झारखंड के जेलों में बंद गैंगस्टर लंबे समय से खुलेआम व्यापारियों, ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टरों, चिकित्सकों सहित अन्य को धमकी देकर रंगदारी मांगते हैं. डिमांड पूरी नहीं होने पर उनके गुर्गें रेकी कर दहशत फैलाते हैं. मौका मिलते ही गोलियां दाग देते हैं. पुलिस सब कुछ जानते हुए मौन साध लेती है. उदाहरण के तौर पर दुमका जेल में बंद गैंगस्टर अमन साहु ने पिछले महीने लातेहार पुलिस को बताया था कि कोयला कारोबारी रंजीत गुप्ता समेत कई उसके निशाने पर हैं.
सात जुलाई को अरगोड़ा में उसके गुर्गें रंजीत गुप्ता को गोली मार देते हैं. फिलहाल वह दिल्ली में इलाजरत हैं. वहीं 65 करोड़ रंगदारी नहीं देने पर एवीपी शरत की हत्या कर दी जाती है. दोनों ही घटना की साजिश अमन द्वारा रची गयी. उसके गुर्गो का मनोबल इतना बढ़ गया कि डीएसपी व दारोगा को गोली मार दी. किसी पुलिस अधिकारी पर अपराधियों द्वारा हमले की यह पहली घटना है.
संगीन अपराधों से जुड़े केस में वारंट व कुर्की को लेकर झारखंड पुलिस का रवैया ढीला-ढाला ही रहा है. पुलिस की फाइलों में दर्ज आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं. मई 2023 तक रांची, जमशेदपुर, सरायकेला, धनबाद व हजारीबाग में वारंट के 26,735 मामले लंबित थे. वहीं, रांची, रामगढ़, सरायकेला, धनबाद व हजारीबाग जिले में कुर्की के 3992 मामले भी लंबित थे. हत्या, लूट, डकैती, एसी-एसटी, पोक्सो एक्ट, दहेज प्रथा अधिनियम, पैसे के लिए अपहरण आदि संगीन मामलों से जुड़े केस के पांच से 10 वर्ष लंबित मामलों की संख्या 77 है.
अमन साहु (जेल में) गैंग : रांची, लातेहार, हजारीबाग, रामगढ़, चतरा
सुजीत सिन्हा (जेल में) गिरोह : लातेहार व पलामू
अमन श्रीवास्तव (जेल में) गिरोह : रांची, लातेहार व रामगढ़
अमन सिंह (जेल में) गिरोह : धनबाद
गैंग्स ऑफ वासेपुर का प्रिंस खान (पुलिस की चूक से फरार): धनबाद
पांडेय गिरोह का विकास तिवारी (जेल में) : रामगढ़
सुधीर दुबे गिरोह : जमशेदपुर, सरायकेला
अखिलेश सिंह (जेल में) गिरोह : जमशेदपुर व सरायकेला
आशीष मिश्रा गिरोह : देवघर
डब्लू सिंह (फरार) गिरोह : पलामू