सरायकेला के गुरु सुशांत महापात्र की पहचान देश-विदेश में छऊ मुखौटा कलाकार के रूप में है. इनके बड़े पिताजी प्रसन्न कुमार महापात्र ने वर्ष 1925 में सरायकेला शैली छऊ के लिए पहला आधुनिक मुखौटा तैयार किया था. सुशांत महापात्र ने आठ वर्ष की उम्र में ही मुखौटा बनाने का गुर सीख लिया था. आज यही मुखौटा सरायकेला शैली छऊ नृत्य की पहचान है. गुरु प्रशन्न महापात्र के बाद उनके भतीजे सुशांत कुमार महापात्र ने इस कला को आगे बढ़ाने का कार्य किया. अब तीसरी पीढ़ी में सुशांत कुमार महापात्र के पुत्र सुमित महापात्र भी छऊ मुखौटा तैयार कर रहे हैं. सरायकेला का महापात्र परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी सरायकेला शैली छऊ नृत्य के लिये मुखौटा तैयार कर विरासत में मिली इस कला को आगे बढ़ा रहे हैं.
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Video: छऊ मुखौटा बनाकर देश-विदेश में मशहूर हुए झारखंड के गुरु सुशांत महापात्र
सरायकेला के गुरु सुशांत महापात्र की पहचान देश-विदेश में अच्छे मुखौटा कलाकार के रूप में है. इनके परिवार में ही छऊ के लिए पहला आधुनिक मुखौटा तैयार किया गया था. सरायकेला का महापात्र परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी सरायकेला शैली छऊ नृत्य के लिये मुखौटा तैयार कर विरासत में मिली इस कला को आगे बढ़ा रहे हैं.
By Jaya Bharti
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