CNT-SPT Act में थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म करने का झारखंड सरकार को नहीं मिला कोई प्रस्ताव
झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद से भी CNT SPT Act के संबंध में विभाग को अब तक कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है. अगर सुझाव या निर्णय मिलता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी
सीएनटी-एसपीटी एक्ट में थाना क्षेत्र की बाध्यता को खत्म करने का कोई भी प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है. इस संबंध में विचार-विमर्श करने को लेकर 30 अगस्त 2017 को तत्कालीन कल्याण मंत्री सह उपाध्यक्ष झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद की उपाध्यक्ष लुइस मरांडी की अध्यक्षता में उप समिति का गठन किया गया था. इसकी अनुशंसा भी विभाग को अब तक नहीं मिली है.
वहीं झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद से भी इस संबंध में विभाग को अब तक कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है. अगर उप समिति की अनुशंसा या झारखंड परामर्शदातृ परिषद का सुझाव या निर्णय मिलता है, तो सरकार इस पर विधिसम्मत कार्रवाई करेगी. यह जानकारी मंत्री जोबा मांझी ने सोमवार को विधानसभा के बजट सत्र में विधायक रामचंद्र सिंह की ओर से ध्यानाकर्षण सूचना के तहत उठाये गये सवाल के जवाब में दी.
विधायक रामचंद्र सिंह ने पूछा था कि क्या सरकार सीएनटी-एसपीटी की धारा -64 के तहत अनुसूचित जनजाति की जमीन की खरीद-बिक्री का दायरा बढ़ाने के लिए नियमावली बना कर कार्रवाई करना चाहती है. उन्होंने कहा कि 1908 के समय थाना क्षेत्र का क्षेत्रफल आज के जिले के क्षेत्रफल से भी ज्यादा था. समय-समय पर गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से लॉ एंड ऑर्डर को मेंटेन करने के लिए पुलिस थाना का निर्माण कराया जाता है. वर्तमान में लगभग 606 थाने हैं.
सीएनटी-एसपीटी एक्ट में पुलिस थाना का उल्लेख होने की वजह से अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को जमीन की खरीद-बिक्री की अनुमति नहीं दी जाती है. इस पर मंत्री ने कहा कि वर्ष 1938 में सीएनटी एक्ट की धारा-46 में संशोधन कर पुलिस थाना का उल्लेख किया गया है. इसके बाद अब तक धारा-46 में पुलिस थाना को लेकर न तो किसी प्रकार का संशोधन हुआ ना नियमावली बनायी गयी है और न ही इस संबंध में सरकार द्वारा कोई दिशा-निर्देश जारी किया गया है.