झारखंड के राज्यपाल का आदेश, संविधान और JPSC सर्विस रेगुलेशन की हो समीक्षा, जानें क्या है महाधिवक्ता की राय
झाररखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने ये आदेश दिया है कि जेपीएससी सदस्यों के मामले में संविधान व जेपीएससी सर्विस रेगुलेशन के प्रावधानों के तहत समीक्षा करें.
रांची : राज्यपाल ने पूर्व जेपीएससी सदस्यों के मामले में संविधान व जेपीएससी सर्विस रेगुलेशन के प्रावधानों के तहत समीक्षा कर आवश्यक कार्रवाई का आदेश दिया है. साथ ही इस मामले में की गयी कार्रवाई से उन्हें सूचित करने का भी निर्देश दिया है. जेपीएससी में अध्यक्ष या सदस्य के रूप में कार्यकाल समाप्त होने के बाद पूर्व की सेवा में लौटने के मुद्दे पर उभरे विवाद के दौरान महाधिवक्ता द्वारा दी गयी राय के बाद राज्यपाल ने यह आदेश दिया है. इस आदेश से जेपीएससी के पूर्व व वर्तमान सदस्यों की नौकरी खतरे में पड़ गयी है.
क्योंकि महाधिवक्ता की राय के अनुसार, आयोग के अध्यक्ष या सदस्य अपनी पुरानी नौकरी में न तो लौट सकते हैं और न ही राज्य या केंद्र सरकार में उनकी पुनर्नियुक्त हो सकती है.
राज्यपाल द्वारा कहा गया है कि सरकार जेपीएससी के अध्यक्ष व सदस्यों के पुनर्नियोजन या पहले की सेवा में लौटने के मुद्दे की समीक्षा करे. इस क्रम में यह सुनिश्चित करे कि किसी परिस्थिति में संविधान के अनुच्छेद 319 में निहित प्रावधानों और जेपीएससी सेवा शर्त विनियम 2000 के भाग दो के खंड 4 (क) में लिखित प्रावधानों तथा निर्धारित नियमों का उल्लंघन नहीं हो. राज्यपाल की ओर से भेजे गये आदेश मे सरकार को यह निर्देश दिया गया है कि वह समीक्षा के बाद आवश्यक कार्रवाई करे और इसकी जानकारी राज्यपाल सचिवालय को दे.
प्रावधानों तथा निर्धारित नियमों का उल्लंघन नहीं हो
टीएन साहू व एके चट्टोराज मामले में मांगी थी राय
टीएन साहू और एके चट्टोराज के मामले में उभरे विवाद के बाद राज्यपाल ने महाधिवक्ता से कानूनी राय मांगी थी. दोनों जेपीएससी के सदस्य रहते हुए जेपीएससी द्वारा प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नति के लिए आयोजित इंटरव्यू में शामिल हुए थे. हालांकि टीएन साहू ने 10 जनवरी 2021 को आयोग की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया.
23 जुलाई 2021 को एके चट्टोराज की उम्र 62 साल हो गयी. इससे आयोग की उनकी सदस्यता समाप्त हो गयी. इसके बाद दोनों ही विश्वविद्यालय की सेवा लौटना चाहते थे. इस स्थिति को देखते हुए आयोग ने राज्यपाल से उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया था. इसके बाद राज्यपाल ने महाधिवक्ता से राय मांगी थी. फिलहाल दोनों ही विश्वविद्यालय की अपनी पुरानी सेवा में लौट आये हैं.
क्या है महाधिवक्ता की राय :
आयोग के अध्यक्ष या सदस्य अपनी पुरानी नौकरी में न तो लौट सकते हैं और न ही राज्य या केंद्र सरकार में उनकी पुनर्नियुक्ति हो सकती है.
राज्यपाल ने निम्न बिंदुओं पर कानूनी राय मांगी थी
1. क्या संविधान के अनुच्छेद 319 (डी) के प्रावधानों के तहत जेपीएससी के सदस्यों को राज्य या केंद्र सरकार में किसी पद पर नियुक्त किया जा सकता है?
2. क्या जेपीएससी सेवा शर्त विनियम 2000 के खंड दो के नियम 4(क) में निहित प्रावधानों के तहत आयोग का कोई सदस्य विश्वविद्यालय की अपनी पुरानी सेवा में लौट सकता है?
3. जेपीएससी सेवा शर्त विनियम 200 में सक्षम पदाधिकारी स्पष्ट नहीं है. ऐसी स्थिति में सक्षम पदाधिकारी कौन है?
3. जेपीएससी सेवा शर्त विनियम 200 में सक्षम पदाधिकारी स्पष्ट नहीं है. ऐसी स्थिति में सक्षम पदाधिकारी कौन है?
4. क्या जेपीएससी का सदस्य रहते हुए किसी सदस्य का जेपीएससी द्वारा प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नति के लिए आयोजित इंटरव्यू में शामिल होना कंफ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट है?
Posted By : Sameer Oraon