झारखंड गठन के बाद राज्य के स्कूल और विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ती गयी है. न सिर्फ स्कूल और विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है बल्कि 10वीं और 12वीं के रिजल्ट में भी जबरदस्त सुधार हुआ है. राज्य में कभी मैट्रिक का रिजल्ट 70 फीसदी हुआ करता था, पिछले दो वर्षों से रिजल्ट 95 फीसदी हो रहा है. रिजल्ट के साथ-साथ प्रथम श्रेणी से पास करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2022 की मैट्रिक परीक्षा के रिजल्ट को ही देखा जाये, तो परीक्षा में सफल 373892 परीक्षार्थियों में से 2,25854 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए.
आकड़ों में देखा जाये तो राज्य गठन के बाद सरकारी विद्यालयों की संख्या दोगुनी हो गयी, राज्य में आवश्यकता से अधिक विद्यालय हो गये थे, 6500 विद्यालयों को बंद कर दूसरे स्कूल में मर्ज कर दिया गया है. 6500 विद्यालय मर्ज होने के बाद भी सरकारी स्कूलों की कुल संख्या 35442 है. विद्यार्थियों की संख्या में भी बढोतरी हुई. विद्यार्थियों की संख्या 27 लाख से बढ़ कर लगभग 42 लाख हो गयी.
इस सब के बाद भी राज्य गठन के 22 वर्ष बाद भी झारखंड में शिक्षकों की कमी दूर नहीं हो सकी. प्राथमिक से लेकर प्लस टू स्कूल तक में शिक्षकों की कमी है. राज्य में शिक्षकों की कमी दूर नहीं होने से पठन-पाठन प्रभावित होता है. स्कूलों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने की बात तो होती है, पर अभी भी स्कूलों में बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं मिल पा रही है.
राज्य गठन के बाद पहली बार प्राथमिक व मध्य विद्यालय में शिक्षकों के 50 हजार पद का सृजन हुआ. कक्षा एक से पांच में 20825 तो कक्षा छह से आठ में 29175 शिक्षकों का पद सृजित किया गया है. प्राथमिक व मध्य विद्यालय में शिक्षकों के 50 हजार पद रिक्त हैं. राज्य के हाइस्कूलों में कुल 25199 शिक्षकों के पद सृजित हैं. इनमें 17630 शिक्षक कार्यरत हैं. प्लस टू उच्च विद्यालयों में शिक्षकों के 5610 पद सृजित हैं. प्लस टू विद्यालयों में 2546 शिक्षक कार्यरत हैं. प्लस टू स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गयी है.
राज्य में कक्षा बढ़ने के साथ ड्रॉपआउट रेट भी बढ़ता है. कक्षा नौवीं-10वीं तक आते-आते ड्रॉप आउट रेट 3.5%से बढ़ कर 13.4% हो जाता है. कक्षा बढ़ने पर छात्राओं का ड्रॉपआउट छात्राें से अधिक हो जाता है. कक्षा नौवीं व 10वीं में जहां ओवरऑल ड्रॉपआउट 13.4 है, वहीं छात्राओं का ड्रॉपआउट रेट 13.7 है.
राज्य गठन के बाद से पारा शिक्षक अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करते रहते थे. राज्य सरकार ने शिक्षकों के लिए सेवा शर्त नियमावली बनायी है. पारा शिक्षकों का नाम बदलकर अब सहायक अध्यापक कर दिया गया है. शिक्षक पात्रता परीक्षा नियमावली में सफल पारा शिक्षकों के मानदेय में 50 फीसदी व अन्य शिक्षकों के मानदेय में 40 फीसदी की बढ़ोतरी की गयी है.
झारखंड की प्राथमिक कक्षा के बच्चे पढ़ने में राष्ट्रीय स्तर के बच्चों की तुलना में कमजोर हैं, वहीं कक्षा बढ़ने के साथ बच्चों की पढ़ाई बेहतर होती जाती है. कक्षा आठ व दस के बच्चों की उपलब्धि राष्ट्रीय औसत के बराबर है. केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2021 के जारी नैस रिपोर्ट के प्राथमिक कक्षा में झारखंड के बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं.
वर्ष 2000 16022
वर्ष 2020 35442
वर्ष 2000 2700000
वर्ष 2020 4200000
वर्ष स्कूल
2009-10 300
2010-11 285
2011-12 294
2013-14 121
2016-17 189
इसके अलावा 203 कस्तूरबा स्कूल, 89 मॉडल स्कूल, 57 झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय खुले हैं. इसके साथ 576 हाइस्कूल को प्लस टू विद्यालय में अपग्रेड किया गया है.
वर्षवार मैट्रिक में शामिल परीक्षार्थी
वर्ष परीक्षार्थी रिजल्ट (%)
2013 4,69,667 71.15
2014 4,78,079 75.30
2015 4,55,829 71.20
2016 4,70,280 67.54
2017 4,63,193 67.83
2018 4,28,394 59.56
2019 4,38,259 70.81
2020 3,85,144 75.01
2021 433571 95.93
2022 391100 95.60
भाषा 58 62
गणित 53 57
विज्ञान 54 57
विषय झारखंड देश
भाषा 52 55
गणित 40 44
विज्ञान 46 48
(सौ अंक में औसत प्राप्तांक)