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झारखंड में स्कूलों के भवन निर्माण के लिए मिले थे 57 करोड़ रुपये, लेकिन प्रधानाध्यापक नहीं दे पा रहे हिसाब

झारखंड के विभिन्न स्कूलों के प्रधानाध्यापक 57 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दे पा रहे हैं. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इस संबंध में सभी जिलों को पत्र लिखा है.

रांची : झारखंड के स्कूलों को सिविल वर्क (भवन निर्माण संबंधित कार्य) व अलग-अलग योजनाओं के लिए उपलब्ध कराये गये 57 करोड़ रुपये का हिसाब प्रधानाध्यापक नहीं दे रहे हैं. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इस संबंध में सभी जिलों को पत्र लिखा है. जिलों को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के पूर्व स्कूलों को सिविल वर्क के लिए उपलब्ध करायी गयी राशि में से 39.16 करोड़ व अलग-अलग योजनाओं के लिए उपलब्ध कराये गयी राशि में से 18.14 करोड़ रुपये के खर्च का हिसाब नहीं दिया गया है.

किन जिलों में कितनी राशि का नहीं हुआ सामंजन

पत्र में राशि सामंजन की प्रक्रिया जल्द पूरी करने को कहा गया. इस संबंध में जिलों को भेजे गये पत्र में कहा गया गया है कि जहां एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि लंबित हैं, उस जिला के अभियंता, सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी, लेखा पदाधिकारी को मुख्यालय बुलाकर समीक्षा करने को कहा गया है. जिलों को भेजे गये पत्र के अनुसार, साहिबगंज में 7.83 करोड़, देवघर में 7.39 करोड़, पलामू में 5.34 करोड़, सिमडेगा में 4.16 करोड़, बोकारो में 4.04 करोड़ व रांची में 4.02 करोड़़ अग्रिम राशि का सामंजन नहीं किया गया है.

अब तक 115 प्राथमिकी करायी गयी दर्ज

57 करोड़ के अलावा 5.14 रुपये को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा अलग से प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. विभाग ने अलग-अलग जिलों में 115 प्राथमिकी दर्ज करायी है. शिक्षा विभाग द्वारा बार-बार निर्देश दिये जाने के बाद भी इस राशि के खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया गया. इसके बाद विभाग द्वारा प्राथमिकी दर्ज करायी गयी.

सबसे अधिक 32 प्राथमिकी पलामू में

राशि का हिसाब नहीं देने के कारण दर्ज करायी गयी कुल 132 प्राथमिकी में से सबसे अधिक 32 प्राथमिकी पलामू जिला में दर्ज करायी गयी है. पलामू में 76 लाख रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है. इसके अलावा बोकारो में 16 व जामताड़ा में 15 प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.

प्रधानाध्यापक व अध्यक्ष करते राशि की निकासी

स्कूलों को उपलब्ध करायी गयी राशि का निकासी संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक व विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष द्वारा किया जाता है. राशि खर्च करने का उपयोगिता भी प्रधानाध्यापक व अध्यक्ष को देना होता है.

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