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वेक्टर जनित रोगों से बचाव के लिए क्या कर रही है सरकार ? वर्चुअल मीडिया कार्यशाला का आयोजन

वेक्टर जनित रोगों को लेकर जागरुकता के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग झारखण्ड और ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज (जीएचएस) द्वारा ऑनलाइन मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया. झारखंड की भौगौलिक स्थिति की वजह से मानसून के दौरान लोगों वेक्टर जनित रोगों का खतरा ज्यादा है.

रांची : वेक्टर जनित रोगों को लेकर जागरुकता के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग झारखण्ड और ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज (जीएचएस) द्वारा ऑनलाइन मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया. झारखंड की भौगौलिक स्थिति की वजह से मानसून के दौरान लोगों वेक्टर जनित रोगों का खतरा ज्यादा है.

राज्य सरकार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के दिशा-निर्देश के अनुसार इससे निपटने के लिए योजनाओं पर काम चल रहा है. संबंधित विभाग किस तरह इस तरह के रोगों से निपटने के लिए योजनाओं पर काम कर रही है, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण गतिविधियां कैसे पूरी की जा रही हैं इस संबंध में इस कार्यशाला में विस्तार से जानकारी दी गयी.

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संयुक्त प्रयास से खत्म होगा फाइलेरिया और कालाजार रोग

कार्यशाला में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एनटीडी के राज्य समन्वयक डॉ. देवेन्द्र तोमर ने राज्य में वेक्टर जनित रोगों पर विस्तार से जानकारी दी .उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड राज्य में वेक्टर जनित रोगों से बचाव के लिए सभी तैयारियां गाइडलाइन के हिसाब से काम हो रहा है. MDA प्रोग्राम की तैयारियां कोरोना के समय में भी सभी जिलों में समय के साथ चल रही है, और सभी इसमें अपना अधिकतम योगदान दे रहे हैं. हमें उम्मीद है कि सभी के संयुक्त प्रयासों से, हम अपने राज्य से फाइलेरिया और कालाजार रोग का बहुत जल्दी खत्म कर देंगे.

झारखंड के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम अधिकारी, डॉ. बी. मरांडी ने बताया कि कोविड-19 महामारी के समय में भी वेक्टर जनित रोगों पर नियंत्रण पाने हेतु राज्य सरकार प्रतिबद्ध है. कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बावजूद , राज्य सरकार ने झारखण्ड के चार जिलों में मई और जून में कालाजार से बचाव के लिए कीटनाशक दवा का छिड़काव सफलतापूर्वक संपन्न कराया.इसके साथ ही राज्य सरकार मलेरिया, फाइलेरिया, कालाजार आदि वेक्टर जनित रोगों से बचाव के लिए भी रणनीति के तहत कार्यक्रम चला रही है ताकि, वेक्टर जनित रोगों पर सामूहिक रूप से नियंत्रण किया जा सके। .

कलाजार के मरीजों को लाइन में खड़े होने की जरूरत नहीं, सरकारी अस्पतालों में सीधे कार्ड दिखाकर होगा इलाज

10 से 20 अगस्त तक फाइलेरिया उन्मूलन हेतु 17 जिलों में कोविड 19 के आदर्श मानकों तथा सोशल डिस्टेंसिंग (शारीरिक दूरी) का अनुपालन करते हुए प्रशिक्षित ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेटरर्स के माध्यम से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जायगा.यह कार्यक्रम 10 से 12 अगस्त तक बूथों पर चलेगा.13 से 20 अगस्त तक घर घर जाकर दवा खिलाई जाएगी.इस कार्यक्रम के दौरान 2 साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार लोगों को छोड़कर, सभी को एमडीए दवाओं का सेवन ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर्स के सम्मुख करना जरूरी है. डॉ. बी. मरांडी ने बताया कि कालाजार के रोगियों के साथ-साथ कालाजार सस्पेक्टड लोगों को पीला कार्ड दिया जाता है, जिसे उसे कालाजार प्रभावित जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में दिखाने पर उपचार के लिए लाइन में नहीं लगना होता, कार्ड धारक का त्वरित उपचार किया जाता है.

क्या दवा के साइड इफेक्ट हैं ?

राज्य समन्वयक डॉ. देवेन्द्र तोमर ने बताया कि मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान के दौरान दी जाने वाली दवायें पूरी तरह सुरक्षित हैं, कुछ लोग जिनके शरीर मे पहले से फाइलेरिया के जीवाणु मौजूद हैं उन्हें यह दवाइयाँ खाने के बाद हल्का बुखार, सर दर्द आदि कुछ लक्षण हो सकते हैं जोकि दवाई के असर करने का संकेत हैं.इन्हें मामूली साइड इफ़ेक्ट भी कहा जा सकता है;परन्तु उससे घबराने की आवश्यकता नहीं है.हमारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पास सभी परिस्थितियों से निपटने हेतु संसाधन उपलब्ध हैं .

लोगों को जागरुक करना बेहद जरूरी

ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज (जीएचएस) के अनुज घोष ने पत्रकारों से अपील करते हुए कहा कि उन रोगों के विषय में लोगों की जानकारी बढ़ाना बेहद जरूरी है. लोगों को इन बीमारियों की जानकारी होनी चाहिए, कैसे बीमारी फैलती है यह बता होना चाहिए ताकि इस पर नियंत्रण किया जा सके. लोगों में जागरूकता हेतु मिलकर कार्य करें, जिससे समुदाय के हर वर्ग तक उचित जानकारी और सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके. प्रोजेक्ट कन्सर्न इंटरनेशनल के मोहम्मद कलाम खान ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन प्राप्त करने हेतु यह जरूरी है कि एमडीए के दौरान अधिक से अधिक लोग एमडीए दवाओं का सेवन करें.उन्होंने एमडीए की सफलता में सोशल मोबिलाइजेशन की भूमिका पर भी प्रकाश डाला.

कौन – कौन रहे शामिल

कार्यशाला में झारखंड के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम अधिकारी, डॉ. बी. मरांडी, विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेशनल ट्रॉपिकल डिजीजेज़ (एनटीडी) के राज्य समन्वयक डॉ. देवेन्द्र तोमर, प्रोजेक्ट कन्सर्न इंटरनेशनल के मोहम्मद कलाम खान, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के प्रतिनिधि, अन्य सहयोगी पार्टनर्स और मीडिया के सहयोगी पत्रकारों ने प्रतिभाग किया.

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