1932 खतियान पर फिर से माथापच्ची कर रही है सरकार, राज्यपाल ने लौटाया था विधेयक
1932 खतियान के मुद्दे पर सरकार मंत्रियों, विधायकों व वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों से भी मंत्रणा कर रही है. नौ फरवरी को कैबिनेट की बैठक में भी इस पर चर्चा की जा सकती है.
1932 खतियान आधारित स्थानीयता विधेयक राज्यपाल द्वारा वापस किये जाने के बाद राज्य सरकार अब इस पर मंथन कर रही है. विधेयक दोबारा राज्यपाल के पास भेजने से पहले सरकार विधि-विशेषज्ञों से राय लेगी. राज्यपाल ने पूर्व में विधेयक की वैधानिकता पर गंभीरतापूर्वक विचार करने का सुझाव सरकार को देते हुए विधेयक को वापस किया था. उन्होंने विधेयक संविधान व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप बनाने का सुझाव दिया था. अब सरकार चाहती है कि इसमें कोई त्रुटि नहीं रह जाये. इस कारण महाधिवक्ता से लेकर विधि विशेषज्ञों से राय ली जायेगी.
सरकार कर रही है मंथन
कुछ अन्य राज्यों की स्थानीय नीति का भी अध्ययन किया जा रहा है. सरकार इस मुद्दे पर मंत्रियों, विधायकों व वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों से भी मंत्रणा कर रही है. नौ फरवरी को कैबिनेट की बैठक में भी इस पर चर्चा की जा सकती है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का साफ निर्देश है कि 1932 खतियान को सरकार हर हाल में लागू करेगी. इस कारण सरकार इसे पुख्ता बनाने में जुटी है कि दोबारा जब विधेयक राज्यपाल के पास भेजा जाये, तो वापसी की कोई गुंजाइश नहीं रहे.
बीजेपी ने साधा था सरकार पर निशाना
भाजपा को प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा था कि इस सरकार को आदिवासी-मूलवासी की चिंता नहीं है़ इनको कोई लेना-देना नहीं है़ केवल नीतियों को उलझाने का काम किया जा रहा है़ इनको झारखंडियों की चिंता होती, तो यहां की सरजमीं पर फैसला होता. लेकिन मामला टालने के लिए असंवैधानिक तरीके से काम किया जा रहा है. इनकी पूरी नीति ही संवैधानिक नहीं है. श्री प्रकाश ने कहा कि सरकार राजनीतिक स्टंट कर रही है़ वर्ष 2001 में अदालत ने इस नीति को असंवैधानिक बताया था, इसके बावजूद यह सरकार इसमें कोई सुधार नहीं की़ हेमंत सोरेन की सरकार यहां के नौजवानों की पीड़ा नहीं समझ रही है़ नौजवान रोजगार के लिए भटक रहे है़ं