हेमंत सोरेन के विधायक बने रहने को लेकर भ्रम की स्थिति के बीच झारखंड के राज्यपाल दिल्ली गये
लाभ के पद के मामले (Office of Profit) को लेकर सोरेन (Hemant Soren) को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने की भाजपा की याचिका के बाद निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को अपना निर्णय बैस को भेज दिया था.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक बने रहने को लेकर भ्रम की स्थिति के बीच राज्यपाल रमेश बैस शुक्रवार को दिल्ली चले गये. इससे एक दिन पहले सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के विधायकों ने उनसे निर्वाचन आयोग (ईसी) की सिफारिश पर स्थिति स्पष्ट करने की अपील की थी. राज्यपाल की दिल्ली यात्रा ने अटकलों को और हवा दे दी है.
राज्यपाल ने कहा- जल्द दूर होंगी सभी शंकाएं
बैस ने बृहस्पतिवार को यूपीए के प्रतिनिधिमंडल के साथ एक बैठक में कहा था कि वह जल्द ही सभी शंकाओं को दूर करेंगे. बहरहाल, राजभवन के सूत्रों ने बताया कि वह चिकित्सीय जांच के लिए ‘निजी यात्रा’ पर दिल्ली गये हैं. लाभ के पद के मामले (Office of Profit) को लेकर सोरेन (Hemant Soren) को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने की भाजपा की याचिका के बाद निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को अपना निर्णय बैस को भेज दिया था.
28 अगस्त को यूपीए ने जारी किया संयुक्त बयान
निर्वाचन आयोग के फैसले को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन चर्चा है कि आयोग ने मुख्यमंत्री को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की है. यूपीए के घटक दलों ने 28 अगस्त को एक संयुक्त बयान में राज्यपाल पर मुख्यमंत्री की विधानसभा की सदस्यता पर निर्णय की घोषणा में ‘जान-बूझकर देरी’ करके राजनीतिक खरीद-फरोख्त को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया था.
महाराष्ट्र की तरह सरकार गिराने की साजिश का आरोप
हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का मानना है कि भाजपा ‘महाराष्ट्र की तरह’ सरकार गिराने के लिए उसके और कांग्रेस के विधायकों की खरीद फरोख्त के गंभीर प्रयास कर सकती है और विधायकों को ‘सुरक्षित जगह’ रखने की आवश्यकता है. विधायक के रूप में हेमंत सोरेन के भविष्य को लेकर राज्य में गहराते राजनीतिक संकट के बीच भाजपा द्वारा संभावित खरीद-फरोख्त के प्रयासों को विफल करने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के 32 विधायक रांची से निजी विमान से 30 अगस्त को रायपुर चले गये थे.
4 मंत्री रायपुर से लौट आये रांची
हालांकि, उनमें से 4 विधायक बृहस्पतिवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में भाग लेने के लिए लौट आये. बैठक में पांच सितंबर को झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किये जाने का फैसला किया गया. झारखंड विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 49 विधायक हैं. उनमें सबसे बड़ी पार्टी झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राष्ट्रीय जनता दल का एक विधायक है. सदन में मुख्य विपक्षी दल भाजपा के 26 विधायक हैं.