,654 1,58,975
बोकारो 3,16,255 1,23,179
सिमडेगा 1,29,893 52,990
रामगढ़ 1,41,536 80,428
कुल 61,21,549 15,02,024
नल से जल पहुंचाने के मामले में झारखंड की प्रगति राष्ट्रीय स्तर से लगभग 30% पीछे है. राष्ट्रीय औसत 53.98% के मुकाबले झारखंड की प्रगति मात्र 24.54% है. परंतु रामगढ़ जिले की प्रगति राष्ट्रीय औसत से बेहतर है. यहां पर 56.83% घरों में नल से जल पहुंचाया जा चुका है.