साढ़े चार सौ वन का संरक्षण और संवर्धन करने वाला ‘ट्री मैन’बोकारो जिले के कसमार प्रखंड स्थित हिसीम निवासी वन आंदोलनकारी जगदीश महतो ने वनों की सुरक्षा के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर मिसाल कायम की है. लगभग 40 साल के संघर्ष का इतिहास उनके साथ जुड़ा है. तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी झारखंड के लगभग साढ़े चार सौ वनों का संरक्षण और संवर्धन किया है. इसके लिए उन्हें कई तरह की यातनाएं झेलनी पड़ी. वन माफियाओं ने इन पर हमले किए. पेशाब तक पिलाया, लेकिन वन सुरक्षा अभियान से कभी पीछे नहीं हटे. पत्नी के गहने, अपने खेत और मवेशी बेचकर भी वन आंदोलन को जिंदा रखा. राज्य सरकार के हाथों कई बार सम्मानित हो चुके हैं. इन्हें ट्री मैन के उपनाम से भी जाना जाता है.
दुमका के नोनीहाट के रहनेवाले नीलोत्पल को वर्ष 2016 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. लेखक, कवि, गायक, सामाजिक कार्यकर्ता और सोशल एक्टिविस्ट हैं. उनकी किताबों में डार्क हॉर्स, औघड़ और यार जादूगर बेस्ट सेलर में शुमार रहीं हैं. कविता और गीत से भी वे खूब चर्चा में रहे हैं. कई बड़े मंचों व देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में उन्होंने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं हैं. उनकी रचनाओं-गीतों में दुनिया ऐसी हुआ करती थी…, चल साधो कोई देश…, हम बिहार हैं…, अब तो लगता है देश वीराना…, हम ही तो कल इतिहास लिखेंगे.., ओ मां ये दुनिया, जगत माटी का ढेला रे… प्रमुख है.
राजनीति में सुचिता की मिसाल रहे निरंजन बाबू 1967 में पहली बार जनसंघ पार्टी से चौपारण विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने. लगभग ढाई साल विधायक रहे. उस वक्त उनकी उम्र 29 वर्ष थी. 1972 में दूसरी बार कांग्रेस पार्टी से बरही विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने. फिर 1980 और 1985 में विधायक बने. आज इस उम्र में भी वह समाज के लिए खड़े रहते हैं.
Also Read: प्रभात खबर के झारखंड गौरव सम्मान में बोले राज्यपाल- दमदार हो राजनीतिक नेतृत्व, दल करें विकास की राजनीतिइम्तियाज अहमद धनबाद ही नहीं झारखंड में क्रिकेट के बड़े कोच हैं. 12 वर्षों तक झारखंड क्रिकेट टीम के मैनेजर रहे. टिस्को से वीआरएस लेकर उन्होंने वर्ष 1999 से बच्चों को कोचिंग देना शुरू किया. उनके शिष्यों में अंतरराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेटर शाहबाज नदीम, रणजी खिलाड़ी सीएम झा, सत्य प्रकाश, आमिर हाशमी, राहुल प्रसाद व कुंजन शरण शामिल हैं. भारत के पूर्व तेज गेंदबाज वरुण एरॉन ने भी उनके कैंप में कुछ दिनों तक ट्रेनिंग ली थी. आज भी इम्तियाज अहमद बच्चों की कोचिंग करा रहे हैं.
सरायकेला छऊ के मुखौटा कलाकार हैं गुरु सुशांत महापात्र. उनकी पहचान देश-विदेश में अच्छे छऊ मुखौटा कलाकार के रूप में है. वर्ष 1925 में सुशांत महापात्र के बड़े पिताजी प्रसन्न कुमार महापात्र ने सरायकेला शैली छऊ के लिए पहला आधुनिक मुखौटा तैयार किया था. सुशांत महापात्र ने आठ वर्ष की उम्र में ही अपने बड़े पिताजी (गुरु प्रसन्न महापात्र) से मुखौटा बनाने का गुर सीखा. इसके बाद इस मुखौटा का प्रचलन बढ़ने लगा और अब यही मुखौटा सरायकेला शैली छऊ नृत्य की पहचान बन गयी है. गुरु प्रसन्न महापात्र के बाद उनके भतीजे सुशांत कुमार महापात्र ने इस कला को आगे बढ़ाया. अब तीसरी पीढ़ी में सुशांत कुमार महापात्र के पुत्र सुमित महापात्र भी छऊ मुखौटा तैयार कर रहे हैं. सरायकेला का महापात्र परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी सरायकेला शैली छऊ नृत्य के लिए मुखौटा तैयार कर विरासत में मिली इस कला को आगे बढ़ा रहा है.
