बड़ा तालाब व हरमू नदी की दुर्दशा पर झारखंड हाईकोर्ट नाराज, कहा- सिर्फ अदालत के आदेश पर निगम होता है सक्रिय
झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि जब कोर्ट आदेश पारित करता है, तो रांची नगर निगम सक्रिय होता है. उसके बाद सो जाता है. नियमित रूप से कोई कार्रवाई नहीं होती है.
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में नदियों और जल स्रोतों के अतिक्रमण तथा साफ-सफाई को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज पीआइएल पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पक्ष सुनने के बाद रांची झील (बड़ा तालाब) और हरमू नदी की दुर्दशा पर बुधवार को भी नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने अनियमित व गंदे पेयजलापूर्ति के मामले में पेयजल व स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव तथा बड़ा तालाब के मामले में रांची नगर निगम के प्रशासक को सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया.
जलापूर्ति का नमूना प्रस्तुत करने का निर्देश :
खंडपीठ ने हस्तक्षेपकर्ता को अगली सुनवाई के दौरान जलापूर्ति का नमूना कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने कहा कि जब कोर्ट आदेश पारित करता है, तो रांची नगर निगम सक्रिय होता है. उसके बाद सो जाता है. नियमित रूप से कोई कार्रवाई नहीं होती है. सौंदर्यीकरण व साफ-सफाई के नाम पर 136 करोड़ से अधिक खर्च करने के बाद भी हरमू नदी व बड़ा तालाब की स्थिति दयनीय हो गयी है. बड़ा तालाब, हरमू नदी जैसे जलस्रोत के संरक्षण व साफ-सफाई के लिए दीर्घकालीन योजना क्या है? समस्या कैसे दूर होगी. उसे पेश किया जाये? अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 20 जून की तिथि निर्धारित की.
साफ-सफाई को लेकर किये गये फोटोग्राफ्स प्रस्तुत
इससे पूर्व निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने बड़ा तालाब की साफ-सफाई से संबंधित फोटोग्राफ्स प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि तालाब में चूना, फिटकरी, ब्लीचिंग पाउडर व क्लोरिन से सफाई की जा रही है. वहीं हस्तक्षेपकर्ता झारखंड सिविल सोसाइटी की ओर से अधिवक्ता खुशबू कटारूका व अधिवक्ता शुभम कटारूका ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि बड़ा तालाब की सफाई व सौंदर्यीकरण पर अब तक 50 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये जा चुके हैं. रांची नगर निगम बड़ा तालाब की सफाई को लेकर सिर्फ औपचारिकता ही निभा रहा है. इतना कार्य होने के बाद भी नाला का गंदा पानी बिना सफाई किये तालाब में जा रहा है. तालाब के पानी के दुर्गंध से वहां के लोगों का रहना कठिन हो गया है.
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