झारखंड सरकार ने निजी तालाब पर 14 लाख किया खर्च, अब मालिक को देना पड़ेगा 1 करोड़ मुआवजा, जानें पूरा मामला

जिला भूमि संरक्षण कार्यालय, रांची ने 2017 में पिठोरिया मौजा के खाता संख्या-211 और प्लॉट संख्या-742 में 2.41 एकड़ के एक तालाब का जीर्णोद्धार कर दिया. इसके लिए विभाग ने अंचल से जमीन संबंधी रिपोर्ट भी प्राप्त की

By Prabhat Khabar News Desk | February 11, 2023 10:29 AM

कृषि विभाग की इकाई भूमि संरक्षण विभाग ने 2017 में निजी जमीन को सरकारी बता तालाब के जीर्णोद्धार पर 14 लाख खर्च कर दिये. जमीन मालिक ने इसके खिलाफ हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर कर दी. सरकार ने जमीन को सरकारी बताया, पर साबित करने में नाकाम रही. कोर्ट ने सुनवाई के बाद तालाब की जमीन का अधिग्रहण करने और जमीन मालिक को मुआवजा देने का आदेश दिया है.

अब जमीन मालिक को बतौर मुआवजा एक करोड़ देने की नौबत आ गयी है. इससे बचने के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी, पर फिलहाल वहां से भी राहत नहीं मिली है. कांके के पिठोरिया स्थित सुतियांबे का यह मामला चार साल से चल रहा है.

जिला भूमि संरक्षण कार्यालय, रांची ने 2017 में पिठोरिया मौजा के खाता संख्या-211 और प्लॉट संख्या-742 में 2.41 एकड़ के एक तालाब का जीर्णोद्धार कर दिया. इसके लिए विभाग ने अंचल से जमीन संबंधी रिपोर्ट भी प्राप्त की. जमीन को अपना बताते हुए शहनाज खातून ने जीर्णोद्धार का विरोध किया. मामला झारखंड हाइकोर्ट में गया. कोर्ट ने निजी रैयत के पक्ष में फैसला दिया. भूमि संरक्षण विभाग कोर्ट में यह नहीं बता पाया कि जमीन सरकारी है.

मुआवजा देने व जमीन अधिग्रहण का आदेश : हाइकोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले को भूमि संरक्षण विभाग ने 664 दिन बाद डबल बेंच में चुनौती दी थी. इस पर कोर्ट ने पूछा कि इतने दिनों के बाद क्यों चुनौती दी गयी? विभाग ने बताया कि सीओ व सीआइ का तबादला हो गया था. कुल 4.41 एकड़ के प्लॉट में दो एकड़ जमीन रामलगन पाहन का था. इससे संबंधित उचित कागजात विभाग नहीं दे पाया.

विभागीय लापरवाही का मुआवजा 25 हजार रुपये याचिकाकर्ता को देने का निर्देश दिया. यह राशि भी उससे वसूल कर दी जाये, जिसके कारण यह स्थिति बनी है. हाइकोर्ट ने कहा कि चूंकि इस तालाब का पानी सार्वजनिक उपयोग में आयेगा, इसलिए तालाब निर्माण में जितनी जमीन गयी है, उतनी जमीन सरकारी अधिग्रहित कर ले.

इससे संबंधित मुआवजा याचिकाकर्ता को दे दे. शहनाज खातून के अधिवक्ता कुमार हर्ष के अनुसार जमीन का अधिग्रहण वर्तमान कानून के तहत होगा. इसके लिए सर्किल रेट या बाजार मूल्य की चार गुना कीमत तय होगी. यह कीमत एक करोड़ रुपये के आसपास होगी.

Next Article

Exit mobile version