Also Read: PHOTOS: खूंटी में प्रभात खबर प्रतिभा सम्मान से सम्मानित हुए होनहार, डीसी बोले- विजन तैयार करें स्टूडेंट्सपिछले 20 वर्षों से सभी धर्म के अज्ञात लावारिस शवों का अंतिम संस्कार अलग-अलग धार्मिक रीति-रिवाज से करते हैं. कोरोना के समय रांची और हजारीबाग में शवों का अंतिम संस्कार बड़े पैमाने पर किया. रांची के रिम्स मुर्दाघर में पड़े लावारिस शवों का वर्ष 2010 से 2016 के बीच अंतिम संस्कार किया. साल में एक बार अज्ञात लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियों को बनारस में विसर्जित किया. पालतू कुत्तों की मौत के बाद उन्हें दफनाने का काम कर रहे हैं. पिछले 5 वर्षों से शहर में घूमने वाले असहाय एवं विक्षिप्त लोगों के बीच रोटी बांट रहे हैं. मोटरसाइकिल में दो डब्बा में खाना रखते हैं और बांटते चलते हैं.
गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड की असुंता टोप्पो नि:शक्त हैं. माता-पिता नहीं रहे. आर्थिक तंगी के बीच 1000 रुपये विकलांग पेंशन एवं बड़ी बहन की मदद से असुंता ने पीजी तक की पढ़ाई की. खपड़ैल के घर में रहती हैं. असुंता ने आर्थिक तंगी में भी पैरा थ्रो बॉल प्रतियोगिता भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता. अभी पांच दिन पहले मलेशिया में भी देश के लिए गोल्ड मेडल जीता है. मलेशिया जाने के लिए जारी जिला परिषद सदस्य ने 60 हजार रुपये असुंता को दिये थे. इसके बाद मलेशिया जाकर पैरा थ्रो बॉल में गोल्ड मेडल जीता.
Also Read: झारखंड का करना है विकास, तो सरकार को करना चाहिए ये काम, ‘प्रभात खबर’ परिचर्चा में बोले एक्सपर्टपलामू के डाली गांव के रहने वाले कौशल किशोर जायसवाल पिछले 56 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण अभियान चला रहे हैं. इस अभियान के तहत वह निःशुल्क पौधा वितरित करते हैं. अब तक वह 50 लाख से अधिक पौधे बांट चुके हैं. जायसवाल निजी खर्च पर विश्व का पहला पर्यावरण धर्म ज्ञान मंदिर का निर्माण अपने गांव में करा रहे हैं. नेपाल, भूटान सहित देश के 22 राज्यों के लोगों को पर्यावरण धर्म के 8 मूल मंत्र का पाठ लोगों को पढ़ाया. देश-विदेश में अब तक 50 से अधिक अवार्ड से सम्मानित हुए हैं.
भारतीय प्रशासनिक सेवा के वर्ष 2014 बैच के अधिकारी आदित्य रंजन मूल रूप से बोकारो के हैं. कोडरमा में उपायुक्त के रूप में पदस्थापन के दौरान स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया. रेल नाम की एक परियोजना शुरू की. इस कारण आठवीं से लेकर 12वीं तक की परीक्षा में कोडरमा जिला हर परीक्षा में राज्य में अव्वल रहा. कोडरमा जिले में इनके द्वारा शुरू किए गए रेल मॉडल को राज्य सरकार ने सभी जिलों में लागू करने का निर्णय लिया है.
