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Jharkhand: विधायक ढुल्लू महतो पर कितने आपराधिक मामले व बेनामी संपत्ति, HC ने सरकार व आयकर विभाग से पूछा

बाघमारा के विधायक ढुल्लू महतो से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने सरकार और आयकर विभाग से कहा है कि विधायक ढुल्लू महतो के ऊपर कितने आपराधिक मामले हैं, इसकी जानकारी दें. साथ ही यह भी बतायें कि उनके पास कितनी बेनामी संपत्ति है.

Jharkhand News: बाघमारा के विधायक ढुल्लू महतो से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने सरकार और आयकर विभाग से कहा है कि विधायक ढुल्लू महतो के ऊपर कितने आपराधिक मामले हैं, इसकी जानकारी दें. साथ ही यह भी बतायें कि उनके पास कितनी बेनामी संपत्ति है. कोर्ट ने सरकार को आपराधिक मामले से संबंधित जानकारी देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है. जबकि बेनामी संपत्ति की जानकारी देने के लिए आयकर विभाग को दो हफ्ते का समय दिया है. कोर्ट ने यह जानकारी सरकार और आयकर विभाग को शपथ पत्र के माध्यम से देने को कहा है.

क्या है याचिका में

सोमनाथ चटर्जी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने यह निर्देश दिया है. याचिका में ढुल्लू महतो की आय से अधिक संपत्ति की उच्चस्तरीय जांच कराने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया गया है. अदालत को बताया गया कि इस मामले में अदालत ने 30 मार्च 2016 को विधायक की आय से अधिक संपत्ति की जांच को लेकर इनकम टैक्स व इडी को निर्देश दिया था. पर, इसकी कोई जांच नहीं की गयी. इसके बाद बाद 2018 में फिर से याचिका दायर कर इनकम टैक्स व इडी की ओर से जांच किये गये प्रतिवेदन को अदालत में प्रस्तुत करने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया गया था.

विधायक पर दर्ज हैं 41 आपराधिक मामले

याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि बाघमारा विधायक पर 41 मामले दर्ज हैं. वरीय पुलिस अधीक्षक कार्यालय, धनबाद ने सूचना के अधिकार के तहत मांगे गये आवेदन के तहत छह जून 2021 को यह जानकारी दी है. इसमें विधायक के खिलाफ विभिन्न थानों में दर्ज किये गये मामले का विस्तार से उल्लेख किया गया है.

एपीपी नियुक्ति मामले में वापस लिया आदेश

एपीपी नियुक्ति मामले में सरकार की ओर से सही जानकारी नहीं दिये जाने की वजह से हाइकोर्ट को अपना आदेश वापस लेना पड़ा. सरकार की ओर से 13 मई को सुनवाई के दौरान सही जानकारी नहीं देने पर अदालत ने सरकार को तीन माह में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया था. इसके बाद सरकार की ओर से बताया गया कि डायरेक्टर ऑफ प्रोसिक्यूशन की नियुक्ति हो चुकी है. जेपीएससी की ओर से एपीपी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गयी थी. अभ्यर्थियों का इंटरव्यू हो चुका था. इसके बाद सरकार ने एपीपी नियुक्ति को लेकर निकाले गये विज्ञापन को रद्द कर दिया. सरकार की ओर से कहा गया कि संवादहीनता की ओर से यह तथ्य 13 मई को अदालत में सुनवाई के दौरान नहीं रखा जा सका था.

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