रांची : उत्पाद अधिनियम, 1915 में वर्णित अपराध पीएमएलए 2000 के दायरे में नहीं आता है. उत्पाद सचिव विनय चौबे ने ईडी द्वारा शराब के व्यापार से संबंधित दस्तावेज मांगने के मामले में कानूनी राय के बाद लिखे पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है. साथ ही इडी से कुछ बिंदुओं को स्पष्ट करने का अनुरोध किया है. ईडी को लिखे पत्र में कहा गया है कि निदेशालय ने संयुक्त आयुक्त को समन भेज कर दस्तावेज की मांग की थी. इस सिलसिले में विधि विभाग से कानूनी राय ली गयी. इसमें विभाग को यह जानकारी दी गयी कि पीएमएलए एक्ट 2002 के तहत खास किस्म के मामलों की जांच की जाती हे, जिसमें किसी अपराध से आय की उत्पत्ति हुई हो. विधि विभाग से मिली राय के आलोक में कुछ बिंदु स्पष्ट नहीं हो रहे हैं. इसलिए निदेशालय इन बिंदुओं पर वस्तुस्थिति से अवगत कराये, ताकि सूचनाएं उपलब्ध कराने के मुद्दे पर विवेकपूर्ण फैसला किया जा सके.
1- पीएमएलए की धारा 45 के तहत मांगी गयी सूचनाएं किस विशेष अपराध (प्रेडिकेट ऑफेंस) से संबंधित है?
2- निदेशालय द्वारा पिछले पांच वर्षों की मांगी गयी सूचनाएं विभाग की सामान्य गतिविधियों से संबंधित हैं या किसी विशेष अपराध या किसी व्यक्ति से संबंधित है?
3- प्राथमिकी और विशेष अपराध के सहारे धन के उत्पत्ति की स्थिति स्पष्ट नहीं है?
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राज्य के संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह इडी के दोनों समन को नकारते हुए पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुए. इडी ने शराब घोटाले की जांच के दौरान समन जारी कर उन्हें पूछताछ के लिए हाजिर होने का निर्देश दिया था. साथ ही आवश्यक दस्तावेज लाने का निर्देश दिया था. इडी ने संयुक्त आयुक्त को उत्पाद नीति, शराब के ठेके से संबंधित दस्तावेज के अलावा पांच साल की अवधि में शराब के व्यापार से संबंधित दस्तावेज की माग की थी. इडी ने उन्हें पहला समन भेज कर 29 नवंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया था. निर्धारित तिथि पर हाजिर नहीं होने के बाद इडी ने उन्हें दूसरा समन भेज कर चार दिसंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया था, लेकिन वह दूसरे समन के बाद भी हाजिर नहीं हुए. सूत्रों के अनुसार, उन्होंने इडी की मांग के अनुरूप दस्तावेज सौंपने की अनुमति सरकार से मांगी थी, लेकिन सरकार के स्तर से दस्तावेज सौंपने की अनुमति नहीं मिलने की वजह से वह इडी के दफ्तर नहीं पहुंचे.