फादर अजीत खेस रोमन कैथोलिक चर्च की सोसाइटी ऑफ जीसस, रांची प्रोविंस के प्रोविंशियल सुपीरियर हैं. इससे पूर्व संत जेवियर्स स्कूल, डोरंडा के प्रिंसिपल थे. उन्होंने इस स्कूल को 24 वर्षों की सेवा दी. सोसाइटी ऑफ जीसस द्वारा रांची में संत जेवियर्स स्कूल, एक्सआएसएस, एक्सआइपीटी, संत जेवियर्स कॉलेज, संत जॉन स्कूल, प्रभात तारा स्कूल धुर्वा, सहित कई शिक्षण संस्थान चलाए जा रहे हैं.
रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग में सेवा दे रहे डॉ विकास कुमार युवा डॉक्टरों के लिए मिसाल बनते जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते और हमेशा गरीब मरीजों की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं. वहीं, मेडिकल के क्षेत्र में हो रही नयी-नयी गतिविधियों से भी लोगों को अवगत कराते रहते हैं.
रांची की रिया तिर्की जुलाई 2022 में फेमिना मिस इंडिया के टॉप फाइनलिस्ट में जगह बनाने वाली देश की पहली आदिवासी मॉडल हैं. प्रतियोगिता में उन्हें फेमिना मिस इंडिया झारखंड 2022 के खिताब से नवाजा गया था. इसके बाद से रिया लगातार आदिवासी बहुल इलाके की युवतियां, जो ग्लैमर वर्ल्ड को अपना सपना मानतीं हैं, को प्रशिक्षण दे रही हैं.
स्वैच्छिक रक्तदान के क्षेत्र में अतुल्य योगदान के लिए अतुल गेरा झारखंड में बड़ा नाम हैं. लाइफ सेवर्स की स्थापना कर रक्तदान शिविर लगाना और युवाओं को इस पुण्य कार्य से जोड़ना इनका काम है. अतुल खुद भी रक्तदान करते हैं. वह सरकारी ब्लड बैंक से जुड़कर थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए रक्त एकत्र करने का कार्य भी कर रहे हैं, ताकि बच्चों को खून के लिए भटकना न पड़े.
प्लेबैक सिंगर और अभिनेत्री. देश भर की 12 भाषाओं में गाना गाया. नागपुरी, बांग्ला, ओडिया, खोरठा, कुड़ुख, संताली भाषा में गीत गा चुकीं हैं. ‘एमएस धौनी : द अनटोल्ड स्टोरी’ फिल्म में भी उन्होंने एक्टिंग की है. ‘झारखंड कर छैला’ मोनिका मुंडू की पहली फिल्म है.
सरायकेला की विनीता सोरेन माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली आदिवासी महिला हैं. विनीता ने दो सहकर्मियों के साथ इको एवरेस्ट स्प्रिंग अभियान के तहत वर्ष 2012 में एवरेस्ट की चढ़ाई की थी. थार रेगिस्तान अभियान के तहत विनीता ने गुजरात के भुज से पंजाब के वाघा बॉर्डर तक करीब दो हजार किलोमीटर की यात्रा भी की है.
कांके के पार चुट्टू निवासी सुखदेव उरांव खेती में नये-नये प्रयोग के लिए जाने जाते हैं. पिछली सरकार में प्रगतिशील किसानों की टीम के साथ वह इस्राइल गये थे. अपने खेतों में अभी वह केले की खेती कर रहे हैं. उनका खेत देखने भारत सरकार की कई टीम झारखंड आ चुकी है. इससे पहले वह तरबूज और खरबूज की खेती करते थे. आम का बगान भी है. उनका गांव नशा मुक्त है. सुखदेव उरांव अपने गांव के किसानों का नेतृत्व भी करते हैं.
सिपाही से आइपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) तक का सफर तय कर सरोजनी लकड़ा प्रेरणास्रोत बन चुकीं हैं. सरोजनी अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र लातेहार के गारू प्रखंड से हैं. उन्होंने 100 मीटर हर्डल रेस, 400 मीटर रिले रेस, हाई जंप में राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीते. जर्मनी से ओलिंपिक स्टडी में एमए की डिग्री हासिल की. खेल की बदौलत आउट ऑफ टर्म वर्ष 1991 में उन्हें इंस्पेक्टर बना दिया गया. वर्ष 2008 में वह डीएसपी बनीं और वर्ष 2023 में आइपीएस बनकर इतिहास रच दिया.
