झारखंड: बगैर कॉपी पूरी कर ली एक शैक्षणिक सत्र की पढ़ाई, अब दी जाएंगी एक साथ दो कक्षाओं की कॉपियां

झारखंड में कॉपी वितरण प्रक्रिया पूरी करने में एक शैक्षणिक सत्र से अधिक का समय बीत गया. अब बच्चों को एक साथ दो कक्षाओं की कॉपी दी जायेगी. सत्र 2021-22 में बच्चों को कॉपी मिली ही नहीं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 1, 2022 8:54 AM

झारखंड में लगभग 30 लाख स्कूली बच्चों की कॉपी तब बंटेगी, जब पूरा शैक्षणिक सत्र बीत गया. बच्चे अगली कक्षा में पहुंच गये और वहां भी आधा सत्र गुजर गया. वर्ष 2021-22 के लिए बच्चों को पिछले वर्ष अप्रैल में ही कापी मिल जानी चाहिए थी, लेकिन प्रिंटर द्वारा अब काॅपी प्रखंड मुख्यालय पहुंचायी जा रही है. शत-प्रतिशत बच्चों तक पहुंचने में इसे अभी एक से दो माह का समय और लग सकता है. ऐसे में वर्तमान शैक्षणिक सत्र भी अपने अंतिम चरण में पहुंच जायेगा.

कॉपी वितरण प्रक्रिया पूरी करने में एक शैक्षणिक सत्र से अधिक का समय बीत गया. अब बच्चों को एक साथ दो कक्षाओं की कॉपी दी जायेगी. सत्र 2021-22 में बच्चों को कॉपी मिली ही नहीं. वहीं सत्र 2022-23 के छह माह बीत जाने के बाद कॉपी प्रखंड कार्यालय पहुंच रही है. अभी स्कूलों तक कॉपी पहुंची भी नहीं है. स्कूल तक पहुंचने व वितरण की प्रक्रिया पूरी होने तक वर्ष 2023 शुरू हो जायेगा. वैसे विद्यार्थी, जो पिछले वर्ष कक्षा आठवीं में पढ़ रहे थे और नौवीं में मध्य विद्यालय छोड़ कर उच्च विद्यालयों में चले गये, उन्हें कॉपी मिलेगी ही नहीं.

किस कक्षा में बच्चों को कितनी कॉपी

कक्षा कॉपी

एक तीन

दो तीन

तीन पांच

चार पांच

पांच पांच

छह 10

सात 10

आठ 10

नौवीं 10

10वीं 10

11वीं 10

12वीं 10

पैसे देने की जगह विभाग ने लिया टेंडर कराने का निर्णय और फंस गया पेच

शिक्षा विभाग ने वर्ष 2021-22 से बच्चों को पैसे की जगह कॉपी देने का निर्णय लिया. इसके लिए टेंडर करने पर सहमति बनी. दो शैक्षणिक सत्र के लिए मार्च 2022 में एक साथ टेंडर आमंत्रित किया गया. इस दौरान टेंडर की कुछ शर्तों को लेकर कुछ प्रिंटर कोर्ट चले गये. टेंडर की प्रक्रिया फाइनल करने में लगभग छह माह का समय लग गया.

राज्य में पहले कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों की कॉपी के लिए राशि विद्यालय प्रबंधन समिति को उपलब्ध करायी जाती थी. समिति द्वारा कॉपी खरीद कर बच्चों को दी जाती थी. कक्षा नौवीं से 12वीं तक की छात्राओं को कॉपी की राशि उनके बैंक खातों में दी जाती थी. प्रति कॉपी 20 रुपये की दर से राशि दी जाती थी.

पहली बार बच्चों को कॉपी देने के लिए प्रक्रिया में बदलाव किया गया है, इस कारण इसमें विलंब हुआ. कुछ दिन तक मामला कोर्ट में भी चला. इन कारणों से दोनों वर्ष की कॉपी एक साथ दी जा रही है.

किरण कुमारी पासी, निदेशक जेइपीसी

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