झारखंड सरकार ने नहीं दिया एक लाख करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र, CAG ने जतायी खर्च में गड़बड़ी की आशंका
वित्तीय वर्ष 2021-22 से संबंधित सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने इस अवधि में 91,277 करोड़ रुपये का बजट अनुमान किया था. लेकिन, राजस्व प्राप्तियां अनुमान के मुकाबले 17659 करोड़ कम हुइ हैं
झारखंड सरकार ने 31 मार्च 2022 तक 103459.14 करोड़ रुपये के खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया है. इस वजह से सीएजी ने इस राशि के खर्च में गड़बड़ी की आशंका जतायी है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार ने 91,277 करोड़ रुपये की आमदनी का अनुमान करते हुए बजट तैयार किया था. हालांकि, बजट अनुमान के मुकाबले सरकार को 73,618 करोड़ रुपये का ही राजस्व प्राप्त हो सका.
सरकार द्वारा चल रही करीब 10 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली आधारभूत संरचनाओं का काम निर्धारित समय में पूरा नहीं किया जा सका है. शीतकालीन सत्र में भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा पेश रिपोर्ट (वित्त लेखे व विनियोग लेखे) में इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है.
वित्तीय वर्ष 2021-22 से संबंधित सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने इस अवधि में 91,277 करोड़ रुपये का बजट अनुमान किया था. लेकिन, राजस्व प्राप्तियां अनुमान के मुकाबले 17659 करोड़ कम हुइ हैं. इसमें से राज्य सरकार ने अपने राजस्व स्रोतों के अलावा केंद्रीय सहाय्य व अनुदान से 69,722 करोड़ रुपये जुटाये थे. सरकार के इस राजस्व का 40 प्रतिशत वेतन भत्ता, पेंशन और विकास योजनाओं के लिए लिये गये कर्ज की रकम पर सूद चुकाने में खर्च हुआ.
वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार ने वेतन भत्ता पर 13,979 करोड़ रुपये, पेंशन भुगतान पर 7614 करोड़ रुपये और सूद चुकाने पर 6286 करोड़ रुपये खर्च किये. वित्तीय वर्ष 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में सरकार का राजस्व घाटा बढ़ा. 2020-21 सरकार का राजस्व घाटा 3114 करोड़ रुपये था, 2021-22 में यह 6944 करोड़ रुपये रहा. वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान राज्य सरकार ने रिजर्व बैंक से किसी तरह का ओवर ड्राफ्ट नहीं लिया.
हालांकि, वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंत में सरकार पर कुल कर्ज व देनदारियों का बोझ बढ़ कर 109184.98 करोड़ रुपये हो गया. सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में अपने खर्चों को पूरा करने के लिए 6.87 प्रतिशत और 7.35 प्रतिशत ब्याज दर पर 5000 करोड़ रुपये कर्ज लिया. वित्तीय वर्ष 2020-21 तक सरकार ने 87,652.59 करोड़ रुपये के खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया था. इस राशि के खर्च के लिए 33,989 उपयोगिता प्रमाण पत्र दिया जाना था.
सरकार द्वारा लगातार पूरी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिये जाने की वजह से वित्तीय वर्ष 2021-22 में यह बढ़ गया. इससे इस अवधि तक सरकार ने 103459.14 करोड़ रुपये के खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया. उपयोगिता प्रमाण पत्रों के अधिक समय तक लंबित रहने की वजह से इसमें गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ती है.
रिपोर्ट में राज्य सरकार द्वारा 10000 करोड़ रुपये से अधिक लागत की आधारभूत संरचनाओं के निर्धारित समय सीमा में पूरा नहीं करने का उल्लेख किया गया है. इसमें 3344.75 करोड़ रुपये की लागतवाली सड़क निर्माण की योजनाएं भी शामिल हैं. सड़क निर्माण की 200 से अधिक योजनाओं को भी निर्धारित समय सीमा में पूरा नहीं किया जा सका है.