रांची : झारखंड सरकार शहरों के तरल अपशिष्ट प्रबंधन अथार्त लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर बेहद संवेदनशील है. यही वजह है कि प्रदेश के अधिकांश नगर निकायों में या तो सिवरेज या फिर सेप्टेज की योजनाओं पर तेजी से कार्य चल रहा है. लिक्विड वैस्ट मैनेजमेंट विषय पर आयोजित एक स्टेकहोल्डर्स मीटिंग में बोलते हुए राज्य शहरी विकास अभिकरण के निदेशक अमित कुमार ने ये बातें कही.
देश के कई प्रतिष्ठित पीएसयू के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में अमित कुमार ने कहा कि हमारी सरकार हर शहरी नागरिक के घर तक पाइपलाइन से शुद्द पेयजल पहुंचाने के लिए कृतसंकल्पित है और इसलिए हम सभा को निःशुल्क वाटर कनेक्शन दे रहे हैं. पर यह कार्य नगर निकायों की आंशिक जिम्मेदारी है और केवल इतना करने से हमारी जिम्मेदारियां पूरी नही होती. उन्होंने कहा कि हमें प्राकृतिक संसाधनों को सशक्त बनाना है और इसके लि री यूज प्रणाली को अपने जीवनशैली में अपनाना पड़ेगा.
इसलिए जरुरी है कि हम उपयोग किए पानी को री ट्रीट करके उसका उपयोग सेकेंडरी वाटर के रुप में करें. उन्होंनें भारी उद्योग में उपयोग होनेवाले फ्रेश वाटर के जगह अधिक से अधिक ट्रिटेड वाटर के इस्तेमाल का आग्रह किया. अमित कुमार ने कहा कि इससे हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करेंगे और इस पानी से आनेवाले राजस्व से ट्रीटमेंट प्लांट का रख रखाव होगा.
दरअसल मंगलवार दिनांक 19 दिसंबर 2023 को रांची के एक प्रतिष्ठित होटल में राज्य सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग तथा यूनाइटेड स्टेट्स की संस्था यूएसऐड के संयुक्त तत्वावधान में एक स्टेक होल्डर्स मीटिंग का आयोजन किया गया. जिसमें विभिन्न स्टेक होल्डर्स के बीच राज्य सरकार की ओर से लिक्विड वैस्ट मैनेजमेंट और इसके रख रखाव तथा यूजर्स चार्ज पर बनायी गयी एक ड्राफ्ट रेगुलेशन को रखा गया और सभी कंपनियों के प्रतिनिधियों से उनकी राय मांगी गयी. इस मौके पर झारखंड सरकार के राज्य शहरी विकास अभिकरण, मेकॉन, स्टील ऑथरिटीऑफ इंडिया, एनटीपीसी, यूएसऐड, जुडको लि, सुवासी, केपीएमजी, विश्वस्वराज सहित विभिन्न संस्थों के विशेषज्ञ शामिल हुए. इनके साथ साथ कई और संस्थानों के प्रोफेसर और विद्वान ऑनलाइन माध्यम से जुड़े और अपनी राय रखी.
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शहरों में सिवरेज और सेप्टेज के माध्यम से ट्रीट किए गए वाटर का उपयोग कहां कहां किया जाय.
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रिहायसी कॉलोनियों में भी सेकंडरी यूज के लिए इस जल का उपयोग हो.
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बड़ी कंपनियों खासकर पावर प्लांट में इसका उपयोग किया जाय.
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सभी उपयोगकर्ताओं के लिए एक दर तय किया जाय.
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हर घर से सिवर्जे लाइन में कनेक्शन निःशुल्क दिया जाएगा.
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जहां सेप्टेज की व्यवस्था है वहां भी एक वर्किंग सिस्टम विकसित किया जाय.
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सिवरेज एव सेप्टेज द्नों मामले में एक दर तय हो.
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सके ट्रिटमेंट के बाद भी इसके उपयोग के लिए कॉमर्शियल और आवासीय क्षेत्र में दर निर्धारित किया जाय.
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औद्योगिक प्लांट्स और बड़ी कॉलोनियों को कुछ इन्सेंटिव मिले
गौरतलब है कि झारखंड के 49 नगर निकायों में हर घर शुद्ध पेयजल पहुंचाना है और उन शहरों में जहां सिवरेज सिस्टम विकसित हो रहा है वहां सभी को निः शुल्क कनेक्शन देना है. जिन शहरों में सेप्टेज की व्यवस्था है वहां जरुरी संसाधन की खरीद देना है जिससे वो आवेदन और आग्रह पर सेवा दे सके। आपको बता दें कि झारखंड के गिरिडीह, चिरकुंडा और बुंडू में सेप्टेज प्रोजेक्ट पूरा हो गए हैं. वहीं हजारीबाग और देवघर में भी सेप्टेज का काम जल्द पूरा हो जाएगा. इसके अलावे कई शहरों में सिवरेज व सेप्टेज की योजनाओं या तो शुरु हुई हैं या फिर टेंडर प्रक्रिया में है.
कार्यक्रम में सूडा के निदेशक श्री अमित कुमार की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजित हुआ तो विशेषज्ञ वक्ता के रुप में यूएसऐड की ओर से सुश्री लाइया डोमेनेक, श्री आरके श्रीनिवासन, सुवासी की ओर से कुमार साकेत, केपीएमजी की ओर से विजय बेहरा ने विषय पर विस्तृत जानकारी साझा की. विजय बेहरा ने राज्य सरकार का ड्राफ्ट रेगुलेशन पॉलिसी पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के जरिये रखा.
वहीं कंसल्टेशन सत्र में सेल, मेकॉन, एनटीपीसी के विशेषज्ञों ने इंटरस्ट्रीज में ट्रिटेड वाटर की मांग और पूर्ति तथा दर पर चर्चा की. एएससीआई हैदराबाद के प्रोफेसर वी श्रीनिवास चैरी, विश्वराज ग्रुप से अरिंधन तलुकदार, राजस्थान के मुख्य अभियंता अरुण व्यास, एनजेएसइआई के डॉ योगेश गोखले, अन्य विशेषज्ञों में रुप मुखर्जी, सौरभ काले इत्यादि ने अपनी अपनी बातें रखी. इस मौके पर जुडको के पीडीटी श्री गोपाल जी और डीजीएम श्री आलोक मंडल, सूडा, स्मार्ट सिटी और जुडको के अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे.