रांची : झारखंड सरकार 10 साल की कोशिशों के बावजूद अपने कर्मचारियों के ‘स्वास्थ्य बीमा योजना’ का लाभ नहीं दे पायी है. इस योजना का लाभ सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी दिया जाना था. राज्य सरकार ने 25 अक्तूबर 2014 को ही इसका संकल्प जारी किया था, लेकिन अब तक योजना लागू नहीं की जा सकी है. हालत यह है कि टेंडर की टेक्निकल बिड खुले दो महीने हो चुके हैं, लेकिन फाइनांशियल बिड अब तक नहीं खुली है.
झारखंड सरकार की ‘स्वास्थ्य बीमा योजना’ के तहत कार्यरत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पांच लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा दी जानी है. सरकार ने इसके लिए प्रीमियम राशि 6000 रुपये सालाना तय की है. योजना के लागू होने में काफी देर हुई, तो विधानसभा की प्रत्यायुक्त समिति ने हस्तक्षेप किया. इसके बाद वर्ष 2023 में बीमा योजना को लागू करने की प्रक्रिया तेज हुई. समिति के सुझाव के आलोक में कार्मिक प्रशासनिक सुधार विभाग ने कर्मचारी संघों, महासंघों आदि से राय ली. विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गयी. इसके बाद कार्यरत कर्मचारियों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों और आश्रितों को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ देने के मुद्दे पर अंतिम रूप से फैसला हुआ.
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विधानसभा की प्रत्यायुक्त समिति की पहल पर वर्ष 2023 में तेज हुई प्रक्रिया
स्वास्थ्य बीमा योजना : जुलाई 2023 में पारित हुआ था प्रस्ताव, जनवरी 2024 में हुआ टेंडर
25 जुलाई 2023 को कैबिनेट की बैठक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा ‘स्वास्थ्य बीमा योजना’ के सिलसिले में पेश किये गये प्रस्ताव को पारित किया गया. स्वास्थ्य विभाग ने 31 जुलाई 2023 को संकल्प जारी किया. पहले ऑनलाइन टेंडर डालने की तिथि 28 दिसंबर 2023 से तीन जनवरी 2024 निर्धारित की गयी. बाद में टेंडर डालने की तिथि बढ़ा कर तीन जनवरी से नौ जनवरी की गयी. टेक्निकल बिड खोलने की तिथि में भी बदलाव किया गया. अंतत: 31 जनवरी 2024 को टेक्निकल बिड खोली गयी.
मूल्यांकन समिति की जांच में टेक्निकल बिड में सिर्फ दो कंपनियां ही योग्य पायी गयीं
टेंडर में तीन बीमा कंपनियों ने हिस्सा लिया. मूल्यांकन समिति ने जांच के बाद नेशनल इंश्योरेंस और ओरिएंटल इंश्योरेंस की बिड को तकनीकी रूप से सही माना. मूल्यांकन समिति ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी की बिड को रद्द घोषित कर दिया. टेंडर के टेक्निकल बिड में सिर्फ दो कंपनियों को योग्य पाये जाने की वजह से फाइनांशियल बिड अब तक नहीं खुली है. इस मामले में अब वित्त विभाग से पत्राचार किया जा रहा है कि फाइनांशियल बिड खोली जा सकती है या नहीं?