रांची के बूटी मोड़ में निशांत कुमार का स्टार्टअप ‘किंग फिशरीज’ वर्ष 2018 में शुरू हुआ. वर्तमान में एक्वा कल्चर एशिया का पहला सबसे बड़ा कॉमर्शियल एक्वा फार्म बन चुका है. रातू स्थित एक्वा फार्म में निशांत ने मत्स्यपालन की पांच पद्धतियां विकसित की है. इनमें पॉन्ड कल्चर, आरएफएफ या पेन कल्चर, बायोफ्लॉक, आरएएस और जलाशय पद्धति शामिल हैं. इनसे नौ किस्म की मछली का 200 टन उत्पादन हो रहा है.
डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण अनुसंधान संस्थान के निदेशक रणेंद्र कुमार शहर में साहित्य को बढ़ावा देने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं. साथ ही अपने उपन्यास से आदिवासी मूलवासी जीवन से परिचय करा रहे हैं. उनकी कहानी संग्रह और उपन्यास में भूत बेचवा, बाबा कौवे और काली रात, ग्लोबल गांव के देवता, गायब होता देश, गूंगी रुलाई का कोरस शामिल है. इसके लिए उन्हें प्रेमचंद स्मृति सम्मान, प्रथम विमलादेवी स्मृति सम्मान समेत कई अन्य सम्मान मिल चुके हैं.
इंद्रपुरी रांची के विजय पाठक ने सामाजिक सरोकार की दिशा में पहल करते हुए रोटी बैंक की स्थापना की. इसका उद्देश्य खाने की बर्बादी को रोकना और जरूरतमंद लोगों तक उसे पहुंचाना है. रोटी बैंक शहर के विभिन्न इलाकों में स्टॉल के माध्यम से जरूरतमंदों को भोजन कराता है. लक्ष्य एक ही है- ‘कोई भूखा न सोये’.
रांची के दो युवकों ने कोरोना के बाद थर्ड वेब कॉफी नाम से चेन शुरू किया. बेंगलुरु से शुरू होकर आज देश भर में 100 से अधिक प्रतिष्ठान खुल चुके हैं इनके. कई बड़े सेलेब्रिटी भी इनके प्रतिष्ठान में आते हैं.
रांची के युवा आदर्श मनपुरिया होटल चेन फैब होटल्स के सह संस्थापक हैं. फोर्ब्स मैगजीन ने उनको एशिया में 30 वर्ष से कम आयु के 30 सबसे सफल स्टार्टअप उद्यमियों की सूची में जगह दी थी. आदर्श ने दो वर्षों के अल्प समय में 150 से अधिक होटल चेन के साथ काम शुरू कर सूची में अपनी जगह बनायी थी.
अपर बाजार के हाईवेयर व्यवसायी 79 वर्षीय पदमचंद जैन गरीबों की अंत्येष्टि का खर्च वहन करते हैं. अब तक उन्होंने सैकड़ों जरूरतमंदों को दाह संस्कार के लिए लकड़ी समेत अन्य सामग्रियां उपलब्ध करायीं हैं. किसी की भी मृत्यु की सूचना मिलने पर श्री जैन खुद श्मशान घाट पहुंच जाते हैं. जरूरतमंदों और अंतिम संस्कार की सामग्री मुहैया कराते हैं. जिनको जरूरत न हो, उनके दुख में शरीक होते हैं.
एमेल्डा एक्का लातेहार के महुआडांड़ की निवासी हैं. वर्ष 1984 में महुआडांड़ स्थित संत टेरेसा स्कूल के एथलेटिक्स सेंटर ट्रैक एंड फील्ड से खेल की बारीकियां जानीं. इसके बाद वर्ष 1986 में एकीकृत बिहार में खेल कोटा से सिपाही के पद पर बहाल हुईं. एमेल्डा ने 400 मीटर रिले में कई रिकॉर्ड बनाए. एकीकृत बिहार में हुए नेशनल गेम्स में एमेल्डा एक्का ने बिहार का प्रतिनिधित्व किया. वर्ष 2023 में एमेल्डा को आइपीएस के पद पर प्रोन्नत किया गया.