सुनील कुमार झा, रांची: झारखंड के 103 सरकारी स्कूल बिना विद्यार्थियों के चल रहे हैं. इनमें से कई स्कूलों में शिक्षक भी नियुक्त हैं, जिन्हें सरकार वेतन भी दे रही है. इनमें से अधिकतर उत्क्रमित विद्यालय हैं. इन्हें शिक्षा गारंटी केंद्र के तहत प्राथमिक विद्यालय और प्राथमिक विद्यालय से मध्य विद्यालय में अपग्रेड किया गया है. जिन स्कूलों में एक भी विद्यार्थी नहीं हैं, उनमें कई हाइस्कूल भी शामिल हैं. इन 103 सरकारी स्कूलों में से 13 में फिलहाल 22 शिक्षक कार्यरत हैं. इनमें से तीन विद्यालयों में तीन शिक्षक कार्यरत हैं.
शिक्षकों का वेतन 22 से 70 हजार रुपये तक
तीन विद्यालयों में दो-दो शिक्षक व शेष विद्यालय में एक-एक शिक्षक कार्यरत हैं. विद्यालयों में सहायक शिक्षक (पारा शिक्षक) से लेकर सरकारी शिक्षक तक कार्यरत हैं. इन शिक्षकों का वेतन 22 हजार रुपये से लेकर 70 हजार रुपये तक है. ऐसे में शिक्षकों का औसत वेतन 30 हजार भी मान लिया जाये, तो इन शिक्षकों के वेतन पर सरकार प्रतिमाह पांच लाख रुपये से अधिक खर्च कर रही है. इसके अलावा कई विद्यालयों में कर्मचारी भी कार्यरत हैं.
दो कमरे के स्कूल के निर्माण पर खर्च हुए 10 लाख
झारखंड में वर्ष 2018-19 में सभी स्कूलों के भवन निर्माण का कार्य पूरा हो गया था. केंद्र सरकार ने इसके बाद राज्य को स्कूल भवन निर्माण से राशि देना बंद कर दिया था. राज्य में दो कमरे के विद्यालयों के लिए 10 लाख रुपये खर्च का प्रावधान है. जिन विद्यालयों में विद्यार्थी नहीं उनमें से लगभग 50 फीसदी मध्य विद्यालय हैं, वहीं कुछ हाइस्कूल भी हैं. इन विद्यालयों के भवन निर्माण पर 10 से 20 लाख तक खर्च हुए हैं.
बिना मान्यता के चल रहे 6000 स्कूल, इनमें पढ़ते हैं 10 लाख बच्चे
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से ऐसे निजी विद्यालय खुल रहे हैं, जो मान्यता प्राप्त नहीं हैं. ऐसे विद्यालय न्यूनतम मापदंड को भी पूरा नहीं करते हैं. प्रावधान के अनुरूप कक्षा एक से आठ तक विद्यालय संचालन के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत स्कूलों को मान्यता लेनी है. केंद्र सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में कुल 44,855 विद्यालयों में से 6281 ऐसे विद्यालय हैं, जो न तो राज्य सरकार, न ही केंद्र से मान्यता प्राप्त हैं. ये निजी विद्यालय के रूप में भी संबद्ध नहीं हैं. इन्हें अन्य विद्यालय की कोटि में रखा गया है. इन विद्यालयों में अधिकतर विद्यालय बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं. इन विद्यालयों में 10 लाख से अधिक बच्चे नामांकित हैं.