खदान लीज मामले में बढ़ी हेमंत सोरेन सरकार की मुश्किलें, चुनाव आयोग भेजे गए माइनिंग लीज से जुड़े दस्तावेज
Jharkhand News: हेमंत सोरेन के माइनिंग लीज प्रकरण से जुड़े दस्तावेज सरकार ने चुनाव आयोग को भेज दिये हैं. पूर्व सीएम रघुवर दास के राज्यपाल को की गयी शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने इस मुद्दे से जुड़े दस्तावेज मांगे थे. इस मामले में अब सीएम हेमंत सोरेन का पक्ष सुनेगा आयोग.
Jharkhand News: सरकार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के माइनिंग लीज प्रकरण से जुड़े दस्तावेज चुनाव आयोग को भेज दिये हैं. इसमें लीज के लिए दिये गये आवेदन पर संबंधित कार्यालयों के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा लिखी गयी टिप्पणी से संबंधित कागजात शामिल हैं. दिल्ली चुनाव आयोग के सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है. पूर्व सीएम रघुवर दास द्वारा राज्यपाल को की गयी शिकायत के आलोक में चुनाव आयोग ने इस मुद्दे से जुड़े दस्तावेज सरकार से मांगे थे. सरकार के स्तर से चुनाव आयोग को लीज प्रकरण से जुड़े दस्तावेज की सर्टिफाइड कॉपी भेजी गयी है.
चुनाव आयोग, दिल्ली ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेज कर हेमंत सोरेन के नाम से हुए माइनिंग लीज के मामले में दस्तावेज मांगे थे़ इसके लिए आयोग ने राज्य सरकार को 15 दिनों का समय दिया था़ तीन मई तक राज्य सरकार को दस्तावेज भेजने थे. राज्यपाल ने अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पूर्व सीएम रघुवर दास द्वारा दिये गये शिकायती पत्र को चुनाव आयोग के पास फैसला करने के लिए भेज दिया था.
क्या कहा गया है शिकायत पत्र में
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मुख्यमंत्री ने लोक सेवक के रूप में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने नाम पर पत्थर का माइनिंग लीज लिया है. ऐसे में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(2) के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए.
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केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मंत्रियों के लिए जारी आचार संहिता(कोड ऑफ कंडक्ट) में निहित प्रावधानों के अनुसार किसी व्यक्ति के मंत्री या मुख्यमंत्री बनने के बाद दो माह के अंदर उसे खुद को अपनी पुरानी व्यावसायिक गतिविधियों से अलग कर लेना है.
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सीएम का माइनिंग लीज लेना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए के दायरे में है. प्रावधानों के तहत किसी सदस्य द्वारा सरकार के साथ व्यापारिक गतिविधियों के लिए करार करने पर उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है.
अब हेमंत सोरेन का पक्ष सुनेगा आयोग
आयोग हेमंत सोरेन को उन पर लगे आरोपों के मद्देनजर जवाब देने का निर्देश देगा. उनका पक्ष सुनने के बाद चुनाव आयोग इस बात का फैसला करेगा कि उन पर लगे आरोप लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए के आलोक में विधानसभा से उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए पर्याप्त हैं या नहीं. इस मुद्दे पर चुनाव आयोग का निर्णय ही अंतिम होगा. इसके बाद आयोग अपने फैसले की जानकारी राज्यपाल को देगा. उल्लेखनीय है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अयोग्य घोषित (विधानसभा की सदस्यता समाप्त) करने की मांग करते हुए राज्यपाल को शिकायती पत्र सौंपा था.
सीएम ने कुछ नहीं छुपाया : झामुमो
झामुमो के केंद्रीय सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा ने सीएम पर पीपुल्स रिप्रेजेंटेशन एक्ट की धारा 9 ए के उल्लघंन का आरोप लगाया है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि यह उसी पर लागू होगा, जो बिजनेस कर रहा होगा और उसी सरकार से बिजनेस प्राप्त किया होगा. वर्ष 2008 में खनन का लीज हुआ था, लेकिन अभी तक कंसेंट टू ऑपरेट (सीटीओ) नहीं हुआ है. हेमंत सोरेन की ओर से विस चुनाव के शपथ पत्र में इसका उल्लेख किया गया है. कुछ छिपाया नहीं गया है.
Posted by: Pritish Sahay